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लंदन में बैठे केमिकल इंजीनियर को आया सोना बनाने का आईडिया, फिर चंबल के इको फ्रेंडली प्रोडक्ट ने मचा दी धूम - GWALIOR BOY MADE STRAW PRODUCT

चंबल के युवाओं ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है. जिससे ना सिर्फ पर्यावरण को नुकसान से बचाया जा सकता है, बल्कि रोजगार का साधन बनाया जा सकता है. ये युवा अपने स्टार्टअप के जरिए कचरे से सोना बना रहे हैं. क्या है इन युवाओं का प्रयास और कैसे वह इस प्रयोग की शुरुआत आइए जानते हैं ETV भारत संवाददाता पीयूष श्रीवास्तव की इस खास रिपोर्ट में

GWALIOR BOY PRODUCT MADE FROM STRAW
चंबल के लड़के ने किया कमाल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 30, 2024, 9:22 AM IST

Updated : Aug 30, 2024, 9:32 AM IST

ग्वालियर/मुरैना: कहते हैं किसी के लिए कचरा दूसरे के लिए सोना हो सकता है. इस अवधारणा को यथार्थ कर रहे हैं चम्बल के कुछ युवा, जो बिना पेड़ काटे व पर्यवावरण को नुकसान पहुंचाए बिना पेपर के प्रोडक्ट्स तैयार कर रहे हैं. उन्होंने सबसे ज्यादा प्रदूषण के लिये जिम्मेदार फसलों की पराली से ये कारनामा कर दिखाया है. अब ना सिर्फ इसे अपना रोजगार बनाया बल्कि प्रकृति को भी बचाने का काम कर रहे हैं.

युवा अपने स्टार्टअप के जरिए कचरे से बना रहे सोना (ETV Bharat)

भारत में वायु प्रदूषण की बड़ी वजह है पराली

चंबल के मुरैना में स्थापित हुई क्रास्ट (CRASTE) कंपनी एक ऐसा स्टार्टअप है, जो धान की पराली का उपयोग अपने ट्री फ्री और प्लास्टिक फ्री प्रोडक्ट्स बनाने के लिए करती है. अमूमन धान की फसल पकने के बाद जब किसान उसमें से धान यानी चावल निकाल लेते हैं, तो बची हुई पराली जला दी जाती है. जिसकी वजह से भारी वायु प्रदूषण होता है. पंजाब और हरियाणा में ये बड़ी समस्या है और इसी पराली को नष्ट करने की बजाए क्रास्ट कंपनी के CEO और को फाउंडर शुभम सिंह ने अपने स्टार्टअप का बेस मटेरियल बनाया है. जिसकी वजह से वायु प्रदूषण को कम किया जा सके.

SUCCESS STORY OF SHUBHAM SINGH
पराली से तैयार किए ये प्रोडक्ट (ETV Bharat)

यूके के अखबार में पढ़ा, वायु प्रदूषण में अव्वल दिल्ली

ETV भारत से बात करते हुए शुभम सिंह ने बताया कि "वे केमिकल इंजीनियर हैं. उन्होंने अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई लंदन से की है. इस स्टार्टअप की बात करते हुए उन्होंने बताया कि अपनी पढ़ाई के दौरान एक दिन में लंदन में लाइब्रेरी में बैठे हुए थे और यूके के एक अखबार में उन्होंने पढ़ा कि भारत की नई दिल्ली वायु प्रदूषण में दुनिया का नंबर वन शहर बन गई है. यह बात पढ़कर उन्हें भी दुख हुआ कि आखिर हमारे देश की राजधानी दिल्ली वायु प्रदूषण में दुनिया में नंबर एक सिटी कैसे बन सकती है.''

पराली से उत्पाद बनाने की रिसर्च

शुभम सिंह ने बताया कि, ''मैंने इस बारे में रिसर्च की और ये फैसला किया कि पराली से कुछ ऐसा बनाए जिससे न सिर्फ पराली जलाने पर रोक लगे, बल्कि जंगल और पेड़ ही बच सके. वहीं से यह आइडिया दिमाग में आया. इसके बाद मैंने भारत आकर पराली से उत्पाद बनाने को लेकर अपनी इंजीनियरिंग स्किल का उपयोग कर इस स्टार्टअप की शुरुआत की.''

Chambal youth started startup
किसान को बनाया कंपनी को ब्रांड एंबेसडर (ETV Bharat)

गांव के किसान को बनाया ब्रांड एंबेसडर

शुभम सिंह की कंपनी ने मुरैना जिले के खेड़ा गांव के रहने वाले एक किसान बनवारी को अपने प्रोडक्ट्स का ब्रांड एम्बेसडर बनाया है. बनवारी ऐसे पहले किसान थे जिन्होंने यह निर्णय लिया था कि वे अपने खेत से निकली पराली को नहीं जलाएंगे. उन्होंने अपने खेत की पराली शुभम की कंपनी क्रास्ट को देने का फैसला किया. जिससे ईको फ्रेंडली और ट्री फ्री वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स बन सकें. इसलिए बतौर प्रोत्साहन शुभम की कम्पनी ने उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया. इसके पीछे एक सोच यह भी थी कि यदि किसान को ही ब्रांड एम्बेसडर बनाया जाएगा, तो इसे दूसरे किसान भी प्रेरित होंगे. वो खुद को इस स्टार्टअप से रिलेटेड भी कर सकेंगे.

पेपर से फर्नीचर ग्रीन बोर्ड तक हो रहे तैयार

आज उनका स्टार्टअप सफलता की ओर बढ़ रहा है. उनकी कंपनी दो तरह के प्रोडक्ट पराली से बना रही है. जिसमें पराली का पल्प बनाकर उससे पेपर और पैकेजिंग आइटम बनाया जाता है. जैसे पेपर, पेपरबैग्स, कोस्टर, डिस्पोजेबल टेबल कोस्टर, कार्ड्स और इसके अलावा टेबलवेयर आइटम्स. वहीं दूसरा प्रोडक्ट इंजीनियर्ड ग्रीन बोर्ड है. जिससे फर्नीचर बनता है और ये कंस्ट्रक्शन एप्लीकेशन के लिये भी उपयोग किया जा सकता है.

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दुनिया का पहला फ़ॉर्मल्डेहाईड फ्री बोर्ड पराली से बना

शुभम सिंह के मुताबिक, ''उनकी कम्पनी द्वारा बनाए जा रहे ग्रीन बोर्ड दुनिया के पहले ऐसे बोर्ड हैं, जो पूरी तरह फॉर्मल्डेहाईड फ्री है. बता दें कि फॉर्मल्डेहाईड एक ऐसा केमिकल हैं, जिससे कैंसर हो सकता है. ये हमारे आस पास मौजूद हर फर्नीचर में होता है, लेकिन लोगों को इसका पता नहीं है और इस पर उन्होंने रिसर्च की और दुनिया का पहला फॉर्मल्डेहाईड फ्री ग्रीन बोर्ड लॉन्च किया, जो 100% पराली से बना है."

ग्वालियर/मुरैना: कहते हैं किसी के लिए कचरा दूसरे के लिए सोना हो सकता है. इस अवधारणा को यथार्थ कर रहे हैं चम्बल के कुछ युवा, जो बिना पेड़ काटे व पर्यवावरण को नुकसान पहुंचाए बिना पेपर के प्रोडक्ट्स तैयार कर रहे हैं. उन्होंने सबसे ज्यादा प्रदूषण के लिये जिम्मेदार फसलों की पराली से ये कारनामा कर दिखाया है. अब ना सिर्फ इसे अपना रोजगार बनाया बल्कि प्रकृति को भी बचाने का काम कर रहे हैं.

युवा अपने स्टार्टअप के जरिए कचरे से बना रहे सोना (ETV Bharat)

भारत में वायु प्रदूषण की बड़ी वजह है पराली

चंबल के मुरैना में स्थापित हुई क्रास्ट (CRASTE) कंपनी एक ऐसा स्टार्टअप है, जो धान की पराली का उपयोग अपने ट्री फ्री और प्लास्टिक फ्री प्रोडक्ट्स बनाने के लिए करती है. अमूमन धान की फसल पकने के बाद जब किसान उसमें से धान यानी चावल निकाल लेते हैं, तो बची हुई पराली जला दी जाती है. जिसकी वजह से भारी वायु प्रदूषण होता है. पंजाब और हरियाणा में ये बड़ी समस्या है और इसी पराली को नष्ट करने की बजाए क्रास्ट कंपनी के CEO और को फाउंडर शुभम सिंह ने अपने स्टार्टअप का बेस मटेरियल बनाया है. जिसकी वजह से वायु प्रदूषण को कम किया जा सके.

SUCCESS STORY OF SHUBHAM SINGH
पराली से तैयार किए ये प्रोडक्ट (ETV Bharat)

यूके के अखबार में पढ़ा, वायु प्रदूषण में अव्वल दिल्ली

ETV भारत से बात करते हुए शुभम सिंह ने बताया कि "वे केमिकल इंजीनियर हैं. उन्होंने अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई लंदन से की है. इस स्टार्टअप की बात करते हुए उन्होंने बताया कि अपनी पढ़ाई के दौरान एक दिन में लंदन में लाइब्रेरी में बैठे हुए थे और यूके के एक अखबार में उन्होंने पढ़ा कि भारत की नई दिल्ली वायु प्रदूषण में दुनिया का नंबर वन शहर बन गई है. यह बात पढ़कर उन्हें भी दुख हुआ कि आखिर हमारे देश की राजधानी दिल्ली वायु प्रदूषण में दुनिया में नंबर एक सिटी कैसे बन सकती है.''

पराली से उत्पाद बनाने की रिसर्च

शुभम सिंह ने बताया कि, ''मैंने इस बारे में रिसर्च की और ये फैसला किया कि पराली से कुछ ऐसा बनाए जिससे न सिर्फ पराली जलाने पर रोक लगे, बल्कि जंगल और पेड़ ही बच सके. वहीं से यह आइडिया दिमाग में आया. इसके बाद मैंने भारत आकर पराली से उत्पाद बनाने को लेकर अपनी इंजीनियरिंग स्किल का उपयोग कर इस स्टार्टअप की शुरुआत की.''

Chambal youth started startup
किसान को बनाया कंपनी को ब्रांड एंबेसडर (ETV Bharat)

गांव के किसान को बनाया ब्रांड एंबेसडर

शुभम सिंह की कंपनी ने मुरैना जिले के खेड़ा गांव के रहने वाले एक किसान बनवारी को अपने प्रोडक्ट्स का ब्रांड एम्बेसडर बनाया है. बनवारी ऐसे पहले किसान थे जिन्होंने यह निर्णय लिया था कि वे अपने खेत से निकली पराली को नहीं जलाएंगे. उन्होंने अपने खेत की पराली शुभम की कंपनी क्रास्ट को देने का फैसला किया. जिससे ईको फ्रेंडली और ट्री फ्री वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स बन सकें. इसलिए बतौर प्रोत्साहन शुभम की कम्पनी ने उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया. इसके पीछे एक सोच यह भी थी कि यदि किसान को ही ब्रांड एम्बेसडर बनाया जाएगा, तो इसे दूसरे किसान भी प्रेरित होंगे. वो खुद को इस स्टार्टअप से रिलेटेड भी कर सकेंगे.

पेपर से फर्नीचर ग्रीन बोर्ड तक हो रहे तैयार

आज उनका स्टार्टअप सफलता की ओर बढ़ रहा है. उनकी कंपनी दो तरह के प्रोडक्ट पराली से बना रही है. जिसमें पराली का पल्प बनाकर उससे पेपर और पैकेजिंग आइटम बनाया जाता है. जैसे पेपर, पेपरबैग्स, कोस्टर, डिस्पोजेबल टेबल कोस्टर, कार्ड्स और इसके अलावा टेबलवेयर आइटम्स. वहीं दूसरा प्रोडक्ट इंजीनियर्ड ग्रीन बोर्ड है. जिससे फर्नीचर बनता है और ये कंस्ट्रक्शन एप्लीकेशन के लिये भी उपयोग किया जा सकता है.

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शुभम सिंह के मुताबिक, ''उनकी कम्पनी द्वारा बनाए जा रहे ग्रीन बोर्ड दुनिया के पहले ऐसे बोर्ड हैं, जो पूरी तरह फॉर्मल्डेहाईड फ्री है. बता दें कि फॉर्मल्डेहाईड एक ऐसा केमिकल हैं, जिससे कैंसर हो सकता है. ये हमारे आस पास मौजूद हर फर्नीचर में होता है, लेकिन लोगों को इसका पता नहीं है और इस पर उन्होंने रिसर्च की और दुनिया का पहला फॉर्मल्डेहाईड फ्री ग्रीन बोर्ड लॉन्च किया, जो 100% पराली से बना है."

Last Updated : Aug 30, 2024, 9:32 AM IST
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