ग्वालियर। नगर निगम में बीते 6 महीने से इस बात पर हंगामा हो रहा था कि यहां बाबुओं को इंजीनियर बना दिया गया है. क्लर्क जैसे कर्मचारी जोनल ऑफिसर, इंजीनियर, उपायुक्त बन गए है. नगर निगम में जो लोग दूसरे विभागों से आये हैं उनमें से दो दर्जन से ज्यादा निगम के अफसर दागी हैं. ऐसे में मंगलवार को परिषद ने बड़ा फैसला लिया. अब क्लर्क की जगह क्लर्क ही काम करेंगे. जरूरत पड़ती है तो केवल एक पद पर प्रमोशन हो सकता है. साथ ही जो जिस पद के लिए नियुक्त है, वह उसी कुर्सी पर बैठगा.
सिफारिश से हथियाते हैं बड़े पद
नेता, मंत्री और अफसरों से जुगाड़ लगाकर नगर निगम में मलाईदार पद लेने वाले अफसरों को ग्वालियर नगर निगम की परिषद में बड़ा झटका लगा है. अधिकारियों को मूल पद पर तैनात करने के आयुक्त को आदेश दे दिए गए हैं. साथ ही सीनियरिटी के हिसाब से पदस्थापना की जाएगी. दरअसल, नगर निगम में पार्षदों की बैठक में लगातार इस तरह का मामला तूल पकड़ा रहा था. बैठक में बीजेपी के ब्रजेश श्रीवास ने निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के बारे में चोर, सरगना, जेबकतरा जैसे शब्दों का प्रयोग भी कर दिया था.
ये खबरें भी पढ़ें... |
पिछली बैठक में हुआ था हंगामा
इस मामले को लेकर ग्वालियर संभाग आयुक्त दीपक सिंह तक शिकायत भी की गयी थी. इसके बाद पार्षदों ने काफी हंगामा किया. साथ ही कहा कि ये मुहावरे हैं, लेकिन ये सच हैं. निगम के कर्मचारी ऐसे हो गए हैं. जिसके बाद बीजेपी और कांग्रेस के पार्षदों ने हंगामा कर दिया. महिला पार्षद आंसदी को घेरने के साथ ही धरने पर बैठ गयी. दो बार परिषद को स्थागित करना पड़ा. जिसके बाद सभापति ने कर्मचारियों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. इसके साथ ये भी कहा है कि जिन अधिकारियों ने संभाग आयुक्त से शिकायत की है, उनके खिलाफ जांच की जाए और 15 दिन में सदन को अवगत कराएं.