ग्वालियर। मध्य प्रदेश की ग्वालियर लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी के बाद अब कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक ने भी अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. हालांकि उनके साथ इस दौरान कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आया. नॉमिनेशन फाइल करने के बाद पाठक मीडिया से भी मुखातिब हुए. इस दौरान उन्होंने भाजपा पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
एक ओर भाजपा के प्रत्येक प्रत्याशी का नॉमिनेशन फाइल कराने बीजेपी के दिग्गजों का जमावड़ा पहुंच रहा है. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन में राष्ट्रीय स्तर व प्रदेश स्तर के नेता दिखाई भी नहीं दे रहे हैं. कुछ ऐसा ही ग्वालियर में देखने को मिला. कहने को ग्वालियर लोकसभा सीट सियासी पहलुओं के हिसाब से काफी अहम है, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक के साथ कोई बड़ा चेहरा उनके नामांकन के दौरान नजर नहीं आया. जबकि मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी पड़ोसी जिले मुरैना में ही लोकसभा प्रत्याशी सत्यपाल सिंह सिकरवार का पर्चा दाखिल कराने पहुंचे हैं.
सादगी पूर्ण तरीके से दाखिल किया नामांकन
बिना किसी हो हल्ला, रैली या प्रदर्शन के कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक मंगलवार को जिला निर्वाचन कार्यालय पहुंचे. इस दौरान उनके साथ कांग्रेस से राज्यसभा सांसद अशोक सिंह मौजूद रहे. फिर कांग्रेस प्रत्याशी ने अपना नामांकन फॉर्म जिला निर्वाचन अधिकारी को सौंप दिया. नामांकन दाखिल कर निर्वाचन कार्यालय से बाहर आने के बाद कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी प्रवीण पाठक ने मीडिया को भी इस बात की जानकारी दी. वहीं चर्चा के दौरान उन्होंने यह चुनाव जनता के भरोसे के बलबूते लड़ने की बात कही.
'तानाशाहों से चुनाव लड़ना आसान नहीं'
प्रवीण पाठक ने कहा कि, "यह चुनाव साधारण चुनाव नहीं है, यह लोकतंत्र को बचाने का चुनाव है, संविधान को बचाने का चुनाव है, आम लोगों के अधिकारों को बचाने का चुनाव है, आम लोगों की स्वतंत्रता के हनन को बचाने का चुनाव है. मुझे पूरी उम्मीद है कि आज मैंने नामांकन दाखिल किया है. ये मेरे अकेले का इतना साहस नहीं है कि मैं इन तानाशाहों का सामना कर पाऊं. इनके पास तो बड़े-बड़े मंत्री हैं, बड़ा-बड़ा तंत्र है सीबीआई, ईडी, सीडी है रेल है, जेल है सब है इनके पास. यह चुनाव ग्वालियर लोकसभा की जनता लड़ रही है, हमारे परिजन लड़ रहे हैं, मैं तो सिर्फ सांकेतिक मात्र हूं.
कंसाना के पाला बदलने से कितना पड़ेगा फर्क?
वहीं जब पाठक से पूछा गया कि आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह कंसाना का पार्टी छोड़कर बसपा से चुनाव लड़ना उनके लिए कितनी मुश्किलें पैदा कर सकता है. इस बात का जवाब देते हुए कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक ने कहा कि, ''किस प्रकार से उनको बसपा में ले जाया गया. इससे किसको लाभ होगा आजकल जनता बहुत समझदार है पर फिर भी एक बात बोलता हूं कि यह जो लोग डर के तुम्हारी शफ में आए हैं, तुम्हें क्या जिंदा करेंगे जो खुद मारकर आए हैं."
'जब जनता चुनाव लड़ती है तो परिवर्तन होता है'
वहीं चुनाव की चुनौती को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि, "देखिए यह चुनाव ग्वालियर की जनता लड़ेगी उसके आशीर्वाद के बिना ना मुझमें इतना सामर्थ्य है और ना ही इतना साहस जो भी होगा जनता के आशीर्वाद से होगा और जब जनता चुनाव लड़ती है तो परिवर्तन होता है ऐसा मेरा विश्वास है''
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बड़े नेताओं ने बनाई दूरियां!
वहीं जीतू पटवारी के मुरैना में होने और ग्वालियर न आने को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो प्रवीण पाठक ने बताया कि जीतू पटवारी उमंग सिंगार सभी लोग उनसे मिलकर गए हैं. वह अपना नामांकन हमेशा सादगी पूर्ण तरीके से दाखिल करते आए हैं, इसीलिए इस बार भी वैसा ही किया है क्योंकि नामांकन भरना एक संवैधानिक प्रक्रिया है जिसमें केवल चार या पांच लोगों को अंदर जाने की अनुभूति होती है तो बड़े नेताओं का बहुत सम्मान है, मन है, मर्यादा को भी ध्यान में रखना चाहिए''. इस दौरान प्रवीण ने गुटबाज़ी की बात को नकार दिया.