ग्वालियर. देश में लोकसभा चुनाव आगाज हो चुका है और मध्यप्रदेश की 6 सीटों पर पहले चरण में वोटिंग भी हो चुकी है. वहीं तीन चरणों में और वोटिंग होगी. प्रदेश की हर सीट पर बीजेपी ने सियासत की बिसात बिछा दी है, तो वहीं ग्वालियर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने जातिगत समीकरणों को साधने का प्रयास किया है. ऐसे में ETV भारत के सीट एनालिसिस से समझिए ग्वालियर शिवपुरी लोकसभा सीट के समीकरण, क्यों चर्चित है यह सीट और क्या हैं स्थानीय मुद्दे.
रियासत और सियासत का मेल
ग्वालियर लोकसभा सीट प्रदेश की अहम लोकसभा सीटों में से एक हैं क्योंकि राजघराने का प्रभाव और दो जिलों के साथ बनी ग्वालियर लोकसभा सीट हमेशा चर्चित सीट रही है. वैसे तो ग्वालियर को तानसेन की नगरी कहा जाता है लेकिन ये राजनीति के लिहाज से भी राजधानी के बाद मध्यप्रदेश का सबसे अहम क्षेत्र है. इस क्षेत्र की पहचान राज घरानों से भी जुड़ी है, इस क्षेत्र को कला और इतिहास के लिए भी जाना जाता है. भारत के खूबसूरत किलों में शुमार राजा मानसिंह महल ग्वालियर में स्थित है, ग्वालियर का एयरपोर्ट मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा और भारत के सबसे बड़े विमानतलों में शुमार है, नवीन क्रिकेट स्टेडियम, शिवपुरी पर्यटन स्थल समेत कई ऐतिहासिक संपदाएं ग्वालियर क्षेत्र में हैं. ग्वालियर का किला विदेशी सैलानियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है. इस बार तीसरे चरण में यहां चुनाव होंगे ऐसे में जानते है इस क्षेत्र के बारे और रोचक तथ्य.
लोकसभा क्षेत्र में इतने वोटर
बात अगर लोकसभा क्षेत्र के मातदाओं की करें तो ग्वालियर लोकसभा सीट पर(16/03/2024 तक) कुल 21,40,297 मतदाता हैं. इनमें 11 लाख 32 हजार 662 पुरुष और 10 लाख 7 हजार 571 महिला मतदाता हैं. इनके साथ ही 64 थर्ड जेंडर वोटर भी शामिल हैं, जो आगामी 7 मई को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे और अपना जन प्रतिनिधि चुनेंगे.
लोकसभा सीट के सियासी समीकरण
ग्वालियर लोक सभा सीट अब तक हमेशा सिंधिया राज परिवार की छत्रछाया में रही है. इस सीट पर हमेशा या तो सिंधिया राज परिवार के सदस्य चुनाव लड़े या उनके समर्थक, और जीत भी उन्हीं को मिली है. लेकिन इस बार सियासी समीकरण कुछ बदल से गए हैं. क्योंकि लोकसभा 2024 में भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों ही मुख्य दलों ने ऐसे प्रत्याशियों पर दांव लगाया है जिन्होंने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया है. खास बात यह भी है कि BJP के प्रत्याशी भारत सिंह कुशवाहा सिंधिया राज परिवार के नहीं बल्कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के खेमे से आते हैं. वहीं कांग्रेस ने BJP के मुकाबले अपने पूर्व विधायक प्रवीण पाठक को इस सीट की पर उतारा है.
ग्वालियर को लेकर बीजेपी-कांग्रेस की रणनीति
जहां भारत सिंह को टिकट देने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशी को प्रचार प्रसार और जनता के बीच पैठ बनाने के लिए भरपूर समय दिया, तो वहीं कांग्रेस ने अपना टिकट फ़ाइनल करने में अत्यधिक समय लिया. यही वजह है कि कांग्रेस के प्रवीण पाठक को लोकसभा चुनाव के लिए मतदाताओं के दिलों में जगह बनाने के लिए बहुत कम समय मिला है. लेकिन ग्वालियर-चंबल अंचल में होने वाले चुनाव का अपना रंग होता है यहां जब चुनाव होते हैं तो जीत और हार शहरी नहीं बल्कि ग्रामीण अंचल तय करता है और BJP के लिए यही पक्ष कुछ हद तक कमज़ोर है. वहीं प्रवीण पाठक 1 बार के विधायक हैं और अपने विधानसभा क्षेत्र तक सीमित हैं. ऐसे में आठ विधानसभाओं वाले ग्वालियर शिवपुरी लोक सभा क्षेत्र में दमदारी दिखाना और वोटर को अपनी तरफ़ खींचना किसी चुनौती से कम नहीं है.
इस तरह वोट मांग रहे दोनों प्रत्याशी
इस चुनाव के लिए यहां भारत सिंह लगातार मोदी सरकार की उपलब्धियों और मोदी की गारंटी का हवाला देकर वोटर्स को आकर्षित कर रहे हैं. तो वहीं कांग्रेस के प्रवीण पाठक महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाकर वोट मांग रहे हैं. बड़ी बात यह भी है कि इस क्षेत्र में चुनाव जातिगत समीकरण तय करते हैं. ऐसे में यहां के वोटरों को साधने के लिए एक ओर BJP अमित शाह, PM मोदी, मुख्यमंत्री मोहन यादव जैसे दिग्गजों को मैदान में माहौल तैयार करने के लिए उतार रही है. तो वहीं कांग्रेस के प्रवीण पाठक के साथ अब तक कोई बड़ा चेहरा नज़र नहीं आया है.
ग्वालियर के जातिगत समीकरण
बात अगर लोकसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरणों की हो तो ग्वालियर लोक सभा क्षेत्र क्षत्रिय और ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है. लेकिन ओबीसी वोटर यहां सबसे अधिक हैं. लोकसभा क्षेत्र में जहां 4 लाख ओबीसी वोटर हैं. वहीं ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भी करीब 3 लाख है. क्षत्रियों (राजपूत) की संख्या भी 2 लाख के आसपास है. इनके अलावा ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में गुर्जर, यादव, बघेली, आदिवासी और मराठी वोटर भी हैं, जो हार-जीत की दिशा तय करते हैं.
पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे
लोकसभा चुनाव 2019
2019 का चुनाव मोदी लहर का माना गया, ये ऐसा चुनाव था जब मध्यप्रदेश में 29 में से 28 सीटें बीजेपी के कब्जे में आई थीं. इस चुनाव में ग्वालियर लोकसभा सीट पर भारतीय जानता पार्टी ने विवेक नारायण शेजवलकर को मैदान में उतारा था, वहीं हर बार की तरह कांग्रेस का भरोसा अपने पुराने खिलाड़ी रहे अशोक सिंह पर रहा. हालांकि, जब मतदान हुआ तो बीजेपी के खाते में 6 लाख 27 हजार 250 वोट आए. जबकि कांग्रेस के अशोक सिंह 4 लाख 8 हजार 408 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी ने 2 लाख 18 हजार 842 वोटों के अंतर से जीत हांसिल की.
लोकसभा चुनाव 2014
बात अगर साल 2014 के लोकसभा चुनाव की करें तो ये चुनाव बीजेपी का केंद्र में टर्निंग पॉइंट था. इसी चुनाव से बीजेपी की मोदी सरकार केंद्र की सत्ता में आयी पहली बार मोदी को प्रधानमंत्री के चहरे के तौर पर बीजेपी ने आगे किया था और जब नतीजे आये तो कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई. इस चुनाव में बीजेपी ने ग्वालियर लोकसभा से नरेंद्र सिंह तोमर को टिकट दिया था. जिन्हें जनता ने 4,42,796 वोट से नवाजा. वहीं कांग्रेस से अशोक सिंह को 4,13,097 वोट मिले. इस चुनाव में बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर 29,699 वोट से जीत कर सांसद चुने गए थे.
लोकसभा चुनाव 2009
साल 2009 के लोकसभा चुनाव के समय देश में कांग्रेस की दूसरी पारी थी, इस चुनाव में देश की जानता का जनाधार तो कांग्रेस को मिला था लेकिन ग्वालियर लोकसभा की जानता ने बीजेपी की यशोधरा राजे सिंधिया को चुना था. यहां ग्वालियर के मतदाताओं ने बीजेपी प्रत्याशी रहीं यशोधरा राजे सिंधिया को 2,52,314 वोट दिए थे. जबकि उनके खिलाफ मैदान में कांग्रेस के अशोक सिंह ने भी कड़ा मुक़ाबला दिया उन्हें 2,25,723 वोट मिले. इस तरह यहां हार जीत का अंतर महज 26,591वोट का रहा.
ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे
लंबे समय से ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र के कई प्रोजेक्ट हैं जो चुनाव में मुद्दा तो बनते हैं लेकिन आज भी ये पूरे नहीं हुए, स्वर्ण रेखा नदी प्रोजेक्ट, ग्वालियर का रोपवे प्रोजेक्ट आज भी अधूरा है. इस क्षेत्र में बेरोज़गारी एक बड़ा मुद्दा है, इसकी वजह से ग्वालियर शिवपुरी से कई युवा अन्य बड़े शहरों और राज्यों में काम की तलाश में पलायन करने को मजबूर होते हैं. इसके अलावा यह क्षेत्र सूखे यानी पेयजल संकट की ओर बढ़ रहा है. इसके अलावा क्षेत्र का विकास ग्रामीण क्षेत्रों में जैसे रुकता सा दिखाई देता है और भी ऐसे स्थानीय मुद्दे हैं जिन्हे लेकर जनता चुनाव में मतदान करेगी.