हजारीबागः जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर ईचाक प्रखंड के बभनी गांव में राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय संचालित है. विद्यालय में कुल 180 बच्चे अध्ययनरत हैं. लेकिन विद्यालय भवन अत्यंत जर्जर हो चुका है. इस कारण बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं. विद्यालय का भवन इतना अधिक जर्जर हो गया है कि कभी भी पूरा भवन गिर सकता है और बड़ी अनहोनी हो सकती है. नींव के पास की मिट्टी भी धंस चुकी है.
इस बात की जानकारी विद्यालय प्रबंधन और स्थानीय मुखिया ने कई बार जिला प्रशासन को दी है, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण विद्यालय की आज तक न मरम्मत करायी गई और न ही नया भवन बनाने की पहल की गई है.
हालांकि स्कूल का भवन दो तल्ला है. लेकिन दूसरे तल्ले में छात्र जाने से बचते हैं, क्योंकि छत से प्लास्टर टूट कर गिर रहा है. कभी-कभार छात्र वहां नाश्ता करने के लिए जरूर जाते हैं, लेकिन अनहोनी की आशंका को देखते हुए शिक्षक उन्हें जाने से रोकते हैं.
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आपको बता दें कि राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय बभनी आदिवासी क्षेत्र में पड़ता है. यहां अधिकतर आदिवासी परिवार के बच्चे ही पढ़ाई करने के लिए पहुंचते हैं. छात्रों का भी कहना है कि विद्यालय में पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है. विद्यालय के बाहर पानी पीने के लिए जाना पड़ता है. स्कूल में मिड-डे-मील तो जरूर मिल जाता है, लेकिन पानी का व्यवस्था नहीं है. यहां तक की शौचालय भी बेहद खराब है.
इस संबंध में डाढ़ा पंचायत की मुखिया सुनीता देवी बताती हैं कि विद्यालय के बारे में जिला प्रशासन को जानकारी दी गई है, लेकिन अब तक प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया है. जहां एक और कड़ाके की ठंड पड़ रही है. ऐसे में बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ने को विवश हैं. उन्होंने जल्द से जल्द प्रशासन से विद्यालय दुरुस्त करने की मांग की है.
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आपको बता दें कि ईचाक खनन प्रभावित क्षेत्र है. क्षेत्र में डीएमएफटी फंड से भी कई कार्य किए जा रहे हैं .इसके बावजूद प्रशासन की नजर अब तक इस विद्यालय पर नहीं पड़ी है. जरूरत है इस दिशा में संज्ञान लेने की ताकि बच्चे सुरक्षित माहौल में पढ़ाई कर सके.
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