देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग के एक मामले ने सरकार को फिर से हरकत में आने पर मजबूर कर दिया है. यह पूरा प्रकरण डेली वेजेस कर्मियों के महंगाई भत्ते से जुड़ा हुआ है, जिसका वाद सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में बाकी कर्मियों की तरह ही सभी दैनिक वेतन भोगियों को मजदूरी भुगतान को लेकर सरकार को निर्देश दिए थे. साथ ही राज्य सरकार पर ऐसे कर्मियों को महंगाई भत्ता दिए जाने का भारी दबाव भी रहा है.
सरकार निकाल सकती है बीच का रास्ता: सरकार के सामने एक बड़ी मजबूरी यह है कि अगर वन विभाग के इन कर्मियों को इस तरह की सुविधा देती है तो न केवल बड़ा वित्तीय बोझ सरकार पर पड़ेगा, बल्कि बाकी विभागों में भी हजारों कर्मी इसी तरह की मांग कर सकते हैं. लिहाजा सरकार बीच का रास्ता निकालते हुए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के इस प्रकरण के निस्तारण को लेकर प्रयास कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ राज्य सरकार पर वित्तीय बोझ अधिक ना पड़े इसका भी ख्याल रखा जा रहा है.
दैनिक कर्मियों को मिल सकता है लाभ: इसी कड़ी में वन विभाग के दैनिक कर्मियों के इस मामले पर सरकार हरकत में आ गई है और आनन -फानन में कैबिनेट बुलाकर इसके निस्तारण पर चिंतन भी किया गया है. इस मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कोई बीच का रास्ता निकाल सकती है और महंगाई भत्ते की बजाय न्यूनतम मजदूरी में कुछ बढ़ोतरी के साथ दैनिक कर्मियों को लाभ दे सकती है. उत्तराखंड कैबिनेट द्वारा पूर्व में दैनिक कर्मियों को महंगाई भत्ता न दिए जाने से जुड़ा फैसला लिए जाने की बात भी सामने आई है. अब कैबिनेट इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की अगली तारीख से पहले महत्वपूर्ण निर्णय लेने जा रही है.
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