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Northern Bypass Kota : सेकंड फेज का काम शुरू होने की उम्मीद, 80 फीसदी भूमि का अधिग्रहण पूरा

Green Field Northern Bypass, ढाई साल से अटके नॉर्दर्न बाइपास के सेकंड फेज का काम शुरू होने की उम्मीद. 80 फीसदी भूमि का अधिग्रहण पूरा.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

Northern Bypass Kota
नॉर्दर्न बाइपास के फेज सेकंड (ETV Bharat GFX)

कोटा: नॉर्दर्न बाइपास के फेज सेकंड के लिए मार्च 2022 में स्वीकृत भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने जारी कर दी थी, लेकिन पूरी तरह से ग्रीन फील्ड बनने वाले इस बाइपास के लिए जमीन अधिग्रहण ही एक चुनौती बन गया था. जबकि बीते दो महीना में जबरदस्त काम इस प्रोजेक्ट को लेकर हुआ है और लगभग 80 फीसदी जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है. इसके बाद ठेकेदार इस पर निर्माण शुरू कर सकता है.

सार्वजनिक निर्माण विभाग के नेशनल हाईवे खंड के अधिशासी अभियंता मुकेश गुप्ता का कहना है कि प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 12.915 किलोमीटर है. इसमें से 10.30 किलोमीटर तक की जमीन खाताधारकों से मुक्त करवा ली गई है. इसको पीडब्ल्यूडी ने अपने कब्जे में ले लिया है. संवेदक कोई 80 फीसदी जमीन पर निर्माण शुरू करने के लिए भी कहा है. ऐसे में अगले महीने से निर्माण शुरू हो जाएगा. एक्सईएन मुकेश गुप्ता का कहना है कि 2 महीना में काफी अच्छी प्रगति इस प्रोजेक्ट में हुई है. जहां पर 2 महीने पहले मार्च 37.57 करोड़ का भुगतान ही खाताधारकों को उनकी जमीन के मुआवजे के रूप में मिला था, जबकि यह मुआवजा अब 65 करोड़ बंट गया है. अब करीब 13 करोड़ के आसपास मुआवजा और वितरित करना है.

नॉर्दर्न बाइपास के सेकंड फेज का काम शुरू होने की उम्मीद (ETV Bharat Kota)

2022 दिसंबर में लगा दिया था कंपनी ने प्लांट : केंद्र सरकार ने साल 2022 में इस प्रोजेक्ट के लिए 317.74 करोड रुपए जारी किए थे, जिसमें बाइपास निर्माण के लिए 187.45 करोड़ और भूमि अधिकरण के लिए 97.06 करोड़ थे. पीडब्ल्यूडी ने टेंडर के जरिए संवेदक फर्म मैसर्स राजाराम कंस्ट्रक्शन कंपनी से निर्माण के लिए जनवरी 2023 में एग्रीमेंट किया था. इसके बाद कंपनी ने प्लांट भी लगा दिया था. करीब डेढ़ साल से कंपनी ने प्लांट लगाया हुआ है, लेकिन निर्माण के लिए जगह मौजूद नहीं थी. इसीलिए यह अटका हुआ था.

पढ़ें : Special : 8 साल से सपना बना नॉर्दन बाइपास, निर्माण के लिए जमीन की दरकार, पेश आ रही हैं ये दिक्कतें

8 साल से अटका हुआ है फेज वन का काम : नॉर्दर्न बाइपास के पहले फेज का भी काम अटका हुआ है. इसमें अधूरे रेलवे और ब्रिज को बनाना है, साथ ही कुछ मीटर सड़क का भी निर्माण किया जाना है. यह मामला न्यायालय में लंबित है. इसमें कुछ खातेदारों को मुआवजा नहीं मिला है. मुआवजे की राशि कम होने के चलते ही यह विवाद भी खड़ा हुआ था. इसी के चलते निर्माण कोटा डेवलपमेंट अथॉरिटी नहीं करवा पा रही है. साल 2016 में यह निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन 8 साल गुजर जाने के बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं.

इस तरह होगा कोटा रिंग रोड का निर्माण : नॉर्दर्न बाइपास फेज 1 और 2 का निर्माण पूरा हो जाने के बाद कोटा की पूरी पेरीफेरी में एक रिंग रोड बन जाएगा, जहां से नॉर्दर्न बाइपास फेज 1 नेशनल हाईवे 27 से झालीपुरा के नजदीक से निकल रहा है. इसके बाद यह नेशनल हाईवे 27 कोटा बाइपास के रूप में आगे बढ़ता है. इसमें झालावाड़ रोड से नेशनल हाईवे 52 भी मिल जाता है. यह हैंगिंग ब्रिज को क्रॉस कर देता है. इसके बाद नेशनल हाईवे 52 अलग होकर शंभूपुरा होते हुए बूंदी जिले की सीमा में बल्लोप तक पहुंचता है, जहां पर नॉर्दर्न बाइपास फेज 2 खत्म हो रहा है.

पढ़ें : भरतपुर समेत प्रदेश के 9 प्रमुख शहरों में 12 बाईपास निर्माण की डीपीआर स्वीकृत, मिलेगी जाम से निजात - Rajasthan Bypass Project

बचेगा 17 किलोमीटर का फेरा : वर्तमान में हैंगिंग ब्रिज होकर आने वाला रास्ता 45 किमी है, जबकि नॉर्दर्न बाइपास फेज केशोरायपाटन रोड पर खत्म हो रहा है. यहां से ही फेज 2 शुरू होकर बल्लोप पहुंच रहा है. यह पूरी तरह से ग्रीन फील्ड और नया बनाया गया था. दोनों मिलकर यह 28 किलोमीटर के आसपास हैं. ऐसे में बारां की तरफ से आने वाले वाहन जयपुर इस रास्ते से जाएंगे तो उन्हें 17 किलोमीटर की बचत होगी.

कोटा: नॉर्दर्न बाइपास के फेज सेकंड के लिए मार्च 2022 में स्वीकृत भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने जारी कर दी थी, लेकिन पूरी तरह से ग्रीन फील्ड बनने वाले इस बाइपास के लिए जमीन अधिग्रहण ही एक चुनौती बन गया था. जबकि बीते दो महीना में जबरदस्त काम इस प्रोजेक्ट को लेकर हुआ है और लगभग 80 फीसदी जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है. इसके बाद ठेकेदार इस पर निर्माण शुरू कर सकता है.

सार्वजनिक निर्माण विभाग के नेशनल हाईवे खंड के अधिशासी अभियंता मुकेश गुप्ता का कहना है कि प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 12.915 किलोमीटर है. इसमें से 10.30 किलोमीटर तक की जमीन खाताधारकों से मुक्त करवा ली गई है. इसको पीडब्ल्यूडी ने अपने कब्जे में ले लिया है. संवेदक कोई 80 फीसदी जमीन पर निर्माण शुरू करने के लिए भी कहा है. ऐसे में अगले महीने से निर्माण शुरू हो जाएगा. एक्सईएन मुकेश गुप्ता का कहना है कि 2 महीना में काफी अच्छी प्रगति इस प्रोजेक्ट में हुई है. जहां पर 2 महीने पहले मार्च 37.57 करोड़ का भुगतान ही खाताधारकों को उनकी जमीन के मुआवजे के रूप में मिला था, जबकि यह मुआवजा अब 65 करोड़ बंट गया है. अब करीब 13 करोड़ के आसपास मुआवजा और वितरित करना है.

नॉर्दर्न बाइपास के सेकंड फेज का काम शुरू होने की उम्मीद (ETV Bharat Kota)

2022 दिसंबर में लगा दिया था कंपनी ने प्लांट : केंद्र सरकार ने साल 2022 में इस प्रोजेक्ट के लिए 317.74 करोड रुपए जारी किए थे, जिसमें बाइपास निर्माण के लिए 187.45 करोड़ और भूमि अधिकरण के लिए 97.06 करोड़ थे. पीडब्ल्यूडी ने टेंडर के जरिए संवेदक फर्म मैसर्स राजाराम कंस्ट्रक्शन कंपनी से निर्माण के लिए जनवरी 2023 में एग्रीमेंट किया था. इसके बाद कंपनी ने प्लांट भी लगा दिया था. करीब डेढ़ साल से कंपनी ने प्लांट लगाया हुआ है, लेकिन निर्माण के लिए जगह मौजूद नहीं थी. इसीलिए यह अटका हुआ था.

पढ़ें : Special : 8 साल से सपना बना नॉर्दन बाइपास, निर्माण के लिए जमीन की दरकार, पेश आ रही हैं ये दिक्कतें

8 साल से अटका हुआ है फेज वन का काम : नॉर्दर्न बाइपास के पहले फेज का भी काम अटका हुआ है. इसमें अधूरे रेलवे और ब्रिज को बनाना है, साथ ही कुछ मीटर सड़क का भी निर्माण किया जाना है. यह मामला न्यायालय में लंबित है. इसमें कुछ खातेदारों को मुआवजा नहीं मिला है. मुआवजे की राशि कम होने के चलते ही यह विवाद भी खड़ा हुआ था. इसी के चलते निर्माण कोटा डेवलपमेंट अथॉरिटी नहीं करवा पा रही है. साल 2016 में यह निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन 8 साल गुजर जाने के बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं.

इस तरह होगा कोटा रिंग रोड का निर्माण : नॉर्दर्न बाइपास फेज 1 और 2 का निर्माण पूरा हो जाने के बाद कोटा की पूरी पेरीफेरी में एक रिंग रोड बन जाएगा, जहां से नॉर्दर्न बाइपास फेज 1 नेशनल हाईवे 27 से झालीपुरा के नजदीक से निकल रहा है. इसके बाद यह नेशनल हाईवे 27 कोटा बाइपास के रूप में आगे बढ़ता है. इसमें झालावाड़ रोड से नेशनल हाईवे 52 भी मिल जाता है. यह हैंगिंग ब्रिज को क्रॉस कर देता है. इसके बाद नेशनल हाईवे 52 अलग होकर शंभूपुरा होते हुए बूंदी जिले की सीमा में बल्लोप तक पहुंचता है, जहां पर नॉर्दर्न बाइपास फेज 2 खत्म हो रहा है.

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बचेगा 17 किलोमीटर का फेरा : वर्तमान में हैंगिंग ब्रिज होकर आने वाला रास्ता 45 किमी है, जबकि नॉर्दर्न बाइपास फेज केशोरायपाटन रोड पर खत्म हो रहा है. यहां से ही फेज 2 शुरू होकर बल्लोप पहुंच रहा है. यह पूरी तरह से ग्रीन फील्ड और नया बनाया गया था. दोनों मिलकर यह 28 किलोमीटर के आसपास हैं. ऐसे में बारां की तरफ से आने वाले वाहन जयपुर इस रास्ते से जाएंगे तो उन्हें 17 किलोमीटर की बचत होगी.

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