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टाइगर रिजर्व से होने वाले आदिवासियों के विस्थापन पर हो विचार: पद्मश्री जागेश्वर यादव

छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट में शामिल होने आए पद्मश्री जागेश्वर यादव ने कहा कि टाइगर रिजर्व से आदिवासियों के विस्थापन पर गंभीरता से विचार होना चाहिए.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 3 hours ago

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आदिवासियों के विस्थापन पर हो विचार (ETV Bharat)

रायपुर: पर्यावरण संक्षरण को लेकर छत्तीसगढ़ में ग्रीन समिट का आयोजन किया गया. समिट में शामिल होने के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित जागेश्वर यादव भी पहुंचे. मीडिया से बातचीत करते हुए जागेश्वर यादव ने कहा कि बाघ अभयारण्यों से आदिवासियों के विस्थापन पर सावधानी पूर्वक विचार किया जाना चाहिए. जागेश्वर यादव ने कहा कि आदिवासी जिन चुनौतियों से गुजर रहे हैं उनपर आज विचार करने की जरुरत है. यदि उनके गांवों को बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाता है तो उनकी दिक्कतें बढ़ेंगी.

छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट: जागेश्वर यादव ने कहा कि 1980 से बिरहोर जनजाति के आदिवासी समुदाय के लिए वो काम करते आ रहे हैं. आदिवासी हमेशा कि विकास के कामों को स्वीकार करते आए हैं और उसका स्वागत करते हैं. लेकिन विकास जंगलों की कीमत पर नहीं होना चाहिए. सालों से ये आदिवासी इन जंगलों में रहते आए हैं. आदिवासियों का सब कुछ जंगल ही है. उनकी पूरी जिंदगी जंगल पर ही निर्भर है. जंगल नहीं होगा तो वो जीवित नहीं रह पाएंगे.

सरकार को इन अभयारण्यों से विस्थापन के बाद आदिवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर विचार करने की जरुरत है.: जागेश्वर यादव, पद्मश्री सम्मान से सम्मानित

पुनर्वास में तेजी लाने के जारी हुए हैं निर्देश: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने 19 जून को एक आदेश जारी किया, जिसमें वन अधिकारियों को 54 बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों में स्थित 591 गांवों से 64,801 परिवारों के पुनर्वास में तेजी लाने का निर्देश दिए हैं. छत्तीसगढ़ के अचानकमार और उदंती-सीतानदी सहित कई बाघ अभयारण्यों में आदिवासी समुदायों ने वन अधिकार अधिनियम के तहत अपने अधिकारों का दावा करते हुए निर्देश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया है. प्रदर्शनकारी अब आजीविका और परंपराओं के लिए न्याय की मांग करने के लिए दिल्ली में इकट्ठा होने की योजना बना रहे हैं.

केंद्र सरकार का क्या है पक्ष: केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि निर्देश कानून के अनुसार जारी किए गए. अधिकारियों ने कहा कि बाघ अभयारण्यों से गांवों का स्थानांतरण पूरी तरह से स्वैच्छिक है. राज्य के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन के खिलाफ आदिवासियों द्वारा किए जा रहे विरोध के बारे में पूछे जाने पर जागेश्वर यादव ने सरकार से विरोध करने वाले आदिवासियों की मांगों को विचार और उचित कार्रवाई करने का भी आग्रह किया.

मेरा मानना ​​है कि लोगों की मांगें जायज हैं. विकास जरुरी है लेकिन उस विकास का लाभ समुदायों को मिलना चाहिए.: जागेश्वर यादव, पद्मश्री सम्मान से सम्मानित

सरकार के प्रयासों की तारीफ भी की: जागेश्वर यादव ने कहा कि वन और पर्यावरण की रक्षा के लिए केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार दोनों के प्रयास ठीक हैं. पर्यावरण की स्थिरता को बढ़ावा देने और लोक परंपराओं को विकास विमर्श में एकीकृत करने के लिए पहला छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट 2024 बेहतरीन साबित होगा.

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छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट: जागेश्वर यादव ने कहा कि 1980 से बिरहोर जनजाति के आदिवासी समुदाय के लिए वो काम करते आ रहे हैं. आदिवासी हमेशा कि विकास के कामों को स्वीकार करते आए हैं और उसका स्वागत करते हैं. लेकिन विकास जंगलों की कीमत पर नहीं होना चाहिए. सालों से ये आदिवासी इन जंगलों में रहते आए हैं. आदिवासियों का सब कुछ जंगल ही है. उनकी पूरी जिंदगी जंगल पर ही निर्भर है. जंगल नहीं होगा तो वो जीवित नहीं रह पाएंगे.

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केंद्र सरकार का क्या है पक्ष: केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि निर्देश कानून के अनुसार जारी किए गए. अधिकारियों ने कहा कि बाघ अभयारण्यों से गांवों का स्थानांतरण पूरी तरह से स्वैच्छिक है. राज्य के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन के खिलाफ आदिवासियों द्वारा किए जा रहे विरोध के बारे में पूछे जाने पर जागेश्वर यादव ने सरकार से विरोध करने वाले आदिवासियों की मांगों को विचार और उचित कार्रवाई करने का भी आग्रह किया.

मेरा मानना ​​है कि लोगों की मांगें जायज हैं. विकास जरुरी है लेकिन उस विकास का लाभ समुदायों को मिलना चाहिए.: जागेश्वर यादव, पद्मश्री सम्मान से सम्मानित

सरकार के प्रयासों की तारीफ भी की: जागेश्वर यादव ने कहा कि वन और पर्यावरण की रक्षा के लिए केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार दोनों के प्रयास ठीक हैं. पर्यावरण की स्थिरता को बढ़ावा देने और लोक परंपराओं को विकास विमर्श में एकीकृत करने के लिए पहला छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट 2024 बेहतरीन साबित होगा.

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