जयपुर. राजस्थान में भीषण गर्मी के बीच बिजली कटौती और पेयजल संकट को लेकर अब विपक्ष सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने मंगलवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की. उन्होंने पानी-बिजली के संकट को लेकर राज्यपाल से दखल देने और जनता को राहत दिलवाने की मांग की है.
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत में गोविंद सिंह डोटासरा बोले कि "मुख्यमंत्री, मंत्री और नौकरशाही में समन्वय नहीं है, जिसका खामियाजा जनता भुगत रही है. भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों के बीच जनता पानी-बिजली के लिए त्राहि-त्राहि कर रही है और मुख्यमंत्री, मंत्री देश भ्रमण कर रहे हैं. मंत्री ऊल-जुलूल बयानबाजी कर रहे हैं. पीएचईडी मंत्री ने जो बयान दिया, उससे लगता है कि उन्होंने जनता की परेशानी को हवा में उड़ा दिया." उन्होंने इस सरकार को औचक निरीक्षण की सरकार बताया. उन्होंने कहा कि इसीलिए आज राज्यपाल से मिलकर दखल देने और जनता को राहत देने की मांग की है.
मौतों पर भी गंभीर नहीं है सरकार : गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि प्रदेशभर में गर्मी से मौत के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन इसे लेकर सरकार कितनी संवेदनशील है, इसका उदाहरण मंत्रियों के बयानों से मिल जाता है. कोई मंत्री कहता है कि छह मौत हुई हैं. कोई कहता है एक मौत हुई है और कोई कहता है कि एक भी मौत नहीं हुई. उन्होंने सरकार को चेताया कि जल्द जनता की समस्या का ठोस समाधान नहीं हुआ, तो कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर सरकार को घेरेंगे. इस मुद्दे पर कांग्रेस बड़ा आंदोलन करेगी.
फर्जी डिग्री से नौकरी हासिल करने वालों पर हो एक्शन : डोटासरा ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात में फर्जी डिग्री के जरिए नौकरी हासिल करने वालों पर कड़ा एक्शन लेने की भी मांग की है. वे बोले कि सरकार चाहे किसी की भी हो और किसी भी समय फर्जी डिग्री के जरिए नौकरी हासिल की गई हो. यह मेहनत करने वाले युवाओं के हितों पर कुठाराघात है. चाहे फर्जीवाड़ा कर चाहे नौकरी अभी लगी हो या पहले. ऐसे लोगों को नौकरी से बाहर किया जाना चाहिए."
भाजपा नेता एक-दूसरे को नीचा दिखाने में जुटे हैं : डोटासरा ने भाजपा की अंदरूनी राजनीति और सियासी दांव-पेच पर निशाना साधते हुए कहा है कि भाजपा सरकार में कई लोग एक-दूसरे को नीचा दिखाने में व्यस्त हैं. उनमें इसी बात की होड़ चल रही है. डोटासरा ने कहा कि भाजपा नेताओं को इससे बाज आना चाहिए और लोगों के लिए बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का इंतजाम करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि इसमें आचार संहिता का बहाना नहीं बनाना चाहिए.
अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर कही ये बात : भजनलाल सरकार के कर्मचारियों-अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के फैसले को लेकर उन्होंने कहा कि पहले से प्रावधान है. ऐसे में फिर से सरकार ने इसे लेकर परिपत्र जारी किया है. ऐसे में शंका होती है कि राजनीतिक द्वेष की कार्रवाई तो नहीं होगी. इसे लेकर कर्मचारी संगठन भी आशंकित है, यदि कोई अफसर कामचोर है, तो पहले से ही नियम बने हुए हैं, जिनके आधार पर कार्रवाई की जाए.
सस्ती लोकप्रियता बटोर रहे हैं सीएम : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के मॉर्निंग वॉक के दौरान लोगों से मुलाकात पर भी डोटासरा ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि यह सस्ती लोकप्रियता बटोरने का जरिया है. भारत भ्रमण से लौटकर सीएम को जनता के काम करने चाहिए. केवल फोटो खिंचवाने से कुछ नहीं होगा. राजस्थान की जनता ने उन्हें पांच साल का समय दिया है, लेकिन वे काम तो करें. उन्होंने कहा कि गर्मी में पानी को लेकर कंटीजेंसी प्लान बहुत पहले बनना चाहिए था और गर्मी की शुरुआत से पहले ही माकूल इंतजाम होने चाहिए थे, लेकिन आपसी कलह के चलते वे प्लान तक नहीं बना पाए.
इंडिया गठबंधन की बनेगी सरकार : डोटासरा ने कहा कि लोकसभा चुनाव में छह चरण का मतदान हो चुका है. अब आखिरी चरण का मतदान 1 जून को होगा. अब तक के माहौल से साफ है कि देश में इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी. वे बोले कि "नरेंद्र मोदी ने हर बार नए मुद्दे लाकर चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार जनता ने उन्हें नकार दिया है. इस चुनाव में एनडीए और भाजपा की सरकार नहीं आ रही है. पीएम नरेंद्र मोदी ने जो बयान दिए हैं, उनसे पीएम पद की गरिमा तार-तार हुई है." उन्होंने यह भी कहा कि परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन पीएम मोदी की छवि को नुकसान हुआ है.
प्रदेश में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं : मुस्लिम समुदाय की जातियों को दिए जा रहे आरक्षण का रिव्यू करने को लेकर भाजपा की ओर से की गई बयानबाजी पर भी डोटासरा ने निशाना साधा. वे बोले कि यह कोई मजाक नहीं है. ओबीसी आयोग की रिकमंडेशन के आधार पर मुस्लिम समुदाय की कुछ जातियों को आरक्षण दिया गया है, लेकिन यह आरक्षण धार्मिक आधार पर नहीं दिया गया है, बल्कि उन जातियों को आरक्षण की जरूरत महसूस की गई. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा का इस तरह का बयान चुनाव में वोटों का ध्रुवीकरण करने की राजनीती का हिस्सा था.