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1932 खतियान आधारित स्थानीयता और आरक्षण बढ़ाने वाले विधेयक को राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजा - 1932 Khatian based domicile policy - 1932 KHATIAN BASED DOMICILE POLICY

Bill to increase reservation. 20 दिसंबर 2023 को झारखंड विधानसभा से पारित 1932 खतियान आधारित स्थानीयता और आरक्षण बढ़ाने वाले विधेयक को राज्यपाल ने राष्ट्रपति के पास भेज दिया है. पिछले कई महीनों से इस मुद्दे को लेकर झारखंड के सत्ताधारी दल बीजेपी और केंद्र सरकार पर हमलावर थे.

Bill to increase reservation
राजभवन (ईटीवी भारत- फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 30, 2024, 12:13 PM IST

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच राजभवन ने 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता और आरक्षण सीमा बढ़ाने से जुड़े विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया है. विधायक लंबोदर महतो द्वारा दोनों विधेयकों को जल्द लागू करने के सवाल का जवाब देते हुए राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने जानकारी दी है.

दोनों विधेयकों को साल 2022 में विधानसभा से पारित किया गया था. इसके तहत आरक्षण सीमा को 50% से बढ़कर 77% करने का प्रस्ताव है. इसमें अनुसूचित जाति का आरक्षण 12%, अनुसूचित जनजाति का 28% और ओबीसी का आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% करने का प्रावधान है. साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10% आरक्षण देना है.

वहीं, राज्य सरकार के तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियां वैसे लोगों के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है जो 1932 के पहले से यहां रह रहे हों. राज्य सरकार ने दोनों विधेयकों को केंद्र सरकार की नौंवी अनुसूची में शामिल करने के प्रस्ताव के साथ पारित कराया था. यह व्यवस्था तभी लागू हो पाएगी, जब दोनों विधेयकों को केंद्र सरकार नौंवी अनुसूची में शामिल करेगी.

दरअसल, इन दोनों विधेयकों पर लगातार राजनीति होती आ रही है. पूर्व में 11 नवंबर 2022 को दोनों विधेयकों को पारित कराया गया था. लेकिन राज्यपाल ने विशेषज्ञों की राय का हवाला देते हुए दोनों विधेयक सरकार को लौटा दिया था. राजभवन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया था कि 50% से अधिक आरक्षण सीमा नहीं बढ़ाई जा सकती. यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. इसके बाद राज्य सरकार ने 20 दिसंबर 2023 को दोबारा विधेयक को पारित कर राजभवन को भेज दिया था. दरअसल, दोनों विधेयकों के राजभवन में लंबित होने का हवाला देकर सत्ता पक्ष भाजपा शासित केंद्र सरकार को घेरता आ रहा है.

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच राजभवन ने 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता और आरक्षण सीमा बढ़ाने से जुड़े विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया है. विधायक लंबोदर महतो द्वारा दोनों विधेयकों को जल्द लागू करने के सवाल का जवाब देते हुए राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने जानकारी दी है.

दोनों विधेयकों को साल 2022 में विधानसभा से पारित किया गया था. इसके तहत आरक्षण सीमा को 50% से बढ़कर 77% करने का प्रस्ताव है. इसमें अनुसूचित जाति का आरक्षण 12%, अनुसूचित जनजाति का 28% और ओबीसी का आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% करने का प्रावधान है. साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10% आरक्षण देना है.

वहीं, राज्य सरकार के तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियां वैसे लोगों के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है जो 1932 के पहले से यहां रह रहे हों. राज्य सरकार ने दोनों विधेयकों को केंद्र सरकार की नौंवी अनुसूची में शामिल करने के प्रस्ताव के साथ पारित कराया था. यह व्यवस्था तभी लागू हो पाएगी, जब दोनों विधेयकों को केंद्र सरकार नौंवी अनुसूची में शामिल करेगी.

दरअसल, इन दोनों विधेयकों पर लगातार राजनीति होती आ रही है. पूर्व में 11 नवंबर 2022 को दोनों विधेयकों को पारित कराया गया था. लेकिन राज्यपाल ने विशेषज्ञों की राय का हवाला देते हुए दोनों विधेयक सरकार को लौटा दिया था. राजभवन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया था कि 50% से अधिक आरक्षण सीमा नहीं बढ़ाई जा सकती. यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. इसके बाद राज्य सरकार ने 20 दिसंबर 2023 को दोबारा विधेयक को पारित कर राजभवन को भेज दिया था. दरअसल, दोनों विधेयकों के राजभवन में लंबित होने का हवाला देकर सत्ता पक्ष भाजपा शासित केंद्र सरकार को घेरता आ रहा है.

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