दुमकाः जिला में मयूराक्षी नदी के तट पर 1890 से आयोजित होता आ रहा राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव की शुरुआत हो गयी है. यह मेला सिर्फ दुमका ही नहीं बल्कि पूरे संथाल परगना प्रमंडल के लिए एक त्योहार की तरह है, जो एक सप्ताह तक चलता है. शुक्रवार से हिजला मेला की विधिवत शुरुआत की गयी.
ग्राम प्रधान सुनी राम ने किया उद्घाटनः
दुमका में मयूराक्षी नदी के तट पर प्रकृति के मनोरम दृश्य के बीच सुप्रसिद्ध राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव की शुक्रवार 16 फरवरी से शुरुआत हुई. मेला का उदघाटन पिछले कई वर्षों की तरह इस बार भी हिजला गांव के ग्राम प्रधान सुनी राम ने किया. उनके साथ जिला परिषद अध्यक्ष जॉयस बेसरा के अलावा जिला के उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे और अन्य अधिकारी मौजूद रहे. मेला के उद्घाटन के मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही. यह मेला 16 फरवरी से 23 फरवरी तक चलेगा. उद्घाटन के अवसर पर आदिवासी युवकों के बांसुरी की मधुर तान, ढोल और मांदर की थाप पर थिरकती आदिवासी महिलाओं की नृत्य और संगीत ने समां बांध दिया.
सरकार के सभी विभागों की लगाई गयी प्रदर्शनीः
राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव पूरे संथाल परगना के लिए एक त्योहार की तरह है. इसमें सभी जिलों के लोग मिल को देखने आते हैं. इसे ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए प्रति वर्ष की तरह इस बार भी झारखंड सरकार के सभी विभागों प्रदर्शनी, सरकारी योजनाओं से संबंधित स्टॉल लगाए गए हैं. इस मेले में लाखों की भीड़ उमड़ती है.
हिजला मेला का इतिहासः
इस बार इस मेले के आयोजन का यह 134वां वर्ष है. हम इसके इतिहास पर प्रकाश डालें तो संथाल परगना के अंग्रेजी शासक जॉन राबटर्स कास्टेयर्स ने सन 1890 में इस ऐतिहासिक मेले की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य विभिन्न इलाकों के लोगों साथ स्थानीय परंपराओं, रीति-रिवाज का आदान प्रदान करना और प्रशासन के साथ आम जनता का सीधा संवाद स्थापित करना था. इसके बाद एकीकृत बिहार के समय सन 1975 में हिजला मेला के आगे जनजातीय शब्द जोड़ दिया गया. झारखंड सरकार ने 2015 में इसे राजकीय मेला का दर्जा दिया और मेला को महोत्सव का नाम दिया. उसके बाद से यह राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव के नाम से जाना जाता है.
क्या कहते हैं ग्राम प्रधान और उपायुक्तः
हिजला मेला के उद्घाटन पर हिजला के ग्राम प्रधान सुनी राम हांसदा ने कहा कि यह हमारी सदियों पुरानी परंपरा और रीति रिवाज से जुड़ा हुआ है, जिसका इंतजार हमें पूरे वर्ष रहता है. वहीं उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे ने लोगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में आने की अपील करते हुए कहा कि मेले में अशांति न फैलायें और कोई अशोभनीय हरकत न करें. वहीं उन्होंने कहा कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से व्यापक इंतजाम किए गए हैं.
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