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आईआईटी भिलाई में खुला संस्कृत भाषा एवं परंपरा केंद्र, राज्यपाल रामेन डेका ने किया शुभारंभ - IIT BHILAI

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रामेन डेका ने आईआईटी भिलाई में संस्कृत भाषा एवं परंपरा केंद्र का शुभारंभ किया.

Sanskrit language and tradition center
आईआईटी भिलाई में खुला संस्कृत भाषा एवं परंपरा केंद्र (etv bhart chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 9, 2024, 5:42 PM IST

दुर्ग : छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रामेन डेका ने दुर्ग का दौरा किया.जहां वो आईआईटी भिलाई में संस्कृत भाषा और परंपरा केंद्र का शुभारंभ किया.इस कार्यक्रम में आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर राजीव प्रकाश सहित आईआईटी के प्रोफेसर भी मौजूद थे.सीसीएलटी की स्थापना सांस्कृतिक विरासत, स्वदेशी ज्ञान, लुप्तप्राय भाषाओं और सतत विकास पर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए की गई है. आईआईटी में स्थापित ये सेंटर भाषाई विविधता, सांस्कृतिक बहुलवाद, पारिस्थितिक ज्ञान और विशेष रूप से छत्तीसगढ़ और बड़े पैमाने पर भारत की सामूहिक स्मृति को अग्रभूमि पर लाने के लिए काम करेगा.

दो किताबों का भी विमोचन : राज्यपाल ने इस कार्यक्रम में सीसीएलटी के लोगों का अनावरण किया.इसी के साथ दो परियोजना रिपोर्ट भी जारी किया. जिसका शीर्षक बारसूर की विरासत प्रशंसा : इतिहास, वास्तुकला और पर्यटन पर परिपेक्ष्य और छत्तीसगढ़ पर एक केस स्टडी है. जिसका माध्यम से आजीविका बढ़ाना है.इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के जनजात्य हस्तशिल्प की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी.फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी के साथ साझेदारी में केंद्र द्वारा आयोजित आवासीय शीतकालीन स्कूल कॉमनिंग द कॉमन्स भी लॉन्च इवेंट के बाद 9 दिसंबर को शुरू हुआ.

आईआईटी भिलाई में खुला संस्कृत भाषा एवं परंपरा केंद्र (etv bhart chhattisgarh)

दरअसल संस्कृत भाषा और परंपराओं के इस केंद्र में कई तरह की डॉक्यूमेंट्री के साथ-साथ चित्रपट भी लगाए गए हैं. जिसके माध्यम से भारत के इतिहास के साथ-साथ एकता में अनेकता और भाषा ही विविधता को भी दर्शाया गया है.संस्कृत भाषा और परंपरा के इस केंद्र का की स्थापना भारतीय सांस्कृतिक विरासत स्वदेशी ज्ञान और भाषाओं के सतत विकास पर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए की गई है. देश में भाषाई विविधता, सांस्कृतिक बहुलवाद, पारिस्थितिक के कारण लोगों को परेशानी होती है. वहीं छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर भारत की सामूहिक विविधता के साथ लोग रहते हैं. केंद्र सरकार ने लिबरल आर्ट्स विभाग के जरिए संचालित केंद्र उद्योग और ज्ञान भागीदारी के साथ-साथ आम आम नागरिकों के भाषा और परंपरा को समझाने के लिए प्रयास किया है.

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दो किताबों का भी विमोचन : राज्यपाल ने इस कार्यक्रम में सीसीएलटी के लोगों का अनावरण किया.इसी के साथ दो परियोजना रिपोर्ट भी जारी किया. जिसका शीर्षक बारसूर की विरासत प्रशंसा : इतिहास, वास्तुकला और पर्यटन पर परिपेक्ष्य और छत्तीसगढ़ पर एक केस स्टडी है. जिसका माध्यम से आजीविका बढ़ाना है.इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के जनजात्य हस्तशिल्प की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी.फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी के साथ साझेदारी में केंद्र द्वारा आयोजित आवासीय शीतकालीन स्कूल कॉमनिंग द कॉमन्स भी लॉन्च इवेंट के बाद 9 दिसंबर को शुरू हुआ.

आईआईटी भिलाई में खुला संस्कृत भाषा एवं परंपरा केंद्र (etv bhart chhattisgarh)

दरअसल संस्कृत भाषा और परंपराओं के इस केंद्र में कई तरह की डॉक्यूमेंट्री के साथ-साथ चित्रपट भी लगाए गए हैं. जिसके माध्यम से भारत के इतिहास के साथ-साथ एकता में अनेकता और भाषा ही विविधता को भी दर्शाया गया है.संस्कृत भाषा और परंपरा के इस केंद्र का की स्थापना भारतीय सांस्कृतिक विरासत स्वदेशी ज्ञान और भाषाओं के सतत विकास पर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए की गई है. देश में भाषाई विविधता, सांस्कृतिक बहुलवाद, पारिस्थितिक के कारण लोगों को परेशानी होती है. वहीं छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर भारत की सामूहिक विविधता के साथ लोग रहते हैं. केंद्र सरकार ने लिबरल आर्ट्स विभाग के जरिए संचालित केंद्र उद्योग और ज्ञान भागीदारी के साथ-साथ आम आम नागरिकों के भाषा और परंपरा को समझाने के लिए प्रयास किया है.

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