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जोधपुर एम्स को 100 करोड़ रुपये की जीएसटी मांग को लेकर नोटिस, जानिए डिटेल - GST notice to AIIMS jodhpur - GST NOTICE TO AIIMS JODHPUR

जीएसटी चुकाने को लेकर एम्स जोधपुर एक नए संकट में फंस गया है. जीएसटी विभाग ने एम्स को स्वायत्तशासी निकाय मानते हुए इसके निर्माण कार्य में हुए खर्च पर जीएसटी देने का नोटिस दिया है. वहीं एम्स का मानना है कि इसका निर्माण सीपीडब्ल्यूडी ने किया है, जोकि एक सरकारी विभाग है.

GST notice to AIIMS jodhpur
एम्स सरकारी नहीं स्वायत्त संस्था (Photo ETV Bharat Jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 30, 2024, 10:19 AM IST

जोधपुर: केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग (सेंट्रल जीएसटी) ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर को 100 करोड़ रुपए की जीएसटी जमा नहीं कराने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है. एम्स जोधपुर का निर्माण केंद्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने करवाया है. चूंकि सीपीडब्ल्यूडी सरकारी विभाग है और सरकार कभी भी टैक्स नहीं देती है, इसलिए यहां भी जीएसटी नहीं दिया गया. लेकिन जीएसटी के अधिकारियों का तर्क है कि चूंकि एम्स अपने आपको स्वायत्तशासी संस्थान मानता है. ऐसे में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के अंतर्गत यह नोटिस जारी हुआ है. इसके तहत निर्माण कार्य में जितना पैसा लगा, उस पर जीएसटी बनता है तो सरकार को जमा कराना चाहिए था.

जोधपुर जीएसटी के अतिरिक्त उपायुक्त (सेंट्रल) महीपाल सिंह के अनुसार हमनें रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत एम्स जोधपुर को जीएसटी जमा कराने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है. देशभर में सभी एम्स को ऐसे नोटिस जारी हुए हैं. उल्लेखनीय है कि सेंट्रल जीएसटी ने एम्स देहरादून के एक मामले को लेकर देशभर के सभी 20 एम्स को जीएसटी जमा नहीं कराने पर नोटिस भेजे हैं. सभी की राशि अलग-अलग है. नोटिस मिलने के बाद जोधपुर एम्स प्रशासन इस मामले में कर एवं वित्तीय सलाहकारों से राय मशविरा कर रहा है. अगर एम्स प्रशासन नोटिस को जवाब नहीं देता है तो उसे जीएसटी भरना पड़ेगा.

टैक्स की पड़ेगी मरीजों पर मार: देश में स्वास्थ्य सेवाएं जीएसटी मुक्त है. एम्स की ओर से डॉक्टरी चेकअप, ऑपरेशन, क्लिनिकल जांचें वगैरह जो भी सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है. उस पर मरीज से जीएसटी नहीं लिया जाता. एम्स अगर निर्माण कार्यों पर जीएसटी भरता है तो उसका इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) केवल खातों में ही रह जाएगा. ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं पर जीरो जीएसटी की अवधारणा कागज में रह जाएगी. हालांकि निजी अस्तपालों को जीएसटी में छूट नहीं है. उनको हर काम के लिए जीएसटी देना होता है. वे इसका इनपुट नहीं ले सकते, क्योंकि स्वास्थ्य सेवा पर जीएसटी नहीं वसूल सकते.

जोधपुर: केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग (सेंट्रल जीएसटी) ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर को 100 करोड़ रुपए की जीएसटी जमा नहीं कराने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है. एम्स जोधपुर का निर्माण केंद्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने करवाया है. चूंकि सीपीडब्ल्यूडी सरकारी विभाग है और सरकार कभी भी टैक्स नहीं देती है, इसलिए यहां भी जीएसटी नहीं दिया गया. लेकिन जीएसटी के अधिकारियों का तर्क है कि चूंकि एम्स अपने आपको स्वायत्तशासी संस्थान मानता है. ऐसे में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के अंतर्गत यह नोटिस जारी हुआ है. इसके तहत निर्माण कार्य में जितना पैसा लगा, उस पर जीएसटी बनता है तो सरकार को जमा कराना चाहिए था.

जोधपुर जीएसटी के अतिरिक्त उपायुक्त (सेंट्रल) महीपाल सिंह के अनुसार हमनें रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत एम्स जोधपुर को जीएसटी जमा कराने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है. देशभर में सभी एम्स को ऐसे नोटिस जारी हुए हैं. उल्लेखनीय है कि सेंट्रल जीएसटी ने एम्स देहरादून के एक मामले को लेकर देशभर के सभी 20 एम्स को जीएसटी जमा नहीं कराने पर नोटिस भेजे हैं. सभी की राशि अलग-अलग है. नोटिस मिलने के बाद जोधपुर एम्स प्रशासन इस मामले में कर एवं वित्तीय सलाहकारों से राय मशविरा कर रहा है. अगर एम्स प्रशासन नोटिस को जवाब नहीं देता है तो उसे जीएसटी भरना पड़ेगा.

टैक्स की पड़ेगी मरीजों पर मार: देश में स्वास्थ्य सेवाएं जीएसटी मुक्त है. एम्स की ओर से डॉक्टरी चेकअप, ऑपरेशन, क्लिनिकल जांचें वगैरह जो भी सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है. उस पर मरीज से जीएसटी नहीं लिया जाता. एम्स अगर निर्माण कार्यों पर जीएसटी भरता है तो उसका इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) केवल खातों में ही रह जाएगा. ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं पर जीरो जीएसटी की अवधारणा कागज में रह जाएगी. हालांकि निजी अस्तपालों को जीएसटी में छूट नहीं है. उनको हर काम के लिए जीएसटी देना होता है. वे इसका इनपुट नहीं ले सकते, क्योंकि स्वास्थ्य सेवा पर जीएसटी नहीं वसूल सकते.

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