इटावा : इटावा में जिला अस्पताल, पुलिस और रेलवे पुलिस की घोर लापरवाही देखने को मिली है. सात दिन पहले मिले अज्ञात बुजुर्ग के मामले में तालमेल के अभाव के चलते शव सात दिनों से शवगृह में पड़ा है. नियमानुसार शिनाख्त ने होने के अभाव में अज्ञात शवों का 72 घंटे बाद अंतिम संस्कार करा दिया जाता है. इसके बावजूद इस मामले में किसी ने सुध नहीं ली.
जानकारी के अनुसार इटावा रेलवे स्टेशन परिसर में पांच मार्च की शाम एक अज्ञात 75 वर्षीय बुजुर्ग बेसुध पड़ा हुआ था. आरपीएफ की टीम ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां दो घंटे बाद बुजुर्ग की मौत हो गई. अस्पताल प्रशासन ने शव को शवगृह में रखवा दिया और सूचना क्षेत्रीय थाने सिविल लाइन को भेज दी. हालांकि सिविल लाइन थाने ने घटनास्थल के थाने जीआरपी को सूचना नहीं दी. इसके चलते सात दिनों तक शव अस्पताल के शव गृह में पड़ा रहा. मामला मीडिया में पहुंचा तो आननफानन जीआरपी और क्षेत्रीय पुलिस एक्टिव हुई.
जीआरपी थाने के सब इंस्पेक्टर अनिल कुमार ने बताया कि शव पांच मार्च से शव गृह में रखा हुआ था. मुझे सात दिन बाद मेमो मिला है. इसके बाद कार्यवाही की जा रही है. मेरे पास सिविल लाइन से कोई मेमो नहीं आया था और न ही कोई कागज भेजा गया. बुधवार को दो सिपाही मेमो लेकर पहुंचे थे. जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जा रही है. अभी तक बुजुर्ग की पहचान नहीं हो सकी है. वहीं जिला अस्पताल के डॉ. शिवमोहन यादव ने बताया कि पांच मार्च को आरपीएफ ने अज्ञात बुजुर्ग पुरुष को जिला अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया था. जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी. शव को शव गृह में रखवा दिया गया था और इस मामले को जानकारी सिविल लाइन थाने को दी गई थी. 12 मार्च को जीआरपी ने शव को कब्जे में लेकर मोर्चरी में रखवा दिया है.