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IFS अफसर मनोज चंद्रन मामले में जांच पूरी, शासन को सौंपी गई रिपोर्ट, जल्द होगा बड़ा फैसला - IFS OFFICER MANOJ CHANDRAN

आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन की जांच पूरी हो गई है. मामला नियम विरुद्ध नियमितकरण और तय कोटे से ज्यादा प्रमोशन देने का है.

IFS OFFICER MANOJ CHANDRAN
मनोज चंद्रन की जांच रिपोर्ट पर शासन लेगा निर्णय (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 6, 2025, 6:38 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में पिछले दिनों चर्चाओं में रहे आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन पर जल्द ही शासन निर्णय ले सकता है. दरअसल मनोज चंद्रन पर HRD की जिम्मेदारी रहने के दौरान नियम विरुद्ध नियमितीकरण और तय कोटे से ज्यादा प्रमोशन किए जाने का आरोप है. मामले में मनोज चंद्रन को आरोप पत्र भी दे दिया गया था. जिसके बाद वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी विजय कुमार इसकी जांच कर रहे थे. आईएफएस अधिकारी विजय कुमार दिसंबर महीने में सेवानिवृत हो चुके हैं और अपने रिटायरमेंट से ठीक पहले, उन्होंने जांच पूरी करते हुए जांच रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी थी.

खास बात यह है कि दिसंबर महीने में मिली जांच रिपोर्ट को शासन एग्जामिन करने के बाद जल्द ही निर्णय ले सकता है. फिलहाल शासन ने इस जांच रिपोर्ट पर कार्मिक विभाग से सुझाव मांगा था, जो शासन में संबंधित विभाग को मिल गया है.

सीनियर आईएफएस अधिकारी विजय कुमार ने बताया कि मनोज चंद्रन से संबंधित जांच रिपोर्ट उन्होंने शासन को प्रेषित कर दी थी. यह बेहद गोपनीय मामला है. लिहाजा इस पर ज्यादा जानकारी नहीं दी जा सकती. हालांकि उन्होंने जांच रिपोर्ट के शासन में प्रेषित होने की पुष्टि की है.

उधर जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई शासन स्तर पर की जानी है. शासन से मिली जानकारी के अनुसार आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन को जांच रिपोर्ट में राहत दी गई है. हालांकि यह शासन का अधिकार है कि इस पर आगे क्या कार्रवाई की जाए.

आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन पिछले दिनों अपने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की इच्छा को लेकर भी चर्चाओं में रहे थे.. दरअसल मनोज चंद्रन ने शासन को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए चिट्ठी लिखी थी, जिस पर अब तक उन्हें अनुमति नहीं मिली है.

मनोज चंदन प्रमोशन और नियमितीकरण के मामले को लेकर निशाने पर आए थे. वन विभाग में मानव संसाधन की जिम्मेदारी रहते हुए 504 पदों पर नियमितीकरण किया गया था. इसके अलावा तय पदों से ज्यादा आरक्षियों को वन दारोगा पद पर भी प्रमोशन दिए जाने का आरोप है.

जानकारी के अनुसार अपनी जांच रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने मानव संसाधन कार्यालय से बार-बार प्रमोशन से जुड़े आंकड़ों को बदलकर देने का भी जिक्र किया गया है, जबकि पूरी रिपोर्ट में मनोज चंद्रन को राहत दी गई है.

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देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में पिछले दिनों चर्चाओं में रहे आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन पर जल्द ही शासन निर्णय ले सकता है. दरअसल मनोज चंद्रन पर HRD की जिम्मेदारी रहने के दौरान नियम विरुद्ध नियमितीकरण और तय कोटे से ज्यादा प्रमोशन किए जाने का आरोप है. मामले में मनोज चंद्रन को आरोप पत्र भी दे दिया गया था. जिसके बाद वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी विजय कुमार इसकी जांच कर रहे थे. आईएफएस अधिकारी विजय कुमार दिसंबर महीने में सेवानिवृत हो चुके हैं और अपने रिटायरमेंट से ठीक पहले, उन्होंने जांच पूरी करते हुए जांच रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी थी.

खास बात यह है कि दिसंबर महीने में मिली जांच रिपोर्ट को शासन एग्जामिन करने के बाद जल्द ही निर्णय ले सकता है. फिलहाल शासन ने इस जांच रिपोर्ट पर कार्मिक विभाग से सुझाव मांगा था, जो शासन में संबंधित विभाग को मिल गया है.

सीनियर आईएफएस अधिकारी विजय कुमार ने बताया कि मनोज चंद्रन से संबंधित जांच रिपोर्ट उन्होंने शासन को प्रेषित कर दी थी. यह बेहद गोपनीय मामला है. लिहाजा इस पर ज्यादा जानकारी नहीं दी जा सकती. हालांकि उन्होंने जांच रिपोर्ट के शासन में प्रेषित होने की पुष्टि की है.

उधर जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई शासन स्तर पर की जानी है. शासन से मिली जानकारी के अनुसार आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन को जांच रिपोर्ट में राहत दी गई है. हालांकि यह शासन का अधिकार है कि इस पर आगे क्या कार्रवाई की जाए.

आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन पिछले दिनों अपने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की इच्छा को लेकर भी चर्चाओं में रहे थे.. दरअसल मनोज चंद्रन ने शासन को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए चिट्ठी लिखी थी, जिस पर अब तक उन्हें अनुमति नहीं मिली है.

मनोज चंदन प्रमोशन और नियमितीकरण के मामले को लेकर निशाने पर आए थे. वन विभाग में मानव संसाधन की जिम्मेदारी रहते हुए 504 पदों पर नियमितीकरण किया गया था. इसके अलावा तय पदों से ज्यादा आरक्षियों को वन दारोगा पद पर भी प्रमोशन दिए जाने का आरोप है.

जानकारी के अनुसार अपनी जांच रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने मानव संसाधन कार्यालय से बार-बार प्रमोशन से जुड़े आंकड़ों को बदलकर देने का भी जिक्र किया गया है, जबकि पूरी रिपोर्ट में मनोज चंद्रन को राहत दी गई है.

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