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गुरु घासीदास जयंती पर जानिए क्या है मनखे मनखे एक समान का संदेश - GURU GHASIDAS JAYANTI 2024

Guru Ghasidas Jayanti 2024 गुरु घासीदास जयंती पर सीएम विष्णुदेव साय, राज्यपाल रमेन डेका ने प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी है.

Guru ghasidas jayanti 2024
गुरु घासीदास जयंती (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 18, 2024, 6:49 AM IST

Updated : Dec 18, 2024, 2:42 PM IST

रायपुर: गुरु घासीदास को सतनामी समाज का जनक कहा जाता है. 18 दिसंबर 1756 को बलौदाबाजार जिले के कसडोल ब्लॉक के छोटे से गांव गिरौदपुरी में घासीदास का जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम महंगूदास और मां का नाम अमरौतिन बाई है. कहा जाता है कि बाबा का जन्म अलौकिक शक्तियों के साथ हुआ था.

मनखे मनखे एक समान का संदेश: घासीदास के जन्म के समय समाज में छुआछूत और भेदभाव चरम पर था. घासीदास ने समाज में व्याप्त बुराइयों को जब देखा तब उनके मन में बहुत पीड़ा हुई तब उन्होंने समाज से छुआछूत मिटाने के लिए 'मनखे मनखे एक समान' का संदेश दिया. उन्होंने समाज को सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का उपदेश दिया. उन्होंने मांस और मदिरा सेवन को समाज में पूरी तरह से बंद करवा दिया था. उनके द्वारा दिये गए उपदेश को जिसने आत्मसात कर जीवन में उतारा उसी समाज को आगे चलकर सतनामी समाज के रूप में जाना जाने लगा.

गिरौदपुरी धाम: गिरौदपुरी में गुरु घासीदास का जन्म हुआ. गिरौदपुरी बलौदाबाजार से 40 किलोमीटर दूर महानदी और जोंक नदियों के संगम से स्थित है. बाबा गुरु घासीदास से जुड़ा होने के कारण गिरौदपुरी छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है. सत्य और अहिंसा का संदेश देने के लिए गिरौदपुरी धाम में सबसे बड़े जैतखाम का निर्माण किया गया है. इस जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर है.

जैतखाम क्या होता है: सतनामी समाज में जैतखाम सबसे पवित्र और पूजनीय ध्वज वाला स्तंभ होता है. जैतखाम छत्तीसगढ़ी भाखा का शब्द है. जैत का अर्थ जय यानि कि विजय और खाम का मतलब खंभा होता है. जैतखाम को सतनामी समुदाय के लोग गांव और मोहल्ले में प्रमुख स्थल और चबूतरे पर लगाते हैं. इसमें सफेद रंग का ध्वज लगा होता है. जिसकी पूजा सतनामी समाज के लोग करते हैं. हर साल 18 दिसंबर को गुरु घासीदास जयंती पर प्रदेशभर के सतनामी समाज के लोग गिरौदपुरी पहुंचते हैं.

गुरु घासीदास ने दिखाया मानवीय गुणों के विकास का रास्ता: सीएम विष्णुदेव साय ने सतनाम पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरु घासीदास की जयंती पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. सीएम ने कहा बाबा गुरु घासीदास ने अपने उपदेशों के माध्यम से दुनिया को सत्य, अहिंसा और सामाजिक सद्भावना का रास्ता दिखाया. उन्होंने सम्पूर्ण मानव जाति को ’मनखे-मनखे एक समान’ का प्रेरक संदेश देकर समानता और मानवता का पाठ पढ़ाया. बाबाने छत्तीसगढ़ में सामाजिक और आध्यात्मिक जागरण की आधारशिला रखी. सीएम ने कहा कि गुरु घासीदास का जीवन दर्शन और विचार मूल्य आज भी प्रासंगिक और मानव जाति के लिए अनुकरणीय हैं.

राज्यपाल ने गुरु घासीदास जयंती की दी शुभकामनाएं: राज्यपाल रमेन डेका ने संत बाबा गुरु घासीदास की जयंती पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी है. राज्यपाल डेका ने कहा कि महान संत बाबा घासीदास ने सामाजिक, आर्थिक, शोषण और जातिवाद, सामंतियों के अन्याय और अत्याचार के विरूद्ध आवाज उठायी. उन्होंने मानव-मानव एक समान है का संदेश देकर सद्मार्ग में चलने का रास्ता दिखाया. राज्यपाल ने कहा कि समाज को एकता के सूत्र में पिरोने वाले बाबा घासीदास शांति, समरसता और सद्भावना के प्रतीक हैं.

18 दिसंबर शुष्क दिवस: गुरु घासीदास जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है. इसके अलावा इस दिन को ड्राई डे भी घोषित किया गया है. इस दिन पूरे प्रदेश में शराब की दुकानें बंद रहेंगी. गुरु घासीदास जयंती के मौके पर प्रदेशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.

गुरु घासीदास विश्वविद्यालय: गुरु घासीदास के नाम पर बिलासपुर में केंद्रीय विश्वविद्यालय भी है. यह केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009, के 2009 के 25 नं. के तहत स्थापित किया गया है. GGU भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ और राष्ट्रमंडल विश्वविद्यालय संघ का एक सक्रिय सदस्य है. 16 जून, 1983 को इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया गया.

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रायपुर: गुरु घासीदास को सतनामी समाज का जनक कहा जाता है. 18 दिसंबर 1756 को बलौदाबाजार जिले के कसडोल ब्लॉक के छोटे से गांव गिरौदपुरी में घासीदास का जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम महंगूदास और मां का नाम अमरौतिन बाई है. कहा जाता है कि बाबा का जन्म अलौकिक शक्तियों के साथ हुआ था.

मनखे मनखे एक समान का संदेश: घासीदास के जन्म के समय समाज में छुआछूत और भेदभाव चरम पर था. घासीदास ने समाज में व्याप्त बुराइयों को जब देखा तब उनके मन में बहुत पीड़ा हुई तब उन्होंने समाज से छुआछूत मिटाने के लिए 'मनखे मनखे एक समान' का संदेश दिया. उन्होंने समाज को सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का उपदेश दिया. उन्होंने मांस और मदिरा सेवन को समाज में पूरी तरह से बंद करवा दिया था. उनके द्वारा दिये गए उपदेश को जिसने आत्मसात कर जीवन में उतारा उसी समाज को आगे चलकर सतनामी समाज के रूप में जाना जाने लगा.

गिरौदपुरी धाम: गिरौदपुरी में गुरु घासीदास का जन्म हुआ. गिरौदपुरी बलौदाबाजार से 40 किलोमीटर दूर महानदी और जोंक नदियों के संगम से स्थित है. बाबा गुरु घासीदास से जुड़ा होने के कारण गिरौदपुरी छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है. सत्य और अहिंसा का संदेश देने के लिए गिरौदपुरी धाम में सबसे बड़े जैतखाम का निर्माण किया गया है. इस जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर है.

जैतखाम क्या होता है: सतनामी समाज में जैतखाम सबसे पवित्र और पूजनीय ध्वज वाला स्तंभ होता है. जैतखाम छत्तीसगढ़ी भाखा का शब्द है. जैत का अर्थ जय यानि कि विजय और खाम का मतलब खंभा होता है. जैतखाम को सतनामी समुदाय के लोग गांव और मोहल्ले में प्रमुख स्थल और चबूतरे पर लगाते हैं. इसमें सफेद रंग का ध्वज लगा होता है. जिसकी पूजा सतनामी समाज के लोग करते हैं. हर साल 18 दिसंबर को गुरु घासीदास जयंती पर प्रदेशभर के सतनामी समाज के लोग गिरौदपुरी पहुंचते हैं.

गुरु घासीदास ने दिखाया मानवीय गुणों के विकास का रास्ता: सीएम विष्णुदेव साय ने सतनाम पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरु घासीदास की जयंती पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. सीएम ने कहा बाबा गुरु घासीदास ने अपने उपदेशों के माध्यम से दुनिया को सत्य, अहिंसा और सामाजिक सद्भावना का रास्ता दिखाया. उन्होंने सम्पूर्ण मानव जाति को ’मनखे-मनखे एक समान’ का प्रेरक संदेश देकर समानता और मानवता का पाठ पढ़ाया. बाबाने छत्तीसगढ़ में सामाजिक और आध्यात्मिक जागरण की आधारशिला रखी. सीएम ने कहा कि गुरु घासीदास का जीवन दर्शन और विचार मूल्य आज भी प्रासंगिक और मानव जाति के लिए अनुकरणीय हैं.

राज्यपाल ने गुरु घासीदास जयंती की दी शुभकामनाएं: राज्यपाल रमेन डेका ने संत बाबा गुरु घासीदास की जयंती पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी है. राज्यपाल डेका ने कहा कि महान संत बाबा घासीदास ने सामाजिक, आर्थिक, शोषण और जातिवाद, सामंतियों के अन्याय और अत्याचार के विरूद्ध आवाज उठायी. उन्होंने मानव-मानव एक समान है का संदेश देकर सद्मार्ग में चलने का रास्ता दिखाया. राज्यपाल ने कहा कि समाज को एकता के सूत्र में पिरोने वाले बाबा घासीदास शांति, समरसता और सद्भावना के प्रतीक हैं.

18 दिसंबर शुष्क दिवस: गुरु घासीदास जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है. इसके अलावा इस दिन को ड्राई डे भी घोषित किया गया है. इस दिन पूरे प्रदेश में शराब की दुकानें बंद रहेंगी. गुरु घासीदास जयंती के मौके पर प्रदेशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.

गुरु घासीदास विश्वविद्यालय: गुरु घासीदास के नाम पर बिलासपुर में केंद्रीय विश्वविद्यालय भी है. यह केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009, के 2009 के 25 नं. के तहत स्थापित किया गया है. GGU भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ और राष्ट्रमंडल विश्वविद्यालय संघ का एक सक्रिय सदस्य है. 16 जून, 1983 को इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया गया.

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Last Updated : Dec 18, 2024, 2:42 PM IST
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