श्योपुर: 2 साल पहले 17 सितंबर 2022 वह दिन था जब 70 साल पहले भारत की धरती से विलुप्त हो चुके चीतों की प्रजाति के पुनरुत्थान के लिए विदेश से भारत में चीते लाए गए थे. इसके बाद मध्य प्रदेश के श्योपुर में कूनो नेशनल पार्क में उनकी देखभाल शुरू हुई और लगभग दो वर्षों से कूनो ही इन चीतों का घर बना हुआ है. इस बीच कभी खुशियों भरी खबरें आईं तो कभी माहौल गमगीन हुआ. लेकिन मौजूदा हालात में छोटे बड़े 24 चीते भारत के पर्यावरण में ढल चुके हैं और अब वह वक्त आ गया है जब धीरे-धीरे इन चीतों को कूनो के बाड़े से निकलकर खुले जंगल में छोड़ा जाएगा.
चीतों को लेकर हुई इंटरस्टेट मीटिंग
चीतों को खुले जंगल में छोड़ने से पहले इनकी देखरेख मॉनिटरिंग और भोजन व्यवस्था जैसी तमाम ऐसी व्यवस्थाएं हैं, जिन पर वन विभाग का पूरा फोकस रहने वाला है. यही वजह है की चीतों को कूनो से जंगल में रिलीज करने से पहले वन विभाग के तीन राज्यों के अधिकारियों की इंटर स्टेट मीटिंग की गई. इस बैठक में चीतों से जुड़े तमाम महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई है.
एमपी, यूपी, राजस्थान के 24 जिलों में घूमेंगे चीता
श्योपुर डीएफओ थिरुकुरल आर ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि, ''मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बीच हुई इंटर स्टेट मीटिंग में चीतों के लिए लैंडस्केप अप्रोच के बारे में चर्चा हुई है. क्योंकि जब चीते हम छोडे़ंगे तो वह आसपास के सभी जिलों में जा सकते हैं. जिनमें मध्य प्रदेश के 10 जिले हैं, राजस्थान के 12 और 2 जिले उत्तर प्रदेश के शामिल हैं जहां चीते घूमेंगे.''
यूपी राजस्थान में बनाई जाएंगी व्यवस्थाएं
डीएफओ के मुताबिक, '' जब चीतों को जंगल में छोड़ दिया जाएगा तो ऐसे में अन्य राज्यों में भी उनके हिसाब से कैपेसिटी बिल्डिंग चाहिए. क्योंकि जब वहां चीते जाएंगे तो उनकी ट्रैकिंग कैसे की जाएगी, उनके हिसाब से वेटरनरी डॉक्टर की ट्रेनिंग चाहिए, दवाईयां चाहिए और गाड़ियां चाहिए. इन सभी के बारे में चर्चा हुई.''
एमपी के बाहर भी नहीं होगी चीतों को शिकार की परेशानी
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में तो सीटों के भोजन के लिए चीतल उपलब्ध हैं लेकिन जब यह चीते दूसरे राज्यों में जाएंगे तो वहां उनके भोजन के लिए क्या व्यवस्था रहेगी इस बारे में भी वन विभाग सजग है. हालांकि, अधिकारियों के मुताबिक, दूसरे राज्यों के जंगलों में भी चीतल और ब्लैकबक हैं जिनका शिकार चीते भोजन के लिए कर सकते हैं. वन विभाग मॉनिटरिंग के साथ यह सुनिश्चित करेगा कि चीतों को भोजन की परेशानी का सामना न करना पड़े.
दोनों राज्यों में मॉनिटरिंग के लिए की जा रही प्लानिंग
मध्यप्रदेश में तो सीटों की सतत मॉनिटरिंग लगातार पिछले 2 सालों से की जा रही है, लेकिन जब यह चीते कूनो के बाड़े से बाहर निकाल कर खुले जंगल में घूमेंगे और मध्य प्रदेश की सीमा से बाहर जाएंगे उसे समय उनकी मॉनिटरिंग को लेकर अभी दोनों राज्यों से चर्चा चल रही है. इसकी प्लानिंग पर अभी काम किया जा रहा है. डीएफओ थिरुकुरल आर के मुताबिक, इसका फैसला चीतों को छोड़ने से ठीक पहले लिया जाएगा, यह प्लानिंग तभी की जाएगी.
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चीतों को अब नहीं किया जाएगा बेहोश
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तीन राज्यों के वन अधिकारियों के बीच हुई इंटर स्टेट मीटिंग में एक और अहम फैसला लिया गया है. हाल ही में बाहर से आई टीम ने कूनो में चीतों की देखभाल करने वाले स्टाफ और वन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी थी. लेकिन अब यह फैसला लिया गया है कि जब चीते खुले जंगल में होंगे तो उन्हें वापस लाने के लिए बेहोश नहीं किया जाएगा. उन्हें इस बात की आजादी दी जाएगी कि जब वे चाहे तब खुद लौट कर आ सकते हैं. उन्हें ट्रेंकुलाइज कर जबरन वापस नहीं लाया जाएगा. हालांकि गंभीर परिस्थितियों में चीतों को रेस्क्यू करने के लिए टीम जंगल में जाएगी. उस दौरान जरूरत पड़ने पर स्थिति के हिसाब से निर्णय लिए जाएंगे.