ग्वालियर। स्वर्णरेखा नदी के जीर्णोद्धार के मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस रोहित आर्या की डिवीजन बेंच ने तल्ख टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि स्वर्ण रेखा नदी को संवारने के नाम पर धन की बर्बादी की गयी है. ये राशि आपकी नही है, बल्कि जनता की है. एक ही काम के लिये अलग-अलग विभागों से राशि आ रही है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि आप लोग कुछ करना नहीं चाहते हैं.
एक ही मुद्दे को अलग-अलग तरीके से क्यों रखते हो
कोर्ट ने निगम कमिश्नर से शपथ पत्र मांगा है कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट एवं स्वर्ण रेखा प्रोजेक्ट के लिए कब तक राशि मिलेगी. कोर्ट में डिप्टी कमिश्नर भदोरिया की रिपोर्ट पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आप एक ही मुद्दे को अलग-अलग ढंग से पेश कर देते हो और न्यायालय का टाइम बर्बाद करते हो. क्या हम लोग यहां मूट कोर्ट चला रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि ऐसे प्रशासन नहीं चलाया जाता. दरअसल, स्वर्ण रेखा में फैली गंदी को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
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पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने फटकार लगाई थी
कोर्ट ने 22 नवंबर 2023 को हुई सुनवाई के दौरान नगर निगम व स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा था कि पेट में कब्ज है और आप उसका चेहरा चमकाकर सुंदर बना रहे हैं. कोर्ट ने आदेश दिया था कि स्वर्ण रेखा को लेकर जो आदेश दिए हैं, उनका अक्षरश: पालन किया जाए ताकि स्वर्ण रेखा का जीर्णोद्धार हो सके. क्योंकि बीते 23 साल में स्वर्णरेखा पर 200 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि साफ पानी बहाने के लिए खर्च की जा चुकी है. लेकिन वह अब तक नाला बनी हुई है. अब इस मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह मंगलवार को होगी. ये जानकारी याचिकाकर्ता के वकील अवधेश तोमर ने दी.