जगदलपुर: जगदलपुर के कलेक्ट्रेट में हुई बैठक में विश्व प्रसिध्द बस्तर दशहरा पर्व में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले ग्रामीण अंचलों से पहुंचे मांझी चालकियों ने अपनी बात प्रशासन के सामने रखी. बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम के ने बताया कि इस बैठक में पूरे संभाग से मांझी चालकी के अलावा अन्य दशहरा प्रमुख शामिल हुए थे और कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई. इस साल का बजट 1 करोड़ 50 लाख रुपये बनाया गया है ताकि भव्यता के साथ पर्व मनाया जा सके.
बस्तर सांसद महेश कश्यप की अध्यक्षता में बैठक हुई. दशहरा पर्व समिति के अध्यक्ष व बस्तर सांसद ने बताया कि ''इस पर्व को मनाने हर साल राज्य सरकार द्वारा राशि दी जाती है. इस वर्ष यह बजट 1 करोड़ 50 लाख रुपए का बनाया गया है. पिछले साल से यह राशि 40 लाख ज्यादा है.
बस्तर सांसद ने कहा कि ''कुछ लोगों को देवी दंतेश्वरी को मनाने व बस्तर दशहरा में आने से रोका जाता है. वर्षों पुरानी परंपरा को हमारे बस्तरवासी निभाते आ रहे है. इस तरह की भ्रांतियां ना फैलें, इसको लेकर आप सभी को ग्रामवासियों को समझाना होगा.''
बस्तर दशहरा आयोजन समिति के बैठक के बाद अतिथि और मांझी चालकी ने नकटी सेमरा में स्थित दशहरा वन स्थल में 251 पौधों को रोपण किया. यह पौधे बस्तर दशहरा में उपयोग की जाने वाली लकड़ी फुल से संबंधित पौधों का रोपण किया गया है.
दशहरा वन में पौधारोपण: बस्तर दशहरा में हर साल रथ निर्माण के लिए लगभग 200 पेड़ काटा जाता है. रथ निर्माण के लिए कोमी, घमन, पारा, मगरमुही जैसे विभिन्न किस्मों के पेड़ों को काटा जाता है. यही वजह है कि हर साल पौधारोपण भी किया जाता है.
एक पेड़ बस्तर के देवी देवताओं के नाम: बैठक के बाद पौधारोपण किया गया. साजा आदन, साल (सरगी), महुआ, आम, कसी, सियाडी, भेलवा, सिवना, आम, छिंद, सल्फी बेल, नीम, आंवला, पलास, फरसा, कुड़ई, हजारी कनेर, तेंदू, कुसुम, सागौन, बांस, जामून और अन्य पौधे लगाए गए.