भोपाल। मध्यप्रदेश के स्कूलों में बीते 18 वर्ष से काम कर रहे अतिथि शिक्षक लंबे समय से नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं. अब इनका कहना है कि सरकार ने अतिशेष शिक्षकों की भर्ती का दांव खेलकर उन्हे सड़कों पर आने मजबूर कर दिया है. प्रदेश में करीब 35 हजार अतिशेष शिक्षकों की सूची आने के बाद अब अतिथि शिक्षकों का मामला फिर लटकता दिखाई दे रहा है. इस सूची के बाद अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति फिर अटक गई है. हालांकि इन शिक्षकों को अगस्त महीने से ही स्कूलों में पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया जाना था लेकिन अब ये खटाई में पड़ता दिखाई दे रहा है.
परफार्मेंस के आधार पर बाहर हो चुके हैं कई अतिथि शिक्षक
अतिथि शिक्षक संघ का कहना है कि अतिशेष शिक्षकों की वजह से 80 फीसदी से ज्यादा शिक्षक इसी सत्र में बेरोजगार हो जाएंगे. असल में 10वी व 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम अच्छा नहीं आने के बाद तय था कि अगस्त से अतिथि शिक्षक कक्षाएं लेंगे लेकिन रिक्त पदों में ना अतिथि शिक्षको की भर्ती हुई ना उन्हें पढ़ाने आमंत्रित किये जाने पर भी रोक लगा दी गई. बता दें कि ये पहला मौका नहीं है. इसके पहले भी बोर्ड परीक्षाओं में परफारमेंस के आधार पर स्कूल शिक्षा विभाग ने ये कह दिया था कि 30 फीसदी के नीचे अगर रिजल्ट आया तो उन अतिथि शिक्षकों को फिर से मौका नहीं दिया जाएगा. 12 हजार से ज्यादा अतिथि शिक्षक इसी में बाहर हो गए.
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शिक्षक दिवस पर प्रदेश भर में आंदोलन की तैयारी
अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष शंभु चरण दुबे बताते हैं "16 साल से अतिथि शिक्षकों को नियमित किये जाने का अश्वासन दिया जा रहा है. जिस तरह से अब अतिशेष शिक्षकों को रखा जाएगा. उसके बाद तय मानिए कि 40-45साल की उम्र में हम शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे. अब तक 22 अतिथि शिक्षक खुदकुशी कर चुके हैं.शिक्षक दिवस पर 5 सतम्बर को पूरे प्रदेश में शिक्षक प्रदर्शन करेंगे.' वहीं, लोक शिक्षक विभाग की आयुक्त शिल्पा गुप्ता का कहना है "पहले चरण में अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग के बाद खाली पदों पर भर्ती होगी. उसके बाद अतिथि शिक्षक आमंत्रित किए जाएंगे."