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ग्वालियर आगरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे निर्माण पर लगा ब्रेक, किसानों के आगे रुकी गाड़ी, अफसरों को छूटे पसीने - GWALIOR AGRA GREENFIELD EXPRESSWAY

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 25, 2024, 6:46 AM IST

भारत में आज हर तरफ हाईवे, एक्सप्रेसवे, सड़कों के जाल बिछ रहे हैं. पहियों को रफ्तार देने तेजी से बड़े बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहे हैं. लेकिन इस बीच अचानक उत्तर प्रदेश से मध्यप्रदेश को जोड़ने वाले एक महत्वपूर्ण एक्सप्रेस-वे पर ब्रेक लग गया है.

GWALIOR AGRA GREENFIELD EXPRESSWAY
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे निर्माण पर लगा ब्रेक (NHAI official 'X' account Image)

GWALIOR GREENFIELD EXPRESSWAY: सुरक्षित और तेज सफर अब एक्सप्रेसवे की देन हैं. देश में तमाम एक्सप्रेस वे बन चुके हैं और कई निर्माणाधीन है. इन एक्सप्रेस वे का सबसे बड़ा फायदा सड़क मार्ग की कम समय में ज्यादा दूरी तय करना है. ऐसा ही एक एक्सप्रेसवे ग्वालियर और आगरा के बीच प्रस्तावित है. 4600 करोड़ से अधिक लागत से बनने जा रहे इस ग्वालियर आगरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे की डीपीआर बनकर तैयार है, लेकिन जो तैयार नहीं हैं वे हैं किसान. क्योंकि यहां किसानों के आगे सारे सिस्टम फेल हो गये हैं. जिनकी खेती की जमीन इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए अधिग्रहण की जानी है.

32 किलोमीटर कम होगी दूरी
वर्तमान में ग्वालियर से आगरा के बीच 120 किलोमीटर का रास्ता वाहन चालक नेशनल हाईवे 44 से 3 घंटे समय पूरा करते हैं. ऐसे में इस दूरी को घटाकर कर 88 किलोमीटर तक लाने के लिए केंद्र सरकार ने आगरा और ग्वालियर के बीच एक नया एक्सप्रेस वे ग्वालियर आगरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनाने का फैसला किया है. जिसकी बदौलत यह दूरी महज़ 1 घंटे में पूरी हो सकेगी. नया एक्सप्रेसवे प्रस्तावित हो चुका है और निर्माण के लिए तैयार है. इसके लिए सरकार 7347 किसानों की जमीन अधिग्रहण करेगी.

जमीन देने को तैयार नहीं किसान
जमीन अधिग्रहण को लेकर काम शुरू ही हुआ था कि, मुरैना जिले के 3 हजार किसानों ने इसका विरोध करते हुए अपनी जमीन देने से इनकार कर दिया. जिसकी बड़ी वजह अधिग्रहण के एवज में मिलने वाला मुआवजा है. मुरैना के किसान अब अपनी जमीन एक्सप्रेसवे के लिए देने को तैयार नहीं हैं. किसानों का कहना है कि उनकी जमीन कलेक्ट्रेट रेट पर अधिग्रहण की जा रही जबकि सामान्य रूप से उनकी जमीन की कीमत पांच गुना है. जमीन अधिग्रहण के एवज में अभी उन्हें 10 लाख रुपए प्रति हैक्टेयर मुआवजा देने की बात कही जा रही है. जबकि उनके क्षेत्र में जमीन की कीमत 50 लाख रुपए प्रति हैक्टेयर चल रही है. इस तरह उन्हें काफी नुकसान होगा.

किसानों को दी जा रही समझाइश
अब जब किसान भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं तो प्रशासन भी उन्हें समझाने की भरसक कोशिश कर रहा है. मुरैना एसडीएम भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि, ''जो किसान विरोध कर रहे हैं उन्हें समझाया जा रहा है क्योंकि उनकी जमीन ग्रामीण क्षेत्र की है और इसकी वजह से वहां कलेक्ट्रेट रेट भी कम है. ऐसे में शासन के द्वारा तय नियमों के अनुसार ही मुआवजा दिया जाना है. हालांकि फिलहाल पीएम सम्मान निधि में पंजीकृत किसानों की लिस्ट से सिर्फ खाता संख्या ली जा रही है. अधिग्रहण के लिए आवश्यक पैनकार्ड और आधार कार्ड की जानकारी किसानों से ही ली जाएगी. जमीन के मुआवजे की बड़ी डिमांड के बारे में भी जल्द शासन को अवगत करायेंगे.''

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तीन राज्यों के बीच गुज़रेगा एक्सप्रेस-वे
बता दें कि, आगरा और ग्वालियर के बीच बनने जा रहा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे मध्यप्रदेश के साथ-साथ राजस्थान और उत्तरप्रदेश जिले से होकर गुजरेगा. इसके लिए ग्वालियर, मुरैना, धौलपुर और आगरा के बीच रूट तय किया गया है. इसमें सबसे अधिक क्षेत्र मुरैना का चिन्हित है जहां के 42 गांव में जमीन अधिग्रहण होगी. यह एक्सप्रेस-वे 6 लेन होगा. साथ ही इस रूट पर ईंधन, फूड कॉम्प्लेक्स और सिक्योरिटी की व्यवस्था वाहन चालकों को उपलब्ध करायी जायेगी.

GWALIOR GREENFIELD EXPRESSWAY: सुरक्षित और तेज सफर अब एक्सप्रेसवे की देन हैं. देश में तमाम एक्सप्रेस वे बन चुके हैं और कई निर्माणाधीन है. इन एक्सप्रेस वे का सबसे बड़ा फायदा सड़क मार्ग की कम समय में ज्यादा दूरी तय करना है. ऐसा ही एक एक्सप्रेसवे ग्वालियर और आगरा के बीच प्रस्तावित है. 4600 करोड़ से अधिक लागत से बनने जा रहे इस ग्वालियर आगरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे की डीपीआर बनकर तैयार है, लेकिन जो तैयार नहीं हैं वे हैं किसान. क्योंकि यहां किसानों के आगे सारे सिस्टम फेल हो गये हैं. जिनकी खेती की जमीन इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए अधिग्रहण की जानी है.

32 किलोमीटर कम होगी दूरी
वर्तमान में ग्वालियर से आगरा के बीच 120 किलोमीटर का रास्ता वाहन चालक नेशनल हाईवे 44 से 3 घंटे समय पूरा करते हैं. ऐसे में इस दूरी को घटाकर कर 88 किलोमीटर तक लाने के लिए केंद्र सरकार ने आगरा और ग्वालियर के बीच एक नया एक्सप्रेस वे ग्वालियर आगरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनाने का फैसला किया है. जिसकी बदौलत यह दूरी महज़ 1 घंटे में पूरी हो सकेगी. नया एक्सप्रेसवे प्रस्तावित हो चुका है और निर्माण के लिए तैयार है. इसके लिए सरकार 7347 किसानों की जमीन अधिग्रहण करेगी.

जमीन देने को तैयार नहीं किसान
जमीन अधिग्रहण को लेकर काम शुरू ही हुआ था कि, मुरैना जिले के 3 हजार किसानों ने इसका विरोध करते हुए अपनी जमीन देने से इनकार कर दिया. जिसकी बड़ी वजह अधिग्रहण के एवज में मिलने वाला मुआवजा है. मुरैना के किसान अब अपनी जमीन एक्सप्रेसवे के लिए देने को तैयार नहीं हैं. किसानों का कहना है कि उनकी जमीन कलेक्ट्रेट रेट पर अधिग्रहण की जा रही जबकि सामान्य रूप से उनकी जमीन की कीमत पांच गुना है. जमीन अधिग्रहण के एवज में अभी उन्हें 10 लाख रुपए प्रति हैक्टेयर मुआवजा देने की बात कही जा रही है. जबकि उनके क्षेत्र में जमीन की कीमत 50 लाख रुपए प्रति हैक्टेयर चल रही है. इस तरह उन्हें काफी नुकसान होगा.

किसानों को दी जा रही समझाइश
अब जब किसान भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं तो प्रशासन भी उन्हें समझाने की भरसक कोशिश कर रहा है. मुरैना एसडीएम भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि, ''जो किसान विरोध कर रहे हैं उन्हें समझाया जा रहा है क्योंकि उनकी जमीन ग्रामीण क्षेत्र की है और इसकी वजह से वहां कलेक्ट्रेट रेट भी कम है. ऐसे में शासन के द्वारा तय नियमों के अनुसार ही मुआवजा दिया जाना है. हालांकि फिलहाल पीएम सम्मान निधि में पंजीकृत किसानों की लिस्ट से सिर्फ खाता संख्या ली जा रही है. अधिग्रहण के लिए आवश्यक पैनकार्ड और आधार कार्ड की जानकारी किसानों से ही ली जाएगी. जमीन के मुआवजे की बड़ी डिमांड के बारे में भी जल्द शासन को अवगत करायेंगे.''

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