वाराणसी: ज्ञानवापी ASI सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद यह मुद्दा लगातार बढ़ता ही चला जा रहा है. हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष न्यायालय में इसकी लड़ाई लड़ रहा है. वहीं, अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने अन्न ग्रहण नहीं करने का ऐलान कर दिया है. तमाम साधु संतों ने भी उनके इस व्रत संकल्प का स्वागत किया है. संतो ने कहा है कि देश में ऐसे बहुत से साधु-संतों ने इस तरह का व्रत किया है.
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स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि 'ज्ञानवापी ASI सर्व रिपोर्ट ज्ञानवापी के पक्ष में है. मंदिर सिद्ध हो जाने के बाद काशी ज्ञानवापी के मुक्ति तक यह मेरा संकल्प है कि मैं अन्न ग्रहण नहीं करूंगा. ऐसा नहीं है कि मैं कोई पहला व्यक्ति हूं, जो इस तरह का व्रत रख रहा हूं. हजारों वर्षों से ऋषि मुनि महर्षि इस तरह का संकल्प लेते हैं. यह मेरा व्यक्तिगत व्रत है. जब तक काशी ज्ञानवापी मुक्त नहीं हो जाता है, विराट मंदिर का स्वरूप नहीं ले लेता, तब तक मैं अन्न ग्रहण नहीं करूंगा. ऐसा बिल्कुल नहीं है, कि मैं जल ग्रहण नहीं करूंगा. मैं फल, दूध का सेवन करुंगा. बाबा विश्वनाथ और अन्नपूर्णा चाहेंगे, तो मेरा यह व्रत सफल होगा.'
बता दें कि ज्ञानवापी ASI सर्वे रिपोर्ट कोर्ट के आदेश पर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को उसकी कॉपी दे दी गई. जिसके बाद यह रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई. यह रिपोर्ट 839 पन्नों की हैं. इसमें हिंदू पक्ष का दावा है कि कई सबूत ऐसे हैं, जो पूर्व में वहां पर हिंदू मंदिर होने के साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं. ऐसे में मुस्लिम पक्ष ने इस बात को सिरेसे से निकार दिया है.
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