रायपुर : दीपावली का पर्व पूरे पांच दिनों का होता है. इसमें हर एक दिन का धार्मिक महत्व है. उत्सव का पहला दिन धनतेरस होता है.जिसमें भगवान धन्वंतरि पूजे जाते हैं.दूसरे दिन नरक चतुर्दशी का होता है.जिसमें यम देवता को प्रसन्न किया जाता है. तीसरे दिन मुख्य दिवाली पूजा आती है.जिसमें लक्ष्मी और गणेश के साथ कुबेर देवता की पूजा होती है.इसके बाद आता है चौथा दिन जिसमें गोवर्धन पूजा की जाती है.
क्यों होती है गोवर्धन पूजा : गोवर्धन पूजा के दिन को मुख्य रूप से भगवान कृष्ण की पूजा होती है.इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतिरूप बनाया जाता है. इस दिन लोग गाय के गोबर से बने पर्वत की पूजा तो करते ही हैं साथ ही भगवान कृष्ण को अन्नकूट का प्रसाद भी चढ़ाते हैं.
गोवर्धन पूजा में क्या करें क्या नहीं : कभी भी गोवर्धन पूजा घर के बंद कमरे में नहीं करनी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि बंद जगह पर की गई पूजा भगवान नहीं स्वीकारते. यही नहीं ज्योतिष के अनुसार भी इस दिन बंद कमरे में गोवर्धन पूजा करना अशुभ माना गया है. यदि कोई ऐसा करता है, तो उसके घर की सुख समृद्धि घटने लगती है. गोवर्धन पूजा हमेशा खुली जगह जैसे घर का आंगन, बालकनी या छत में ही करनी चाहिए.
मैले कपड़े पहनकर ना करें पूजा : ऐसी मान्यता है कि यह पूजा सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास होती है, इसलिए इस दिन आपको भूलकर भी काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए.इस दिन गंदे कपड़े पहनकर भी पूजा ना करें. ऐसा करने से पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है. इस दिन यदि आप हल्के पीले या नारंगी रंग के कपड़े पहनेंगे तो ये आपके जीवन में सौभाग्य आएगा.गोवर्धन पूजा के दिन मुख्य रूप से गायों की पूजा का विधान है.इस दिन गौ पूजा से घर की सुख समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है.
अकेले महिला ना करे पूजा : कभी भी गोवर्धन पूजा अकेले एक महिला को नहीं करनी चाहिए.यदि आपके घर में ज्यादा लोग नहीं मौजूद हैं तो आपको अन्य रिश्तेदारों के साथ ये पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि इस पूजा में परिवार के जितने सदस्य शामिल होंगे उनके जीवन में अच्छा समय आते जाएगा. घर में सदा खुशहाली बनी रहेगी. हमेशा परिवार के सदस्यों को एक साथ गोवर्धन पूजा करनी चाहिए.अकेले पूजा करना अशुभ माना जाता है.