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ग्वालियर में फेक ऑफिसर्स का साइबर जाल, ठग रिटायर्ड महिला प्रोफेसर से ऐंठ रहे 51लाख रुपये

Gwalior Cyber Fraud : मध्यप्रदेश के ग्वालियर में चौंकाने वाली सायबर ठगी की वारदात हुई है. सायबर ठगों ने रिटायर्ड महिला प्रोफेसर की जीवनभर की जमापूंजी साफ कर दी. ठगों ने मुंबई क्राइम व सीबीआई फर्जी अधिकारी बनकर प्रोफेसर को फंसाया. इसके बाद पूरी जानकारी लेकर उनके एकाउंट से 51 लाख रुपये उड़ा दिए.

Gwalior Cyber Fraud
सायबर ठगों ने रिटायर्ड महिला प्रोफेसर से ठगे 51लाख रुपये
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 18, 2024, 10:23 AM IST

Updated : Mar 18, 2024, 12:20 PM IST

सायबर ठगों ने रिटायर्ड महिला प्रोफेसर से ठगे 51लाख रुपये

ग्वालियर। अगर आपके पास पुलिस का कॉल आये और आपको बताया जाए कि आपके ऊपार तमाम FIR दर्ज हुई हैं तो क्या होगा. आपका दिमाग़ चकरायेगा, आप परेशान हो जाएंगे. इस झमेले से निकलने के लिए आप कुछ भी करने को तैयार होंगे, लेकिन हो सकता है कि आप सायबर ठगी के शिकार होने जा रहे हों. ऐसा ही कुछ हुआ है ग्वालियर में रहने वाली रिटायर्ड महिला प्रोफेसर आशा भटनागर के साथ. वह ग्वालियर के सीपी कॉलोनी में रहती हैं. 72 वर्षीय आशा भटनागर का बेटा अमेरिका में और बेटी दामाद के साथ पुणे में रहती है. आशा भटनागर ग्वालियर में अकेली रहती हैं.

मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस का नाम लेकर जालसाजों ने फंसाया

पीड़ित आशा भटनागर ने बताया उन्हें 14 मार्च को उन्हें एक कॉल आया. बताया गया कि ये कॉल मुंबई क्राइम ब्रांच की ओर से है. उनके ऊपर ह्रासमेंट और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हैं. उन्हें दो घंटे के अंदर बचने के लिए ई-एफआईआर दर्ज कराने की सलाह दी गई. अन्यथा सीबीआई द्वारा उन्हें दो घंटे में गिरफ़्तार किए जाने की बात बतायी गई. जब उन्होंने ई-एफआईआर करना ना आने के बारे में बताया तो फ़ोन पर मौजूद व्यक्ति ने उन्हें वीडियो कॉल ऐप स्काइप डाउनलोड करने के लिए कहा, जिसके लिये पीड़िता ने एक बच्चे की मदद ली.

ठगों ने बातों में उलझाकर ले ली सारी जानकारी

स्काइप शुरू होने के बाद उन्हें एक वीडियो कॉल आया जिसमें सुप्रिया पाटिल नाम की महिला ने बात की. जिसने बातों बातों में उनके परिवार, शिक्षा, पेशे और अकाउंट तक के बारे में पूरी जानकारी ले ली. पीड़ित आशा भटनागर कहती हैं कि "उस समय मेरा दिमाग पता नहीं कैसा हो गया था कि मैं उसे सब कुछ बताती चली गई. सुप्रिया पाटिल ने कहा कि आप मुझे इनोसेंट लग रही है मैं सुपीरियर से बात करती हूं अगर वहां आपने अपने आपको साबित कर दिया तो आपके केस की इंटेंसिटी कम जो जायेगी. "

छह घंटे तक चला कॉल, फंसाने के लिए नकली अरेस्ट वॉरंट भेजा

आशा भटनागर ने बताया " बातचीत के दौरान एक सेकेंड के लिए पुलिस की वर्दी में कोई दिखायी दिया, जिसे वीडियो कॉल कर रही महिला ने बताया कि ये मनी लाउंड्रिंग केस वाली हैं. इस पर वह आदमी तुरंत अरेस्ट करने की बात कहते हुए भड़कने लगा. इसके बाद क़रीब सवा छह घंटे तक वह उनके साथ कॉल पर रहा और वो जो कहता गया वह (आशा भटनागर) करती गयीं. क्योंकि उन्हें यक़ीन दिलाने के लिए बाक़ायदा उन्हें अरेट वॉरंट से लेकर तमाम नकली दस्तावेज भेजे गये थे."

दो दिन में ट्रांसफ़र कराये 51 लाख रुपए

आशा भटनागर ने केस से बाहर आने के लिए 14 मार्च को 46 लाख रुपए आरटीजीएस किए. इसके बाद 15 मार्च को 5 लाख रुपए ट्रांसफ़र कराये. जब बैंक से वेरिफिकेशन कॉल आया और उनसे बार-बार पूछा गया कि इतना पैसा क्यों निकाल रही हैं. इस पर डरी हुई आशा ने जरूरत का हवाला देते हुए बात को ताल दिया और सारा पैसा ठगों के बताये अकाउंट में ट्रांसफ़र करा दिये.

रकम ट्रांसफर करने के बाद हुआ ठगी का अहसास

ठगों ने इस दौरान उन्हें एक प्रकार से हाउस अरेस्ट कर दिया था. उन्हें घर से बाहार ना जाने और मोबाइल हमेशा ऑन रखने के साथ साथ किसी से भी फोन पर बात ना करने की सलाह दी. ऐसा ना करने पर उनके दामाद को अरेस्ट करने की धमकी दी गई. इससे डरी हुई आशा भटनागर ने किसी से इस बात का ज़िक्र नहीं किया. लेकिन 15 मार्च की शाम को उन्हें ठगी का अहसास हुआ. जब उन्होंने पहले दिन आये फ़ोन नंबर पर कॉल किया तो वह कर्नाटक का निकला. जिसके बाद उनका शक यक़ीन में बदल गया.

साइबर क्राइम पुलिस ने कराया ठगों का अकाउंट फ्रीज

अपने साथ हुई ठगी के बाद उन्होंने अपनी बेटी को इस संबंध में जानकारी दी. साथ ही ग्वालियर क्राइम ब्रांच पहुंच कर मामले की शिकायत की. इस मामले को लेकर एसपी ने तुरंत साइबर टीम को एक्टिव कर दिया है बताया जा रहा है कि पुलिस द्वारा जालसाजों द्वारा लूट के लिए इस्तेमाल किए गए बैंक अकाउंट को भी फ्रीज करा दिया गया है. जल्द से जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी करने का दावा पुलिस कर रही है. वहीं इस मामले में ग्वालियर क्राइम ब्रांच के थाना प्रभारी अजय पवार का कहना है "पुलिस इस केस पर प्राथमिकता से काम कर रही है. हमने मामले को लेकर FIR दर्ज कर ली है पुलिस जांच में जुटी हुई है."

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ठगी से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

अक्सर सरकार से लेकर पुलिस और मीडिया तक सायबर अपराधों को लेकर जागरूकता अभियान चलाते हैं लेकिन लोग इससे सबक़ नहीं लेते यदि आप नहीं चाहते कि आपके साथ ऐसा हो तो इन बातों का ध्यान रखें.

  • किसी अनजान व्यक्ति से फ़ोन पर बात ना करें. ख़ासकर परिजनों या बैंक खातों से संबंधित जानकारी बिलकुल साझा ना करें.
  • किसी को भी बैंक संबंधी जानकारी जैसे अकाउंट नंबर, इंटरनेट बैंकिंग का पासवर्ड या एटीएम पिन, ओटीपी ना बताएं.
  • यदि आपको कोई पुलिस बताकर कॉल कर रहा है तो संबंधित थाना में कॉल कर उस व्यक्ति को वैरीफाई करें अथवा ख़ुद इस संबंध में पहले पुलिस को सूचित कर जानकारी स्पष्ट करें.

सायबर ठगों ने रिटायर्ड महिला प्रोफेसर से ठगे 51लाख रुपये

ग्वालियर। अगर आपके पास पुलिस का कॉल आये और आपको बताया जाए कि आपके ऊपार तमाम FIR दर्ज हुई हैं तो क्या होगा. आपका दिमाग़ चकरायेगा, आप परेशान हो जाएंगे. इस झमेले से निकलने के लिए आप कुछ भी करने को तैयार होंगे, लेकिन हो सकता है कि आप सायबर ठगी के शिकार होने जा रहे हों. ऐसा ही कुछ हुआ है ग्वालियर में रहने वाली रिटायर्ड महिला प्रोफेसर आशा भटनागर के साथ. वह ग्वालियर के सीपी कॉलोनी में रहती हैं. 72 वर्षीय आशा भटनागर का बेटा अमेरिका में और बेटी दामाद के साथ पुणे में रहती है. आशा भटनागर ग्वालियर में अकेली रहती हैं.

मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस का नाम लेकर जालसाजों ने फंसाया

पीड़ित आशा भटनागर ने बताया उन्हें 14 मार्च को उन्हें एक कॉल आया. बताया गया कि ये कॉल मुंबई क्राइम ब्रांच की ओर से है. उनके ऊपर ह्रासमेंट और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हैं. उन्हें दो घंटे के अंदर बचने के लिए ई-एफआईआर दर्ज कराने की सलाह दी गई. अन्यथा सीबीआई द्वारा उन्हें दो घंटे में गिरफ़्तार किए जाने की बात बतायी गई. जब उन्होंने ई-एफआईआर करना ना आने के बारे में बताया तो फ़ोन पर मौजूद व्यक्ति ने उन्हें वीडियो कॉल ऐप स्काइप डाउनलोड करने के लिए कहा, जिसके लिये पीड़िता ने एक बच्चे की मदद ली.

ठगों ने बातों में उलझाकर ले ली सारी जानकारी

स्काइप शुरू होने के बाद उन्हें एक वीडियो कॉल आया जिसमें सुप्रिया पाटिल नाम की महिला ने बात की. जिसने बातों बातों में उनके परिवार, शिक्षा, पेशे और अकाउंट तक के बारे में पूरी जानकारी ले ली. पीड़ित आशा भटनागर कहती हैं कि "उस समय मेरा दिमाग पता नहीं कैसा हो गया था कि मैं उसे सब कुछ बताती चली गई. सुप्रिया पाटिल ने कहा कि आप मुझे इनोसेंट लग रही है मैं सुपीरियर से बात करती हूं अगर वहां आपने अपने आपको साबित कर दिया तो आपके केस की इंटेंसिटी कम जो जायेगी. "

छह घंटे तक चला कॉल, फंसाने के लिए नकली अरेस्ट वॉरंट भेजा

आशा भटनागर ने बताया " बातचीत के दौरान एक सेकेंड के लिए पुलिस की वर्दी में कोई दिखायी दिया, जिसे वीडियो कॉल कर रही महिला ने बताया कि ये मनी लाउंड्रिंग केस वाली हैं. इस पर वह आदमी तुरंत अरेस्ट करने की बात कहते हुए भड़कने लगा. इसके बाद क़रीब सवा छह घंटे तक वह उनके साथ कॉल पर रहा और वो जो कहता गया वह (आशा भटनागर) करती गयीं. क्योंकि उन्हें यक़ीन दिलाने के लिए बाक़ायदा उन्हें अरेट वॉरंट से लेकर तमाम नकली दस्तावेज भेजे गये थे."

दो दिन में ट्रांसफ़र कराये 51 लाख रुपए

आशा भटनागर ने केस से बाहर आने के लिए 14 मार्च को 46 लाख रुपए आरटीजीएस किए. इसके बाद 15 मार्च को 5 लाख रुपए ट्रांसफ़र कराये. जब बैंक से वेरिफिकेशन कॉल आया और उनसे बार-बार पूछा गया कि इतना पैसा क्यों निकाल रही हैं. इस पर डरी हुई आशा ने जरूरत का हवाला देते हुए बात को ताल दिया और सारा पैसा ठगों के बताये अकाउंट में ट्रांसफ़र करा दिये.

रकम ट्रांसफर करने के बाद हुआ ठगी का अहसास

ठगों ने इस दौरान उन्हें एक प्रकार से हाउस अरेस्ट कर दिया था. उन्हें घर से बाहार ना जाने और मोबाइल हमेशा ऑन रखने के साथ साथ किसी से भी फोन पर बात ना करने की सलाह दी. ऐसा ना करने पर उनके दामाद को अरेस्ट करने की धमकी दी गई. इससे डरी हुई आशा भटनागर ने किसी से इस बात का ज़िक्र नहीं किया. लेकिन 15 मार्च की शाम को उन्हें ठगी का अहसास हुआ. जब उन्होंने पहले दिन आये फ़ोन नंबर पर कॉल किया तो वह कर्नाटक का निकला. जिसके बाद उनका शक यक़ीन में बदल गया.

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अपने साथ हुई ठगी के बाद उन्होंने अपनी बेटी को इस संबंध में जानकारी दी. साथ ही ग्वालियर क्राइम ब्रांच पहुंच कर मामले की शिकायत की. इस मामले को लेकर एसपी ने तुरंत साइबर टीम को एक्टिव कर दिया है बताया जा रहा है कि पुलिस द्वारा जालसाजों द्वारा लूट के लिए इस्तेमाल किए गए बैंक अकाउंट को भी फ्रीज करा दिया गया है. जल्द से जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी करने का दावा पुलिस कर रही है. वहीं इस मामले में ग्वालियर क्राइम ब्रांच के थाना प्रभारी अजय पवार का कहना है "पुलिस इस केस पर प्राथमिकता से काम कर रही है. हमने मामले को लेकर FIR दर्ज कर ली है पुलिस जांच में जुटी हुई है."

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अक्सर सरकार से लेकर पुलिस और मीडिया तक सायबर अपराधों को लेकर जागरूकता अभियान चलाते हैं लेकिन लोग इससे सबक़ नहीं लेते यदि आप नहीं चाहते कि आपके साथ ऐसा हो तो इन बातों का ध्यान रखें.

  • किसी अनजान व्यक्ति से फ़ोन पर बात ना करें. ख़ासकर परिजनों या बैंक खातों से संबंधित जानकारी बिलकुल साझा ना करें.
  • किसी को भी बैंक संबंधी जानकारी जैसे अकाउंट नंबर, इंटरनेट बैंकिंग का पासवर्ड या एटीएम पिन, ओटीपी ना बताएं.
  • यदि आपको कोई पुलिस बताकर कॉल कर रहा है तो संबंधित थाना में कॉल कर उस व्यक्ति को वैरीफाई करें अथवा ख़ुद इस संबंध में पहले पुलिस को सूचित कर जानकारी स्पष्ट करें.
Last Updated : Mar 18, 2024, 12:20 PM IST
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