रांचीः पूरे झारखंड में करमा पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. एक तरफ अच्छी फसल की कामना हो रही है तो दूसरी तरफ बहनों ने अपने भाईयों की सलामती के लिए उपवास रखा है. इस पर्व को आदिवासी और सदान समाज के लोग सदियों से मना रहे हैं. घर के आंगन में करम पेड़ की शाखा लगाकर पूजा की जाती है. इस दौरान गेहूं, ज्वार, जौ, मकई, उड़द, चना के अंकुर को गुड़ के साथ प्रसाद के तौर पर अर्पित किया जाता है.
इस पर्व के दौरान करमा और धरमा से जुड़ी लोक कहानियां सुनाई जाती हैं. संदेश दिया जाता है कि कर्म और धर्म के बिना खुशहाली नहीं आ सकती है. फिर पारंपरिक नृत्य और संगीत का दौर शुरु होता है. टोला मुहल्लों में आदिवासियों के पवित्र स्थल अखड़ा में सामूहिक रुप से नृत्य संगीत का आयोजन हो रहा है. इस दौरान समाज के लोग एक दूसरे से मिलकर एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं.
करमा पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
— Governor of Jharkhand (@jhar_governor) September 14, 2024
करमा पर्व हमें प्रकृति के संरक्षण का संदेश देता है। यह पर्व भाई-बहन के बीच आपसी सौहार्द एवं स्नेह का भी प्रतीक है। इस शुभ अवसर पर मैं सभी के लिए सुख और शांति की कामना करता हूं। pic.twitter.com/yQOtHNTaUS
वहीं राज्यपाल संतोष गंगवार ने राज्यवासियों की करमा पर्व की शुभकामनाएं दी है. उन्होंने कहा है कि करमा पर्व हमें प्रकृति के संरक्षण का संदेश देता है. यह पर्व भाई-बहन के बीच आपसी सौहार्द और स्नेह का भी प्रतीक है. सीएम हेमंत सोरेन ने राज्यवासियों को करमा पर्व की शुभकामनाएं देते हुए 13 सितंबर को मंईयां सम्मान योजना की दूसरी किस्त जारी कर राज्य की बहनों को करमा पर्व की शुभकामनाएं दी हैं.
प्रकृति पूजा करम पर्व के पावन अवसर पर सभी को हार्दिक बधाई, शुभकामनाएं और जोहार!
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 14, 2024
प्रकृति के साथ मानव जीवन की एकरूपता और भाई-बहन के अटूट स्नेह एवं सम्मान को दर्शाता यह पावन पर्व हमारी समृद्ध संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है। यह पर्व आप सभी के जीवन में खुशियां लाए, आप सभी स्वस्थ,… pic.twitter.com/6732peIXLT
राज्य के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव की पुत्री निशा उरांव (आईआरएस) ने करम की पूजा करते हुए सोशल मीडिया पर तस्वीर और अपनी भावना साझा की है. उन्होंने लिखा है कि आदिवासी समाज का कोई लिखित इतिहास या धार्मिक ग्रंथ नहीं होता है. पारंपरिक रीति रिवाज, रूढ़िवादी नीति, पूजा, संगीत-नृत्य...इनमें ही हमारा इतिहास, हमारी पहचान, हमारी अस्मिता है. उन्होंने करमा पर्व की शुभकामनाएं देते हुए लोक: समस्ता: सुखिनो भवन्तु की कामना की है.
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