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सूखे पेड़ों की आड़ में हरे पेड़ों को काट रहे वन विभाग के कर्मचारी, ग्रामीणों का अधिकारियों पर 'काली कमाई' का आरोप - कैथल में हरे पेड़ों की कटाई

Green Trees Cutting In Kaithal: हरियाणा के कैथल जिले के सीवन में सूखे पेड़ों की आड़ में हरे पेड़ काटे जा रहे हैं. इस मामले को लेकर वन विभाग के अधिकारी बलजीत सिंह ने कहा कि वन विकास निगम कुरुक्षेत्र को विभाग की तरफ से केवल सूखे पेड़ काटने की ही अनुमति है. अगर हरे पेड़ काटे जा रहे हैं तो आरोपियों के खिलाफ एक्शन होगा.

Green Trees Cutting In Kaithal
Green Trees Cutting In Kaithal
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 3, 2024, 1:33 PM IST

सूखे पेड़ों की आड़ में हरे पेड़ों को काट रहे वन विभाग के कर्मचारी

कैथल: एक तरफ हरियाणा सरकार प्राण वायु देवता योजना के तहत हरे पेड़ों को पेंशन दे रही है. ताकि लोग पेड़ों का संरक्षण कर सके. वन विभाग के जिन अधिकारियों के कंधों पर पेड़ बचाने की जिम्मेदारी है. वो अधिकारी सरकार की इस योजना को पलीता लगाने में जुटे हैं. विकास निगम कुरुक्षेत्र के कुछ कर्मचारियों अपनी काली कमाई करने के लिए सूखे पेड़ काटने की आड़ में हरे भरे पेड़ों की जड़ों में आरी चला दी.

कैथल में काटे जा रहे हरे पेड़: मामला सीवन से फिरोजपुर रोड पर खड़े सफेदे के सेकड़ों पेड़ों को काटने का है, जहां निगम के कर्मचरियों ने सूखे पेड़ों के साथ हरे पेड़ों को भी काटा जा रहा है. ये कटाई कई दिनों से चल रही है. हालांकि वन विभाग कैथल की तरफ से अपनी सफाई में कहा जा रहा है कि प्रत्येक वर्ष जिले की विभिन्न सड़कों पर खड़े सूखे पेड़ों की निगम द्वारा कटवाई करवाई जाती है.

उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे पेड़ भी होते हैं. जो सड़क पर झुके होने के कारण राहगीरों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं, इसलिए इनको काटने के लिए विभाग से बकायदा अनुमति भी ली जाती है, वहीं फिरोजपुर के ग्रामीणों ने कहा कि इस बार विभाग द्वारा सूखे पेड़ों की आड़ में हरे पेड़ों की भी बलि दी जा रही है. काटे गए अधिकतर पेड़ हरे और स्वस्थ हैं, जिनमें कुछ पेड़ तो बहुत ज्यादा मोटे हैं, इससे साफ जाहिर होता है कि निगम के कर्मचारी लालच के कारण सूखे पेड़ों के साथ हरे पेड़ों को भी काट रहे हैं.

ऐसे होता है काली कमाई का पूरा खेल: दरअसल सूखे पेड़ों की बजाय हरे पेड़ों में वजन ज्यादा होता है. वजन ज्यादा होने के कारण उनको बेचते समय दाम भी अधिक मिलते हैं. जहां सूखे पेड़ अधिक होते हैं. वहां ये कटाई नहीं करते, क्योंकि उन सूखे पेड़ों में वजन कम होता है. इसलिए जहां उनको फायदा होता है. वहीं पर ये सूखे पेड़ों की आड़ में हरे पेड़ों को काटते हैं. जब सड़कों पर सूखे पेड़ रह जाते हैं.

सूखे पेड़ काटने की प्रक्रिया: हर वर्ष पेड़ काटने का काम वन विकास निगम कुरूक्षेत्र के द्वारा किया जाता है. जिसमें वन विभाग की तरफ से जिले की तमाम सड़कों और अन्य सरकारी जगहों पर खड़े सूखे पेड़ों की मार्किंग करके उनकी एक लिस्ट तैयार की जाती है. जिसके बाद वो लिस्ट निगम को भेजी जाती और निगम उन सभी सूखे पेड़ों की कीमत वन विभाग को जमा करवा देता है. इसके बाद निगम के कर्मचारी सूखे पेड़ों को काटकर ले जाते हैं. जिनको बाद में बोली लगा कर अच्छे दामों में बेच दिया जाता है.

मामले की जांच जारी: इस मामले को लेकर रेंज अधिकारी बलजीत सिंह ने कहा कि वन विकास निगम कुरुक्षेत्र को विभाग की तरफ से केवल सूखे पेड़ काटने की ही अनुमति है. यदि हरे पेड़ काटे जा रहे हैं तो वो मौके पर जाकर निरीक्षण करेंगे. अगर सही में हरे पेड़ काटे गए हैं, तो निश्चित तौर जिम्मेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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सूखे पेड़ों की आड़ में हरे पेड़ों को काट रहे वन विभाग के कर्मचारी

कैथल: एक तरफ हरियाणा सरकार प्राण वायु देवता योजना के तहत हरे पेड़ों को पेंशन दे रही है. ताकि लोग पेड़ों का संरक्षण कर सके. वन विभाग के जिन अधिकारियों के कंधों पर पेड़ बचाने की जिम्मेदारी है. वो अधिकारी सरकार की इस योजना को पलीता लगाने में जुटे हैं. विकास निगम कुरुक्षेत्र के कुछ कर्मचारियों अपनी काली कमाई करने के लिए सूखे पेड़ काटने की आड़ में हरे भरे पेड़ों की जड़ों में आरी चला दी.

कैथल में काटे जा रहे हरे पेड़: मामला सीवन से फिरोजपुर रोड पर खड़े सफेदे के सेकड़ों पेड़ों को काटने का है, जहां निगम के कर्मचरियों ने सूखे पेड़ों के साथ हरे पेड़ों को भी काटा जा रहा है. ये कटाई कई दिनों से चल रही है. हालांकि वन विभाग कैथल की तरफ से अपनी सफाई में कहा जा रहा है कि प्रत्येक वर्ष जिले की विभिन्न सड़कों पर खड़े सूखे पेड़ों की निगम द्वारा कटवाई करवाई जाती है.

उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे पेड़ भी होते हैं. जो सड़क पर झुके होने के कारण राहगीरों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं, इसलिए इनको काटने के लिए विभाग से बकायदा अनुमति भी ली जाती है, वहीं फिरोजपुर के ग्रामीणों ने कहा कि इस बार विभाग द्वारा सूखे पेड़ों की आड़ में हरे पेड़ों की भी बलि दी जा रही है. काटे गए अधिकतर पेड़ हरे और स्वस्थ हैं, जिनमें कुछ पेड़ तो बहुत ज्यादा मोटे हैं, इससे साफ जाहिर होता है कि निगम के कर्मचारी लालच के कारण सूखे पेड़ों के साथ हरे पेड़ों को भी काट रहे हैं.

ऐसे होता है काली कमाई का पूरा खेल: दरअसल सूखे पेड़ों की बजाय हरे पेड़ों में वजन ज्यादा होता है. वजन ज्यादा होने के कारण उनको बेचते समय दाम भी अधिक मिलते हैं. जहां सूखे पेड़ अधिक होते हैं. वहां ये कटाई नहीं करते, क्योंकि उन सूखे पेड़ों में वजन कम होता है. इसलिए जहां उनको फायदा होता है. वहीं पर ये सूखे पेड़ों की आड़ में हरे पेड़ों को काटते हैं. जब सड़कों पर सूखे पेड़ रह जाते हैं.

सूखे पेड़ काटने की प्रक्रिया: हर वर्ष पेड़ काटने का काम वन विकास निगम कुरूक्षेत्र के द्वारा किया जाता है. जिसमें वन विभाग की तरफ से जिले की तमाम सड़कों और अन्य सरकारी जगहों पर खड़े सूखे पेड़ों की मार्किंग करके उनकी एक लिस्ट तैयार की जाती है. जिसके बाद वो लिस्ट निगम को भेजी जाती और निगम उन सभी सूखे पेड़ों की कीमत वन विभाग को जमा करवा देता है. इसके बाद निगम के कर्मचारी सूखे पेड़ों को काटकर ले जाते हैं. जिनको बाद में बोली लगा कर अच्छे दामों में बेच दिया जाता है.

मामले की जांच जारी: इस मामले को लेकर रेंज अधिकारी बलजीत सिंह ने कहा कि वन विकास निगम कुरुक्षेत्र को विभाग की तरफ से केवल सूखे पेड़ काटने की ही अनुमति है. यदि हरे पेड़ काटे जा रहे हैं तो वो मौके पर जाकर निरीक्षण करेंगे. अगर सही में हरे पेड़ काटे गए हैं, तो निश्चित तौर जिम्मेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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