ETV Bharat / state

यूपी की डिब्बे वाली दीदी; 4 करोड़ का कारोबार, 400 महिलाओं को नौकरी, कभी साइकिल से दुकान-दुकान जाती थीं ऑर्डर लेने - UP WOMAN SUCCESS STORY

UP WOMAN SUCCESS STORY: आज देश-विदेश से मिलते हैं पैकेजिंग डिब्बों के ऑर्डर, क्वालिटी और समय पर डिलीवरी इनकी खासियत है. गोरखपुर की संगीता पांडेय के संघर्ष और सफलता की कहानी बहुत कुछ सिखाती है... पति यूपी पुलिस में सिपाही हैं.

Etv Bharat
डिब्बे वाली दीदी संगीता पांडेय अपने पति संजय कुमार पांडेय के साथ. (Photo Credit; Sangeeta Pandey Self)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 25, 2024, 2:24 PM IST

Updated : Oct 25, 2024, 2:44 PM IST

गोरखपुर: यह कहानी है एक आम महिला का अपने संघर्ष और मेहनत के बलबूते खास बन जाने की... गोरखपुर से निकलकर नोएडा ट्रेड फेयर से लेकर दिल्ली और देश के विभिन्न कोनों के साथ विदेश तक पहुंचने वाली संगीता पांडेय की सफलता बहुत कुछ सिखाती है. उन्हें लोग आज डिब्बे वाली दीदी के नाम से जानते हैं. डिब्बा मिठाई का हो या फिर दीपावली, दशहरा, होली के गिफ्ट का, किसी भी प्रकार की पैकिंग चाहिए, संगीता के हाथों सबकुछ तैयार किया जा रहा है. इसके जरिए उन्होंने पैकेजिंग इंडस्ट्री में अपना अलग मुकाम बनाया है.

संगीता पांडेय के नेतृत्व में करीब 400 महिलाएं इस काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं. इस मुकाम तक पहुंचने के लिए संगीता पांडेय ने बहुत ही संघर्ष किया है. ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के बाद विवाह के बंधन में बंधी और तीन बच्चे हुए लेकिन, इसके बाद जिंदगी में कुछ करने की इच्छा लेकर वह जब घर से काम पर निकालीं तो इसमें उनके पति का भी साथ मिला और परिवार का भी.

डिब्बे वाली दीदी संगीता पांडेय की सफलता की कहानी पर संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat)

इन्होंने इसके लिए साइकिल से अपनी यात्रा शुरू की. करीब 30 से 40 किलोमीटर की प्रतिदिन की यात्रा करते हुए वह मिठाई के डिब्बों के साथ उन सभी जगहों के दुकानदारों से मिलती जहां भी डिब्बे की आवश्यकता होती. वह दुकानदारों से ऑर्डर पाने में जहां सफल हुईं वहीं, अपने काम की गुणवत्ता और समय पर डिलीवरी ने उन्हें सभी दुकानदारों का पसंदीदा बना दिया.

आज संगीता पांडेय जिस मुकाम को छू चुकी हैं, उसे पाने के लिए निश्चित ही बड़ा संघर्ष करना पड़ेगा. वह कहती हैं कि परिवार और पति के सहयोग ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है, जिसमें उनका बिजनेस भी दिन-दूना रात चौगुन बढ़ा है तो समाज भी इज्जत कर रहा है. योगी सरकार हो या मोदी सरकार उन्हें तवज्जो और सम्मान दे रही है.

UP Woman Success Story
अपनी बेटियों के साथ डिब्बे वाली दीदी संगीता पांडेय. (Photo Credit; Sangeeta Pandey Self)

वह कहती हैं कि उनके पति सिपाही हैं लेकिन, जब उन्होंने इस काम को करने के लिए अपना कदम बढ़ाया तो उन्हें उनसे काफी सपोर्ट मिला. जब परिवार का सपोर्ट मिलता है तो निश्चित रूप से समाज भी आपको सपोर्ट देने लगता है और इसका संदेश समाज से ही निकाल कर आता है.

उनके पति संजय कुमार पांडेय उत्तर प्रदेश पुलिस में दीवान हैं. वह भी अपनी पत्नी के संघर्षों की गाथा को बखूबी बयां करते हैं. वह कहते हैं कि आज संगीता जिस मुकाम पर हैं, उसे देखकर उनके कठिन परिश्रम की याद आती है. साथ ही यह भी सुकून मिलता है कि आज वह 400 महिलाओं के जीविकोपार्जन का साधन और उम्मीद हैं. उनके परिश्रम को सराहा जा रहा है.

UP Woman Success Story
डिब्बे वाली दीदी संगीता पांडेय का ग्रुप. (Photo Credit; Etv Bharat)

संगीता पांडेय ने बताया कि जब वह आज से करीब 12 साल पहले साइकिल से अपने इस अभियान को पूरा करने के लिए निकली थीं तो, उनकी सबसे छोटी बेटी मात्र 9 माह की थी. उनकी तीन संतान हैं जिनमें दो बेटी और एक बेटा है. परिवार की जिम्मेदारियों को निभाते हुए उन्होंने डिब्बे का अपना जो कारोबार शुरू किया, आज उसका टर्नओवर करीब 4 करोड़ के आसपास है.

UP Woman Success Story
डिब्बे वाली दीदी संगीता पांडेय को सीएम योगी कर चुके हैं सम्मानित. (Photo Credit; Sangeeta Pandey Self)

वह गोरखपुर रत्न से भी सम्मानित हो चुकी हैं तो महिलाओं को लेकर आयोजित होने वाले गोरखपुर के हर एक कार्यक्रम में उन्हें आयोजक मंडल बड़े ही उत्साह के साथ आमंत्रित करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक संगीता पांडेय की चर्चा है, तभी तो मोदी ने उनके जन्म दिवस पर, बाकायदा मेल करके शुभकामनाएं भेजीं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी शुभकामनाएं इन्हें मिलती हैं तो, उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नरेंद्र गोपाल नंदी भी इनके फैन हैं.

UP Woman Success Story
ट्रेड फेयर में संगीता पांडेय का स्टॉल. (Photo Credit; Sangeeta Pandey Self)

नोएडा के ट्रेड फेयर में इनकी प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का विषय रहती है. वहां से भी ये कई लाख का ऑर्डर लेकर आई हैं. गोरखपुर का प्रमुख उत्पाद टेराकोटा भी देश के विभिन्न हिस्सों के साथ दुनिया के हिस्सों में पहुंचे, इसके लिए भी विभिन्न कैटेगरी के डिब्बों को तैयार करने की जिम्मेदारी इन्हें मिल रही है. बहुत जल्द इसके लिए एक सीएफसी यानी कॉमन फैसिलिटी सेंटर की स्थापना की उम्मीद भी जगी है.

UP Woman Success Story
संगीता पांडेय की पैकेजिंग इंडस्ट्री का एक नमूना. (Photo Credit; Etv Bharat)

संगीता कहती हैं कि उन्हें महिलाओं को आगे बढ़ाने, आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो भी करना पड़े वह करने को तैयार हैं. सरकार, समाज भी इसमें अगर उन्हें कोई मदद करता है, मार्गदर्शन करता है तो वह उसे भी स्वीकार करेंगी. महिलाओं को उन्होंने मुफ्त में प्रशिक्षण दिया. अब अपना स्वयं सहायता समूह बनाकर सभी को जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हैं. उन्हें डिब्बे बनाने का जो आर्डर मिलता है उसका कच्चा माल महिलाओं के घर-घर तक अपनी गाड़ी से भिजवा देती हैं. जब माल तैयार हो जाता है तो वहीं से उठाकर जहां के लिए आर्डर होता है वह पहुंचा दिया जाता है.

UP Woman Success Story
गोरखपुर के कार्यक्रम में संगीता पांडेय का सम्मान. (Photo Credit; Sangeeta Pandey Self)

संगीता पांडेय के डिब्बे की बनावट और खूबसूरती की चर्चा इतनी जबरदस्त थी कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का जब उद्घाटन हो रहा था तो, जो विशिष्ट जनों को प्रसाद बांटने के लिए डिब्बा उपयोग में लिया गया था, वह उनके हाथों और उनके संस्थान से ही बनकर अयोध्या पहुंचा था.

सीएम योगी और पीएम मोदी का गुणगान करने से भी नहीं थकती. वह कहती हैं कि यह दोनों नेता महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, उन्हें आगे बढ़ाने के लिए जो कार्य कर रहे हैं, उसका वह समर्थन करती हैं. उसके साथ खुद को भी जोड़ती हैं और महिलाओं को भी जोड़ती हैं.

संगीता के तैयार किए हुए डिब्बे सिर्फ गोरखपुर ही नहीं वाराणसी से लेकर लखनऊ और नोएडा तक पहुंच रहे हैं. नेपाल की राजधानी काठमांडू में पशुपति नाथ मंदिर के पास की मिठाई की दुकानों तक डब्बा उनके यहां से बनकर पहुंच रहा है. बिहार में पश्चिम बिहार के दुकानदार इनके यहां से डिब्बे ले जा रहे हैं.

उनकी चर्चा इस कदर है कि इन्हें अंडमान निकोबार और चेन्नई, कोलकाता से भी फोन आ रहे हैं. लेकिन, अभी यह बहुत दूर तक सप्लाई देने में कुछ वक्त लेना चाहती हैं. यही वजह है कि जब उन्हें अमेरिका और ब्राजील से संपर्क किया गया तो संगीता ने उन्हें भी कुछ समय बाद की इच्छा जताई है. उन्होंने कहा कि जो भी महिला इस क्षेत्र में अपना प्रशिक्षण पाना चाहती हैं उनका सेंटर इसके लिए तैयार बैठा है.

यही नहीं संगीता पांडेय ने अपने इस उद्यम को लेकर जो संघर्ष किया है और उनकी नजर में देश की वह महिलाएं जो संघर्ष करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम रोशन की हैं, ऐसी महिलाओं का और अपने संघर्ष गाथा जो साइकिल से शुरू हुई थी, उसकी एक भित्ति चित्र अपने कार्यालय की दीवार पर बहुत ही सुंदर ढंग से निर्मित कराने का कार्य किया है. जो लोगों को बरबस ही आकर्षित करता है.

इस संबंध में संगीता कहती हैं कि एक दिन तो दुनिया छोड़कर चले जाना होगा इसलिए उन्होंने सोचा कि, जब वह नही रहे तो यह दीवारें समाज की महिलाओं को उनसे और देश के लिए काम करने वाली, मर मिटने वाली अन्य महिलाओं से भी प्रेरणा लेकर आगे बढ़ाने की शक्ति लें, जिससे वह अबला नहीं सबला बनकर समाज में खुद को स्थापित कर सकें.

ये भी पढ़ेंः यूपी में 'दाना-पानी' का खौफ; चक्रवाती तूफान के चलते भारी बारिश की चेतावनी, बिजली गिरने का खतरा

गोरखपुर: यह कहानी है एक आम महिला का अपने संघर्ष और मेहनत के बलबूते खास बन जाने की... गोरखपुर से निकलकर नोएडा ट्रेड फेयर से लेकर दिल्ली और देश के विभिन्न कोनों के साथ विदेश तक पहुंचने वाली संगीता पांडेय की सफलता बहुत कुछ सिखाती है. उन्हें लोग आज डिब्बे वाली दीदी के नाम से जानते हैं. डिब्बा मिठाई का हो या फिर दीपावली, दशहरा, होली के गिफ्ट का, किसी भी प्रकार की पैकिंग चाहिए, संगीता के हाथों सबकुछ तैयार किया जा रहा है. इसके जरिए उन्होंने पैकेजिंग इंडस्ट्री में अपना अलग मुकाम बनाया है.

संगीता पांडेय के नेतृत्व में करीब 400 महिलाएं इस काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं. इस मुकाम तक पहुंचने के लिए संगीता पांडेय ने बहुत ही संघर्ष किया है. ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के बाद विवाह के बंधन में बंधी और तीन बच्चे हुए लेकिन, इसके बाद जिंदगी में कुछ करने की इच्छा लेकर वह जब घर से काम पर निकालीं तो इसमें उनके पति का भी साथ मिला और परिवार का भी.

डिब्बे वाली दीदी संगीता पांडेय की सफलता की कहानी पर संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat)

इन्होंने इसके लिए साइकिल से अपनी यात्रा शुरू की. करीब 30 से 40 किलोमीटर की प्रतिदिन की यात्रा करते हुए वह मिठाई के डिब्बों के साथ उन सभी जगहों के दुकानदारों से मिलती जहां भी डिब्बे की आवश्यकता होती. वह दुकानदारों से ऑर्डर पाने में जहां सफल हुईं वहीं, अपने काम की गुणवत्ता और समय पर डिलीवरी ने उन्हें सभी दुकानदारों का पसंदीदा बना दिया.

आज संगीता पांडेय जिस मुकाम को छू चुकी हैं, उसे पाने के लिए निश्चित ही बड़ा संघर्ष करना पड़ेगा. वह कहती हैं कि परिवार और पति के सहयोग ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है, जिसमें उनका बिजनेस भी दिन-दूना रात चौगुन बढ़ा है तो समाज भी इज्जत कर रहा है. योगी सरकार हो या मोदी सरकार उन्हें तवज्जो और सम्मान दे रही है.

UP Woman Success Story
अपनी बेटियों के साथ डिब्बे वाली दीदी संगीता पांडेय. (Photo Credit; Sangeeta Pandey Self)

वह कहती हैं कि उनके पति सिपाही हैं लेकिन, जब उन्होंने इस काम को करने के लिए अपना कदम बढ़ाया तो उन्हें उनसे काफी सपोर्ट मिला. जब परिवार का सपोर्ट मिलता है तो निश्चित रूप से समाज भी आपको सपोर्ट देने लगता है और इसका संदेश समाज से ही निकाल कर आता है.

उनके पति संजय कुमार पांडेय उत्तर प्रदेश पुलिस में दीवान हैं. वह भी अपनी पत्नी के संघर्षों की गाथा को बखूबी बयां करते हैं. वह कहते हैं कि आज संगीता जिस मुकाम पर हैं, उसे देखकर उनके कठिन परिश्रम की याद आती है. साथ ही यह भी सुकून मिलता है कि आज वह 400 महिलाओं के जीविकोपार्जन का साधन और उम्मीद हैं. उनके परिश्रम को सराहा जा रहा है.

UP Woman Success Story
डिब्बे वाली दीदी संगीता पांडेय का ग्रुप. (Photo Credit; Etv Bharat)

संगीता पांडेय ने बताया कि जब वह आज से करीब 12 साल पहले साइकिल से अपने इस अभियान को पूरा करने के लिए निकली थीं तो, उनकी सबसे छोटी बेटी मात्र 9 माह की थी. उनकी तीन संतान हैं जिनमें दो बेटी और एक बेटा है. परिवार की जिम्मेदारियों को निभाते हुए उन्होंने डिब्बे का अपना जो कारोबार शुरू किया, आज उसका टर्नओवर करीब 4 करोड़ के आसपास है.

UP Woman Success Story
डिब्बे वाली दीदी संगीता पांडेय को सीएम योगी कर चुके हैं सम्मानित. (Photo Credit; Sangeeta Pandey Self)

वह गोरखपुर रत्न से भी सम्मानित हो चुकी हैं तो महिलाओं को लेकर आयोजित होने वाले गोरखपुर के हर एक कार्यक्रम में उन्हें आयोजक मंडल बड़े ही उत्साह के साथ आमंत्रित करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक संगीता पांडेय की चर्चा है, तभी तो मोदी ने उनके जन्म दिवस पर, बाकायदा मेल करके शुभकामनाएं भेजीं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी शुभकामनाएं इन्हें मिलती हैं तो, उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नरेंद्र गोपाल नंदी भी इनके फैन हैं.

UP Woman Success Story
ट्रेड फेयर में संगीता पांडेय का स्टॉल. (Photo Credit; Sangeeta Pandey Self)

नोएडा के ट्रेड फेयर में इनकी प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का विषय रहती है. वहां से भी ये कई लाख का ऑर्डर लेकर आई हैं. गोरखपुर का प्रमुख उत्पाद टेराकोटा भी देश के विभिन्न हिस्सों के साथ दुनिया के हिस्सों में पहुंचे, इसके लिए भी विभिन्न कैटेगरी के डिब्बों को तैयार करने की जिम्मेदारी इन्हें मिल रही है. बहुत जल्द इसके लिए एक सीएफसी यानी कॉमन फैसिलिटी सेंटर की स्थापना की उम्मीद भी जगी है.

UP Woman Success Story
संगीता पांडेय की पैकेजिंग इंडस्ट्री का एक नमूना. (Photo Credit; Etv Bharat)

संगीता कहती हैं कि उन्हें महिलाओं को आगे बढ़ाने, आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो भी करना पड़े वह करने को तैयार हैं. सरकार, समाज भी इसमें अगर उन्हें कोई मदद करता है, मार्गदर्शन करता है तो वह उसे भी स्वीकार करेंगी. महिलाओं को उन्होंने मुफ्त में प्रशिक्षण दिया. अब अपना स्वयं सहायता समूह बनाकर सभी को जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हैं. उन्हें डिब्बे बनाने का जो आर्डर मिलता है उसका कच्चा माल महिलाओं के घर-घर तक अपनी गाड़ी से भिजवा देती हैं. जब माल तैयार हो जाता है तो वहीं से उठाकर जहां के लिए आर्डर होता है वह पहुंचा दिया जाता है.

UP Woman Success Story
गोरखपुर के कार्यक्रम में संगीता पांडेय का सम्मान. (Photo Credit; Sangeeta Pandey Self)

संगीता पांडेय के डिब्बे की बनावट और खूबसूरती की चर्चा इतनी जबरदस्त थी कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का जब उद्घाटन हो रहा था तो, जो विशिष्ट जनों को प्रसाद बांटने के लिए डिब्बा उपयोग में लिया गया था, वह उनके हाथों और उनके संस्थान से ही बनकर अयोध्या पहुंचा था.

सीएम योगी और पीएम मोदी का गुणगान करने से भी नहीं थकती. वह कहती हैं कि यह दोनों नेता महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, उन्हें आगे बढ़ाने के लिए जो कार्य कर रहे हैं, उसका वह समर्थन करती हैं. उसके साथ खुद को भी जोड़ती हैं और महिलाओं को भी जोड़ती हैं.

संगीता के तैयार किए हुए डिब्बे सिर्फ गोरखपुर ही नहीं वाराणसी से लेकर लखनऊ और नोएडा तक पहुंच रहे हैं. नेपाल की राजधानी काठमांडू में पशुपति नाथ मंदिर के पास की मिठाई की दुकानों तक डब्बा उनके यहां से बनकर पहुंच रहा है. बिहार में पश्चिम बिहार के दुकानदार इनके यहां से डिब्बे ले जा रहे हैं.

उनकी चर्चा इस कदर है कि इन्हें अंडमान निकोबार और चेन्नई, कोलकाता से भी फोन आ रहे हैं. लेकिन, अभी यह बहुत दूर तक सप्लाई देने में कुछ वक्त लेना चाहती हैं. यही वजह है कि जब उन्हें अमेरिका और ब्राजील से संपर्क किया गया तो संगीता ने उन्हें भी कुछ समय बाद की इच्छा जताई है. उन्होंने कहा कि जो भी महिला इस क्षेत्र में अपना प्रशिक्षण पाना चाहती हैं उनका सेंटर इसके लिए तैयार बैठा है.

यही नहीं संगीता पांडेय ने अपने इस उद्यम को लेकर जो संघर्ष किया है और उनकी नजर में देश की वह महिलाएं जो संघर्ष करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम रोशन की हैं, ऐसी महिलाओं का और अपने संघर्ष गाथा जो साइकिल से शुरू हुई थी, उसकी एक भित्ति चित्र अपने कार्यालय की दीवार पर बहुत ही सुंदर ढंग से निर्मित कराने का कार्य किया है. जो लोगों को बरबस ही आकर्षित करता है.

इस संबंध में संगीता कहती हैं कि एक दिन तो दुनिया छोड़कर चले जाना होगा इसलिए उन्होंने सोचा कि, जब वह नही रहे तो यह दीवारें समाज की महिलाओं को उनसे और देश के लिए काम करने वाली, मर मिटने वाली अन्य महिलाओं से भी प्रेरणा लेकर आगे बढ़ाने की शक्ति लें, जिससे वह अबला नहीं सबला बनकर समाज में खुद को स्थापित कर सकें.

ये भी पढ़ेंः यूपी में 'दाना-पानी' का खौफ; चक्रवाती तूफान के चलते भारी बारिश की चेतावनी, बिजली गिरने का खतरा

Last Updated : Oct 25, 2024, 2:44 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.