गुना। मध्यप्रदेश की गुना लोकसभा सीट से भाजपा के चयनित प्रत्याशी व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शनिवार को गुना जिले में आयोजित आदिवासी चौपाल में शामिल हुए. जहां उन्होंने आदिवासी समाज के लोगों के साथ पंगत में बैठकर दाल बाटी का लुत्फ उठाया. उन्होंने आदिवासी महिला राजकुमारी को अपने हाथों से खाना भी खिलाया. इस दौरान उन्होंने घूंघट डाले बैठी राजकुमारी से कहा कि 'लो न राजकुमारी अब इतना शर्माओ मत'. वहीं आदिवासी चौपाल में उनके द्वारा संबोधित करते हुए किए गए विकास कार्यों का बखान भी किया. इस दौरान उन्होंने उनके क्षेत्र के एक गांव में बैलगाड़ी चलाने की कहानी भी सुनाई.
सुनाई बैलगाड़ी वाली कहानी
सिंधिया ने बताया कि ''उस गांव में लाइट ही नहीं थी और न जाने के लिए सड़क. जब में ग्रामीणों के साथ गांव जाने के लिए निकला तो मैंने खुद बैलगाड़ी भी चलाई और जब में वहां से लौटा तो मैंने निश्चय किया की इस गांव में दोबारा तभी आऊंगा जब यह लाइट और सड़क होगी. उस समय में मंत्री भी नहीं था केवल सांसद था, मैंने जैसे तैसे करके गांव के लिए सब स्टेशन मंजूर कराया और जब सब स्टेशन लेकर ट्रक गांव में जाने लगा तो उसका एक्सेल टूट गया. उससे पहले मैंने छह माह में गांव के लिए सड़क मंजूर कराई और उसी रास्ते से ट्रक को पहुंचाया और उस गांव में आज भी बिजली जल रही है.''
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जड़े मजबूत करने में जुटे सिंधिया
गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गांव की कहानी सुनाने के दौरान अपने आपको सांसद बताया और वे सांसद कांग्रेस सरकार में रहे हैं. ऐसे में उन्होंने मौजूदा जन समूह को अपने वे हर काम गिनाए जो उन्होंने सांसद रहते हुए किए. फिर भी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी के रूप मैदान में उतरे सिंधिया को उन्हीं के सहयोगी रहे वर्तमान सांसद केपी यादव के सामने हार का सामना करना पड़ा. अब वर्ष 2024 में भाजपा ने केपी यादव का टिकट काटकर सिंधिया को प्रत्याशी बनाया है, जो अब अपनी जड़े मजबूत करने में लगे हैं. यही कारण है कि उन्होंने गुना जिले के बमोरी में आदिवासियों के साथ बैठकर पहले दाल बाटी का लुत्फ उठाया और पूर्व में अपने कार्यकाल के दौरान किए गए विकास कार्यों का बखान भी किया.