ETV Bharat / state

गुरु पूर्णिमा कल, गुरुओं की आराधना करने पर मिलेगा आशीर्वाद - Guru Purnima festival - GURU PURNIMA FESTIVAL

सनातन धर्म में आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या गुरु पूजन दिवस के रूप में मनाने की परंपरा रही है. भारतीय संस्कृति में गुरु शिष्य परंपरा और उसके महत्व को दर्शाने के लिए ही गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है. इस दिन विशेष आयोजन होंगे और गुरु शिष्य परंपरा को मानने वाले अपने गुरुओं का पूजन करेंगे.

Guru Purnima festival
गुरु पूर्णिमा पर्व 21 जुलाई को (PHOTO ETV Bharat Bikaner)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 20, 2024, 9:33 AM IST

बीकानेर: गुरु और शिष्य की परंपरा का महत्व बताने वाला गुरु पूर्णिमा पर्व इस बार रविवार 21 जुलाई को आएगा. धर्म शास्त्रों में उल्लेख है कि गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊपर है. जीवन में पथ प्रदर्शक की भूमिका में गुरु को माना गया है, इसलिए कहा गया हैं कि गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाय. गुरु मानव जीवन में शिक्षा और उपदेश के माध्यम से अध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को प्रशस्त करता है. यह दिवस महर्षि वेदव्यास के जन्म की स्मृति में व्यास पूर्णिमा भी कहलाता है. महर्षि वेदव्यास को आदि गुरु माना जाता है. उन्हें श्रीमद्भागवतगीता, महाभारत, ब्रह्मसूत्र, मीमांसा और पुराणों का रचियता माना जाता है. गुरु पूर्णिमा का बौद्ध धर्म में भी विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध ने सारनाथ, उत्तर प्रदेश में पहला धम्म या धार्मिक उपदेश दिया था.

भगवान शिव ने दिया था ज्ञान: पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि हमारे धर्म शास्त्रों में गुरु पूर्णिमा सनातन धर्म संस्कृति को बताती है. आदिगुरु परमेश्वर शिव ने समस्त ऋषि मुनियों को शिष्य के रूप में ज्ञान प्रदान किया था. गुरु पूर्णिमा के दिन घरों मन्दिरों और मठों में गुरुओं की पूजा अर्चना और गुरु पादुका पूजन के साथ संन्यासी महात्मा लोग व्यास पीठ की पूजा करते हैं और मंदिरों मठों में रुद्राभिषेक कार्यक्रम होते हैं. संत संन्यासी महात्मा इस दिन से चातुर्मास व्रत की शुरुआत करते हैं और आध्यात्मिक धार्मिक अनुष्ठान करते हैं.

पढ़ें: Guru Purnima Special : शिवानी मंडल, ऐसी गुरु जिसने जिंदगी से सीखा और अपने बच्चों को आगे बढ़ना सिखाया

त्रिदेव के समान दर्जा: पञ्चांगकर्ता पंडित किराडू बताते हैं कि हमारे धर्म शास्त्रों सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा का अत्यधिक महत्त्व है. धर्मशास्त्रों में गुरु का सर्वोच्च पद बतलाते हुए गुरु को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और साक्षात परम ब्रह्म माना गया है. सही अर्थ में गुरु ही अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करके उचित और सही दिशा में बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है. गुरु शब्द से तात्पर्य जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है और गुरु का तात्पर्य आध्यात्मिक शिक्षक से है. मनुष्य का प्रथम गुरु उसके माता पिता होते हैं.

महर्षि वेद व्यास का जन्म: हमारे धर्म शास्त्रों में मनुष्य के जीवन और समाज निर्माण में गुरु एक अभिन्न- अंग है. गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा कर उनसे आशीर्वाद ग्रहण करता है. मान्यता के अनुसार इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. सनातन धर्म में महर्षि व्यास को प्रथम गुरु का दर्जा प्राप्त है.

ये भी पढ़ें: गुरु पूर्णिमा पर बेटे संग वसुंधरा राजे ने लिया संतों का आशीर्वाद, बालाजी मंदिर में की महाआरती

ऐसे करें पूजन: पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करने के पश्चात अपने गुरु का पूजन करना चाहिए.उनके चरण छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए. यदि कोई गुरू नहीं बनाया है तो महर्षि वेदव्यास जी की स्मृति में या उनकी प्रतिमा के सामने रोली, चंदन, पुष्प, फल और प्रसाद अर्पित कर गुरु मंत्र का जाप करें. इस दिन महर्षि वेदव्यास के अतिरिक्त धार्मिक व शैक्षणिक गुरुओं की उपासना और उनसे आशीर्वाद लेने की परंपरा भी भारतीय संस्कृति में रही है.

कब है पूर्णिमा: पञ्चांगकर्ता किराडू ने बताया कि गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई रविवार के दिन है. हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. पूर्णिमा की तिथि 20 जुलाई को शाम 6 बजे से शुरू होकर 21 जुलाई 3 बजकर 47 मिनट तक है. लेकिन उदया तिथि होने के चलते यह 21 जुलाई को ही मानी जाएगी.

बीकानेर: गुरु और शिष्य की परंपरा का महत्व बताने वाला गुरु पूर्णिमा पर्व इस बार रविवार 21 जुलाई को आएगा. धर्म शास्त्रों में उल्लेख है कि गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊपर है. जीवन में पथ प्रदर्शक की भूमिका में गुरु को माना गया है, इसलिए कहा गया हैं कि गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाय. गुरु मानव जीवन में शिक्षा और उपदेश के माध्यम से अध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को प्रशस्त करता है. यह दिवस महर्षि वेदव्यास के जन्म की स्मृति में व्यास पूर्णिमा भी कहलाता है. महर्षि वेदव्यास को आदि गुरु माना जाता है. उन्हें श्रीमद्भागवतगीता, महाभारत, ब्रह्मसूत्र, मीमांसा और पुराणों का रचियता माना जाता है. गुरु पूर्णिमा का बौद्ध धर्म में भी विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध ने सारनाथ, उत्तर प्रदेश में पहला धम्म या धार्मिक उपदेश दिया था.

भगवान शिव ने दिया था ज्ञान: पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि हमारे धर्म शास्त्रों में गुरु पूर्णिमा सनातन धर्म संस्कृति को बताती है. आदिगुरु परमेश्वर शिव ने समस्त ऋषि मुनियों को शिष्य के रूप में ज्ञान प्रदान किया था. गुरु पूर्णिमा के दिन घरों मन्दिरों और मठों में गुरुओं की पूजा अर्चना और गुरु पादुका पूजन के साथ संन्यासी महात्मा लोग व्यास पीठ की पूजा करते हैं और मंदिरों मठों में रुद्राभिषेक कार्यक्रम होते हैं. संत संन्यासी महात्मा इस दिन से चातुर्मास व्रत की शुरुआत करते हैं और आध्यात्मिक धार्मिक अनुष्ठान करते हैं.

पढ़ें: Guru Purnima Special : शिवानी मंडल, ऐसी गुरु जिसने जिंदगी से सीखा और अपने बच्चों को आगे बढ़ना सिखाया

त्रिदेव के समान दर्जा: पञ्चांगकर्ता पंडित किराडू बताते हैं कि हमारे धर्म शास्त्रों सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा का अत्यधिक महत्त्व है. धर्मशास्त्रों में गुरु का सर्वोच्च पद बतलाते हुए गुरु को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और साक्षात परम ब्रह्म माना गया है. सही अर्थ में गुरु ही अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करके उचित और सही दिशा में बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है. गुरु शब्द से तात्पर्य जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है और गुरु का तात्पर्य आध्यात्मिक शिक्षक से है. मनुष्य का प्रथम गुरु उसके माता पिता होते हैं.

महर्षि वेद व्यास का जन्म: हमारे धर्म शास्त्रों में मनुष्य के जीवन और समाज निर्माण में गुरु एक अभिन्न- अंग है. गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा कर उनसे आशीर्वाद ग्रहण करता है. मान्यता के अनुसार इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. सनातन धर्म में महर्षि व्यास को प्रथम गुरु का दर्जा प्राप्त है.

ये भी पढ़ें: गुरु पूर्णिमा पर बेटे संग वसुंधरा राजे ने लिया संतों का आशीर्वाद, बालाजी मंदिर में की महाआरती

ऐसे करें पूजन: पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करने के पश्चात अपने गुरु का पूजन करना चाहिए.उनके चरण छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए. यदि कोई गुरू नहीं बनाया है तो महर्षि वेदव्यास जी की स्मृति में या उनकी प्रतिमा के सामने रोली, चंदन, पुष्प, फल और प्रसाद अर्पित कर गुरु मंत्र का जाप करें. इस दिन महर्षि वेदव्यास के अतिरिक्त धार्मिक व शैक्षणिक गुरुओं की उपासना और उनसे आशीर्वाद लेने की परंपरा भी भारतीय संस्कृति में रही है.

कब है पूर्णिमा: पञ्चांगकर्ता किराडू ने बताया कि गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई रविवार के दिन है. हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. पूर्णिमा की तिथि 20 जुलाई को शाम 6 बजे से शुरू होकर 21 जुलाई 3 बजकर 47 मिनट तक है. लेकिन उदया तिथि होने के चलते यह 21 जुलाई को ही मानी जाएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.