गोरखपुर: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला के साथ 1975 में मीसा बंदी के रूप में गोरखपुर जेल में करीब 18 महीने की सजा काटने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता चिरंजीव चौरसिया ने शुक्रवार को प्रदेश के पिछड़ा वर्ग आयोग का सदस्य बनने से इंकार कर दिया है. उन्होंने इस इंकार के पीछे की वजह समर्पण को सम्मान नहीं दिया जाना बताया है.
चिरंजीव चौरसिया भारतीय जनता पार्टी के फाउंडर मेंबर के रूप में गोरखपुर में जाने जाते हैं. संघ के बाल सदस्य के रूप में 8 वर्ष की उम्र से सेवा देते रहे हैं. जब 1975 में 25 जून को इमरजेंसी लगाई गई थी तो प्रदेश के पहले नंबर पर गिरफ्तार होने वाले विद्यार्थी परिषद के तत्कालीन नेता और मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला के साथ चिरंजीव चौरसिया की भी गिरफ्तारी हो गई थी. उस समय चिरंजीव चौरसिया की उम्र लगभग 14 साल ही थी. 1980 में जब भाजपा का गठन हुआ तो चिरंजीवी चौरसिया बीजेपी के साथ काम करने लगे. युवा मोर्चा से लेकर भारतीय जनता पार्टी की मेन बॉडी में वह एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में अपनी सेवा दिए. आर्य नगर वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुए और वर्ष 1996 में वह गोरखपुर नगर निगम के डिप्टी मेयर भी निर्वाचित हुए थे. ऐसे में पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन में उन्हें जब सदस्य की जिम्मेदारी दी गई तो उससे वह आहत हो गए. सूत्रों की मानें तो चिरंजीव पार्टी में आयातित लोगों को बड़ा पद मिलने से नाराज हैं. जबकि जो कार्यकर्ता 50 वर्षों से पार्टी की सेवा निरंतर ईमानदारी के साथ कर रहा है, वह सम्मान से वंचित हो रहा है.
चिरंजीवी चौरसिया से परिवारिक सदस्यों ने कहा कि पार्टी ने अभी जो उन्हें जिम्मेदारी दे रखी है, वह पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं. लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव, गोरखपुर और प्रदेश स्तर की जिम्मेदारी को पूरी मेहनत के साथ पूरा करने में वह जुटे रहे हैं. परिवार के लोगों का कहना है कि चिरंजीव के लिए पद मायने रखता है लेकिन वह सम्मान के अनुकूल हो तो. ऐसे पद पर जाना उनका उचित नहीं है. बीजेपी उनकी मूल पार्टी है. खून पसीने से उसे सींचा है और मरते दम तक सीचेंगे. लेकिन सम्मान में अगर कहीं नाइंसाफी होती है तो उससे अच्छा यह है कि पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में निरंतर सेवा देते रहेंगे. संगठन में जो पदाधिकारी पद की जिम्मेदारी मिलेगी, उसे निभाते रहेंगे. लेकिन शासन और सरकार और आयोग में मिलने वाली जिम्मेदारी अहम होनी चाहिए. इसमें कार्यकर्ता के समर्पण का ध्यान रखा जाना चाहिए. परिवार के लोगों ने कहा ऐसा उन्होंने पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन में सदस्य के रूप में चयनित होने पर महसूस किया तो वह इस पद को स्वीकार करने की इच्छा नहीं रखते.
आर्य नगर मंडल प्रभारी और भाजपा के वरिष्ठ नेता एडवोकेट वरुण चौरसिया ने कहा है कि चिरंजीवी चौरसिया पार्टी के वरिष्ठतम कार्यकर्ताओं में से एक हैं. आयोग के गठन के समय उन्हें जो पद दिया जा रहा था, पार्टी को एक बार उन्हें विश्वास में लेकर ऐसा निर्णय करना चाहिए था. पार्टी को इस मामले में चिरंजीवी चौरसिया से निश्चित रूप से पहल करके हल निकालना चाहिए. सहज और सुलझे प्रवृत्ति के व्यक्ति चिरंजीवी चौरसिया शायद पार्टी के पहल को स्वीकार भी कर लेंगे. लेकिन पार्टी में भी बड़े स्तर पर विचार की जानी चाहिए कि वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को सम्मान देने में कोताही और अनदेखी नहीं करनी चाहिए. इससे समर्पित कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है. ऐसे में तब जब दूसरे दलों से आए हुए लोगों को सम्मानित और महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी दी जा रही हो. बीजेपी का खांटी कार्यकर्ता अगर सम्मान से वंचित होगा तो निश्चित रूप से वह आहत होगा.
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