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ग्वालियर में नाबालिग से दुष्कर्म व मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

ग्वालियर में 6 साल पहले हुए सनसनीखेज कांड में युवक को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. कोर्ट ने इसका कारण भी बताया.

Gwalior sensational case
दुष्कर्म व मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

ग्वालियर : शहर के बहुचर्चित और सनसनीखेज अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में फांसी की सजा पाए युवक जितेंद्र कुशवाह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अब उसे फांसी के फंदे पर नहीं लटकाया जाएगा, बल्कि उसे अपने जीवन के 20 साल जेल में गुजारने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील पर सुनवाई करते हुए 20 साल के कठोर सश्रम कारावास की सजा में परिवर्तन कर दिया है.

6 साल पहले नाबालिग से की थी दरिंदगी

दरअसल, जितेंद्र कुशवाह ने कंपू थाना क्षेत्र के आमखो पहाड़ी के पास भिंड से शादी समारोह में शामिल होने अपने परिजनों के साथ आई नाबालिग लड़की का न सिर्फ अपहरण किया बल्कि उसे एक सुनसान स्थान पर ले जाकर दुष्कृत्य किया और बाद में सबूत मिटाने के लिए उसे मार डाला. घटना के सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस को मिले थे. इसमें जितेंद्र का हाथ पकड़ कर लड़की जाती हुई दिखाई दी थी. खास बात यह है कि जुलाई 2018 में हुई इस वारदात की संवेदनशीलता को देखते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय ने सिर्फ 13 दिन में सुनवाई पूरी करके जितेंद्र कुशवाह को फांसी की सजा सुनाई थी. यह फैसला 27 जुलाई 2018 को दिया गया था. इस मामले में 3 दर्जन लोगों की गवाही हुई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को 20 साल की कैद में बदला (ETV BHARAT)

दोषी युवक को सुप्रीम कोर्ट क्यों मिली राहत

इसके बाद सजा के खिलाफ जितेंद्र ने हाई कोर्ट में अपील की थी, जहां उसकी फांसी की सजा बरकरार रखी गई. इसके बाद जितेंद्र ने अपनी सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है "जितेंद्र का पूर्व का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. इसलिए उसमें सुधार की गुंजाइश से इंकार नहीं किया जा सकता." बता दें कि घटना के समय जितेंद्र की उम्र 24 साल थी. वह अपनी गिरफ्तारी के बाद से अभी तक सेंट्रल जेल ग्वालियर में बंद है और उसकी उम्र 30 साल हो चुकी है. इससे पहले बचाव पक्ष की ओर से बताया गया था कि अभियोजन जितेंद्र कुशवाह की पहचान करने में सफल नहीं रहा है. डीएनए सैंपल की रिपोर्ट भी भरोसे लायक नहीं है. ये जानकारी जितेंद्र के अधिवक्ता रविन्द्र सिंह ने दी.

ग्वालियर : शहर के बहुचर्चित और सनसनीखेज अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में फांसी की सजा पाए युवक जितेंद्र कुशवाह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अब उसे फांसी के फंदे पर नहीं लटकाया जाएगा, बल्कि उसे अपने जीवन के 20 साल जेल में गुजारने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील पर सुनवाई करते हुए 20 साल के कठोर सश्रम कारावास की सजा में परिवर्तन कर दिया है.

6 साल पहले नाबालिग से की थी दरिंदगी

दरअसल, जितेंद्र कुशवाह ने कंपू थाना क्षेत्र के आमखो पहाड़ी के पास भिंड से शादी समारोह में शामिल होने अपने परिजनों के साथ आई नाबालिग लड़की का न सिर्फ अपहरण किया बल्कि उसे एक सुनसान स्थान पर ले जाकर दुष्कृत्य किया और बाद में सबूत मिटाने के लिए उसे मार डाला. घटना के सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस को मिले थे. इसमें जितेंद्र का हाथ पकड़ कर लड़की जाती हुई दिखाई दी थी. खास बात यह है कि जुलाई 2018 में हुई इस वारदात की संवेदनशीलता को देखते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय ने सिर्फ 13 दिन में सुनवाई पूरी करके जितेंद्र कुशवाह को फांसी की सजा सुनाई थी. यह फैसला 27 जुलाई 2018 को दिया गया था. इस मामले में 3 दर्जन लोगों की गवाही हुई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को 20 साल की कैद में बदला (ETV BHARAT)

दोषी युवक को सुप्रीम कोर्ट क्यों मिली राहत

इसके बाद सजा के खिलाफ जितेंद्र ने हाई कोर्ट में अपील की थी, जहां उसकी फांसी की सजा बरकरार रखी गई. इसके बाद जितेंद्र ने अपनी सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है "जितेंद्र का पूर्व का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. इसलिए उसमें सुधार की गुंजाइश से इंकार नहीं किया जा सकता." बता दें कि घटना के समय जितेंद्र की उम्र 24 साल थी. वह अपनी गिरफ्तारी के बाद से अभी तक सेंट्रल जेल ग्वालियर में बंद है और उसकी उम्र 30 साल हो चुकी है. इससे पहले बचाव पक्ष की ओर से बताया गया था कि अभियोजन जितेंद्र कुशवाह की पहचान करने में सफल नहीं रहा है. डीएनए सैंपल की रिपोर्ट भी भरोसे लायक नहीं है. ये जानकारी जितेंद्र के अधिवक्ता रविन्द्र सिंह ने दी.

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