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गैरसैंण में सड़कों पर उतरा लोगों का भारी हुजूम, निकाली गई महारैली, रखी ये तीन मांगे - Maharally in Gairsain - MAHARALLY IN GAIRSAIN

Maharally in Gairsain चमोली के गैरसैंण में मूलनिवास, भू-कानून और स्थायी राजधानी की मांग को लेकर महारैली का आयोजन किया गया. रैली में हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे. इस दौरान यूकेडी कार्यकर्ताओं के पहुंचने से हंगामा भी हुआ.

Maharally in Gairsain
गैरसैंण में महारैली का आयोजन (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 1, 2024, 5:16 PM IST

Updated : Sep 1, 2024, 5:42 PM IST

गैरसैंण में सड़कों पर उतरा लोगों का भारी हुजूम (VIDEO -ETV Bharat)

गैरसैंण: मूल निवास भू-कानून संघर्ष समिति के बैनर तले आज रविवार को ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में मूल निवास, भू-कानून और स्थायी राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर हजारों की संख्या में मौजूद महिला मंगलदलों, पुरुषों, स्थानीय निवासियों, व्यापारियों, राजनीतिक दलों और उत्तराखंड राज्य के विभिन्न जिलों से आए लोगों ने महारैली में प्रतिभाग किया. इस मौके पर हजारों की संख्या में गैरसैंण पहुंचे आंदोलकारियों ने रामलीला मैदान गैरसैंण से डाकबंगला रोड होते हुए मूल निवास, भू-कानून और गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाए जाने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन और नारेबाजी की.

गैरसैंण के रामलीला मैदान में आयोजित महारैली से पूर्व उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान खटीमा गोलीकांड में शहीद हुए शहीद राज्य आंदोलनकारियों को संघर्ष समिति ने श्रद्धांजलि दी. इसके बादर महारैली कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने जनसभा को संबोधित करते हुए भाजपा, कांग्रेस और यूकेडी को आड़े हाथों लिया. उन्होंने भाजपा, कांग्रेस और यूकेडी को उत्तराखंड के साथ छलावा करने वाली पार्टी बताया.

UKD कार्यकर्ताओं के बीच गहमागहमी: वहीं जनसभा के बीच उत्तराखंड क्रांति दल के दर्जन भर कार्यकर्ता भी अपने झंडों के साथ जनसभा स्थल पर पहुंच गए. जिनका मौजूद जनता और संघर्ष समिति ने जमकर विरोध किया. उन्होंने कहा कि पूर्व में ही यह तय किया गया था कि यह आंदोलन पूर्ण रूप से गैर राजनीतिक आंदोलन है. इसमें किसी भी पार्टी का झंडा नहीं लाया जाएगा. इस बीच अपने झंडों के साथ पहुंचे यूकेडी के दर्जन भर कार्यकर्ताओं को विरोध का सामना करना पड़ा और जनता ने उन्हें खूब खरीखोटी सुनाई. साथ ही उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ताओं को जनसभा स्थल से बाहर खदेड़ दिया. इस दौरान हाथापाई की नौबत भी आई. लेकिन सभा स्थल पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने किसी तरह विरोध को शांत कराया.

गणेश गोदियाल को भी सुनाई खरीखोटी: वहीं दूसरी ओर महारैली में पहुंचे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल को भी संघर्ष समिति के विरोध का सामना करना पड़ा. संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कांग्रेस पार्टी को भी आड़े हाथों लेते हुए उनसे सवाल किए कि जब कांग्रेस की सरकार थी तो उस समय मूल-निवास, भू-कानून और गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित क्यों नहीं किया गया.

क्या बोले संघर्ष समिति के पदाधिकारी: मूल-निवास, भू-कानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि कुछ लोग इस आंदोलन को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं. डिमरी ने कहा कि उनके इन नाकाम मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जाएगा. हमारा ये संघर्ष और लड़ाई अंतिम सांस तक जारी रहेगी. चाहे इसके लिए हमे कोई भी कुर्बानी देनी पड़े. मोहित ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द मूल निवास, भू कानून और स्थायी राजधानी गैरसैंण पर निर्णय ले. अन्यथा आने वाले समय में पूरे प्रदेश भर में इससे भी बड़ा जनांदोलन किया जाएगा.

बेरोजगार संघ ने दिया समर्थन: आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि आज ये लड़ाई प्रदेश के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई बन चुकी है. उन्होंने कहा कि हमें इस लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ने की आवश्यकता है, जिससे हमारा और हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित हो सके. कहा कि हमारी ये लड़ाई मूल निवास, भू कानून, स्थायी राजधानी गैरसैंण और अपने जल-जंगल, रोजगार को बचाने की लड़ाई है. यह आंदोलन एक जन-आंदोलन है. वक्त आ गया है कि हमें अपने अधिकारों की लड़ाई को लड़ने के लिए एक होना होगा.

उत्तराखंड की डेमोग्राफी चेंज हो रही: संघर्ष समिति के गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी ने कहा कि लगातार उत्तराखंड की डेमोग्राफी चेंज हो रही है. प्रदेश से पलायन होने के बावजूद 40 लाख बाहरी लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी बन गए हैं. जिस कारण आज हमारे रोजगार पर भी बाहरी लोगों द्वारा डाका डाला जा रहा है. यही कारण है कि आज प्रदेशवासी मूल-निवास, सशक्त भू-कानून की मांग कर रहा है. गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाया जाना चाहिए, जिससे पहाड़ों की मूलभूत समस्याओं का समाधान हो सके.

लुसून टडोरिया ने कहा कि आज की महारैली ने पहाड़ समेत पूरे उत्तराखंड को जगाने का काम किया है. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि जल्द से जल्द उत्तराखंड में मूल निवास और सशक्त-भू कानून लागू किया जाए.

ये भी पढ़ें: मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति का उपवास, कहा- गैरसैंण के नाम पर बंद हो सैर सपाटा

ये भी पढ़ें: गैरसैंण में भू कानून संघर्ष समिति की बड़ी बैठक, लिये गये ऐतिहासिक निर्णय, एक क्लिक में पढ़ें

गैरसैंण में सड़कों पर उतरा लोगों का भारी हुजूम (VIDEO -ETV Bharat)

गैरसैंण: मूल निवास भू-कानून संघर्ष समिति के बैनर तले आज रविवार को ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में मूल निवास, भू-कानून और स्थायी राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर हजारों की संख्या में मौजूद महिला मंगलदलों, पुरुषों, स्थानीय निवासियों, व्यापारियों, राजनीतिक दलों और उत्तराखंड राज्य के विभिन्न जिलों से आए लोगों ने महारैली में प्रतिभाग किया. इस मौके पर हजारों की संख्या में गैरसैंण पहुंचे आंदोलकारियों ने रामलीला मैदान गैरसैंण से डाकबंगला रोड होते हुए मूल निवास, भू-कानून और गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाए जाने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन और नारेबाजी की.

गैरसैंण के रामलीला मैदान में आयोजित महारैली से पूर्व उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान खटीमा गोलीकांड में शहीद हुए शहीद राज्य आंदोलनकारियों को संघर्ष समिति ने श्रद्धांजलि दी. इसके बादर महारैली कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने जनसभा को संबोधित करते हुए भाजपा, कांग्रेस और यूकेडी को आड़े हाथों लिया. उन्होंने भाजपा, कांग्रेस और यूकेडी को उत्तराखंड के साथ छलावा करने वाली पार्टी बताया.

UKD कार्यकर्ताओं के बीच गहमागहमी: वहीं जनसभा के बीच उत्तराखंड क्रांति दल के दर्जन भर कार्यकर्ता भी अपने झंडों के साथ जनसभा स्थल पर पहुंच गए. जिनका मौजूद जनता और संघर्ष समिति ने जमकर विरोध किया. उन्होंने कहा कि पूर्व में ही यह तय किया गया था कि यह आंदोलन पूर्ण रूप से गैर राजनीतिक आंदोलन है. इसमें किसी भी पार्टी का झंडा नहीं लाया जाएगा. इस बीच अपने झंडों के साथ पहुंचे यूकेडी के दर्जन भर कार्यकर्ताओं को विरोध का सामना करना पड़ा और जनता ने उन्हें खूब खरीखोटी सुनाई. साथ ही उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ताओं को जनसभा स्थल से बाहर खदेड़ दिया. इस दौरान हाथापाई की नौबत भी आई. लेकिन सभा स्थल पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने किसी तरह विरोध को शांत कराया.

गणेश गोदियाल को भी सुनाई खरीखोटी: वहीं दूसरी ओर महारैली में पहुंचे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल को भी संघर्ष समिति के विरोध का सामना करना पड़ा. संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कांग्रेस पार्टी को भी आड़े हाथों लेते हुए उनसे सवाल किए कि जब कांग्रेस की सरकार थी तो उस समय मूल-निवास, भू-कानून और गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित क्यों नहीं किया गया.

क्या बोले संघर्ष समिति के पदाधिकारी: मूल-निवास, भू-कानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि कुछ लोग इस आंदोलन को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं. डिमरी ने कहा कि उनके इन नाकाम मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जाएगा. हमारा ये संघर्ष और लड़ाई अंतिम सांस तक जारी रहेगी. चाहे इसके लिए हमे कोई भी कुर्बानी देनी पड़े. मोहित ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द मूल निवास, भू कानून और स्थायी राजधानी गैरसैंण पर निर्णय ले. अन्यथा आने वाले समय में पूरे प्रदेश भर में इससे भी बड़ा जनांदोलन किया जाएगा.

बेरोजगार संघ ने दिया समर्थन: आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि आज ये लड़ाई प्रदेश के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई बन चुकी है. उन्होंने कहा कि हमें इस लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ने की आवश्यकता है, जिससे हमारा और हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित हो सके. कहा कि हमारी ये लड़ाई मूल निवास, भू कानून, स्थायी राजधानी गैरसैंण और अपने जल-जंगल, रोजगार को बचाने की लड़ाई है. यह आंदोलन एक जन-आंदोलन है. वक्त आ गया है कि हमें अपने अधिकारों की लड़ाई को लड़ने के लिए एक होना होगा.

उत्तराखंड की डेमोग्राफी चेंज हो रही: संघर्ष समिति के गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी ने कहा कि लगातार उत्तराखंड की डेमोग्राफी चेंज हो रही है. प्रदेश से पलायन होने के बावजूद 40 लाख बाहरी लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी बन गए हैं. जिस कारण आज हमारे रोजगार पर भी बाहरी लोगों द्वारा डाका डाला जा रहा है. यही कारण है कि आज प्रदेशवासी मूल-निवास, सशक्त भू-कानून की मांग कर रहा है. गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाया जाना चाहिए, जिससे पहाड़ों की मूलभूत समस्याओं का समाधान हो सके.

लुसून टडोरिया ने कहा कि आज की महारैली ने पहाड़ समेत पूरे उत्तराखंड को जगाने का काम किया है. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि जल्द से जल्द उत्तराखंड में मूल निवास और सशक्त-भू कानून लागू किया जाए.

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Last Updated : Sep 1, 2024, 5:42 PM IST
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