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कमाई का आधा हिस्सा पेड़ लगाने पर करते हैं खर्च, प्रकृति प्रेमियों के लिए मिशाल बने दिलशाद - Environmental Protection

Gopalganj Delivery Boy Dilshad: गोपालगंज के दिलशाद अपने प्रकृति प्रेम को लेकर नई मिशाल पेश कर रहे हैं. पेशे से डिलिवरी बॉय का काम करने वाले दिलशाद अपनी कमाई का आधा हिस्सा पेड़ लगाने में इस्तेमाल करते हैं. वो अब तक 500 पेड़ लगा चुके हैं और ये सिलसिला ऐसे ही जारी रहने वाला है. यहां कितने पेड़ लगाने का हैं उनका लक्ष्य.

Gopalganj Delivery Boy Dilshad
गोपालगंज के प्रकृति प्रेमी दिलशाद (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 18, 2024, 7:05 AM IST

गोपालगंज के प्रकृति प्रेमी दिलशाद (ETV Bharat)

गोपालगंज: ग्लोबल वार्मिंग और भीषण गर्मी ने हमें पर्यावरण संरक्षण की अहमियत को एक बार फिर से समझाया है. जिसे देखते हुए बिहार के गोपालगंज जिले के मांझागढ़ प्रखंड के फुलवरिया गांव में एक युवक पिछले 12 सालों से पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए पेड़ लगाने की मुहिम में जुटा हुआ है. इस मुहिम से अब गांव के छोटे-छोटे बच्चे भी जुड़ गए हैं. इनका मकसद सिर्फ पेड़ लगाना नहीं बल्कि पेड़ो की उचित देखभाल करना भी है ताकि हमारा पर्यावरण दूषित होने से बचे.

डिलीवरी बॉय बना पर्यावरण संरक्षक: बता दें कि बीते कुछ सालों से बिहार में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने कई लोगों की जान ली है. वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो पर्यावरण संरक्षण के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं. इन्ही लोगो में से एक नाम गोपालगंज के मांझागढ़ प्रखंड के फुलवरिया गांव निवासी निजामुद्दीन मियां के बेटे दिलशाद का भी है. दिलशाद पेशे से एक डिलीवरी बॉय है और महीने का 25 हजार रुपये कमाते हैं.

Gopalganj Delivery Boy Dilshad
खेतों और सड़कों के किनारे लगाते हैं पेड़ (ETV Bharat)

समाज के लिए बने प्रेरणा का स्रोत: दिलशाद मां-बाप के एकलौता बेटे हैं, जिनकी दो बहने भी हैं. पिता पेशे से किसान हैं, जो घर पर ही रहते है, जबकि दिलशाद परिवार का भरण पोषण करने के लिए डिलीवरी बॉय का काम करते हैं. इसके अलावा वो समाज के प्रति भी अपनी सकारात्मक सोच रखते हुए समाज क्लयाण के लिए पेड़ लगाते है. जिस वजह से वो कई लोगों के बीच एक प्रेरणा का स्रोत बन हुए हैं.

25 हजार की आमदनी से दस हजार पेड़ लगाने मे करते है खर्च: दिलशाद एक ऐसे पर्यावरण प्रेमी हैं जो पिछले छः माह पूर्व उसने फ्लिप कार्ड में डिलिवरी बॉय के तौर पर नौकरी शुरू कर दी। जिससे 25 हजार रुपए मिलते और उसमे से दस हजार रुपए पेड़ लगाने के लिए पेड़ और पेड़ को सुरक्षित रखने के लिए जाल बांस समेत विभिन्न कार्यों के लिए खर्च करते है। ताकि हमारा पर्यावरण सुरक्षित रह सके। आज तक दिलशाद ने करीब पांच सौ पेड़ लगा चुके है। जबकि साढ़े तीन सौ पेड़ सुरक्षित है और डेढ़ सौ पेड़ खराब हो गए.

Gopalganj Delivery Boy Dilshad
मिलकर लगाते हैं कई तरह के पेड़ (ETV Bharat)

स्कूल से मिली थी प्रेरणा: दिलशाद ने बताया कि पेड़ लगाने की प्रेरणा उन्हें स्कूल में पढ़ाई के दौरान शिक्षक से मिली थी. जब वह आठवीं कक्षा में पढ़ते थे तब उन्हे एक शिक्षक ने पर्यावरण के महत्व के बारे में बताया था, साथ ही उन्होंने कहा था कि अगर हर इंसान पेड़ लगाए तो पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है. शिक्षक की बातों को दिलशाद ने अपने मन में बैठा लिया. इसके बाद माता-पिता से जो पैसे मिलते थे, उसे वह अपने गुल्लक में जमा करने लगे ताकि पेड़ खरीद कर घर के पास लगा सके.

"आज अधिक मात्रा में लोग अपने शौक-सुविधाओ के कारण पेड़ काट रहे हैं. वहीं बहुत कम लोग है जो पेड़ लगा रहे हैं. अगर एक पेड़ के बदले दस पेड़ लगाया जाए तभी इसकी पूर्ति हो सकती है. कई लोग मेरे काम की सराहना करते हैं तो कुछ लोग पेड़ को उखाड़ कर फेक देते हैं. जिसके कारण मजबूरन इसकी देखभाल के लिए लड़कों को रखना पड़ता है. कुछ लड़को को रखकर पेड़ों में पानी डालने का काम भी करता हूं. इसके लिए उन्हें पैसे भी देता हूं. कई बच्चे बिना पैसों के भी मदद करते हैं."-दिलशाद, पर्यवारण प्रेमी

पेड़ लगाने के लिए जमा करते थे पैसे: दिलशाद को पेड़ खरीदने के लिए पैसे नहीं मिलते थे. जिसकी वजह से वो एक दिन गुल्लक में जमा पैसे को निकाल कर आम और लीची के दो पेड़ खरीद कर लाए. उन्होंने उसे अपने खेत में लगाया, जो आज भी मौजूद है. इसके बाद वह अपने जमीन पर धीरे-धीरे कई पेड़ लगाने लगे. शुरुआत में परिवार के लोगो ने विरोध किया लेकिन जब उन्हें पेड़ लगाने के महत्व को बताया तो वो भी समर्थन करते हुए तारीफ करने लगें.

Gopalganj Delivery Boy Dilshad
पेड़ों की करते हैं पूरी देखभाल (ETV Bharat)

पॉकेट मनी से लगाते थे पेड़: दिलशाद के पेड़ लगाने की मुहिम आगे बढ़ती रही, इसके लिए इन्होंने किसी की मदद नहीं ली है. निजी पैसों से ही उन्होंने पेड़ लगाने की शुरुआत की थी. पॉकेट मनी के रूप में जो पैसे उन्हें दिए जाते थे, उन्ही पैसों को इकट्ठा कर वो पेड़ लगाते थे. इसके बाद वो दुबई कमाने चले गए और दो साल बाद वापस अपने घर लौट आए. आज एक बार फिर से उनके पेड़ लगाने का अभियान चल पड़ा है.

अब तक लगाए ऐसे पेड़: दिलशाद ने बरगद, पीपल, नीम के अलावा छायादार सैकडों पेड़ अपने गांव के सड़क के किनारे या फिर नहर के किनारे लगाए हैं. इनके द्वारा लगाए गए कई पौधे आज वृक्ष बन गए हैं. पेड़ लगाने से पूर्व दिलशाद जगह का चयन करते हैं. जिसके बाद गड्ढा खोदकर जैविक खाद डालते हैं और उसके बाद पेड़ लगाते हैं. पेड़ लगाने के बाद उसे सुरक्षित रखने के लिए ऊपर से जाल लगा दिया जाता है ताकि जानवर उसको नुकसान न पहुंचाएं.

Gopalganj Delivery Boy Dilshad
फ्री में कर रहे पर्यावरण संरक्षण (ETV Bharat)

पर्यावरण को संतुलित करने का इरादा: दिलशाद बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान उन्हें समझ आ गया था कि पेड़ लगाना कितना आवश्यक है. देश को अधिक पेड़ की आवश्यकता है लेकिन यहां वन की कटाई तेजी से की जा रही है. इस कारण अभी भारी जलवायु परिवर्तन देखा जा रहा है. उनका इरादा है ज्यादा संख्या में पेड़ लगाना, जिससे पर्यावरण संतुलित रख रहे.

20 हजार पेड़ लगाने का है लक्ष्य: पिछले 12 साल में दिलशाद 300 से अधिक पेड़ लगा चुके हैं, जिसमें बरगद, गुलमोहर, नीम, पीपल, सागवान आदि शामिल है. उन्होंने प्रतिज्ञा ली है कि 20 हजार पेड़ वो लगाएंगे. इससे पर्यावरण संरक्षित करने में मदद मिलेगी और अन्य लोग भी प्रेरित होंगे. दिलशाद बताते हैं कि इस काम को करने पर कुछ लोग उनका मजाक भी उड़ाते हैं और कुछ लोग सराहना भी करते हैं.

Gopalganj Delivery Boy Dilshad
मुहिम में कई बच्चे हुए शामिल (ETV Bharat)

नेक काम में बच्चों ने दिया साथ: वहीं दिलशाद ने वन विभाग से भी संपर्क किया लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली है. कुछ लोग कहते है कि ये बेकार काम है. दिलशाद लोगों की बातों की परवाह किए बगैर पेड़ लगाने की मुहिम को आगे बढ़ाते जा रहे हैं. उनको मेहनत करते देख गांव के ही बच्चे जिसमे सुफरान अली, समीर दाऊद, सोनू कुमार शर्मा, नुमान अली, नीतीश कुमार और शमशाद हुसैन द्वारा हाथ बटाने का काम किया जा रहा है.

दिलशाद का साथ देने आए बच्चें: फरवरी महीने से यह बच्चे दिलशाद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पेड़ लगाने का काम कर रहे हैं. इन्हें भी काफी खुशी मिलती है कि पेड़ लगाने में उनके द्वारा सहयोग किया जा रहा है. इस संदर्भ में सुफरान अली ने बताया कि उन्हें अच्छा लगता है कि वो पेड़ लगा रहे हैं. आजकल तापमान काफी बढ़ गया है, जिससे पर्यावरण सुरक्षित नहीं है. ऐसे में पेड़ लगाना ही एकमात्र उपाय है.

Gopalganj Delivery Boy Dilshad
अब तक लगाए 500 पेड़ (ETV Bharat)

"मुझे भी अच्छा लगता है कि मैं पेड़ लगा रहा हूं क्योंकि आज टेंपरेचर काफी बढ़ गया है, हमारा पर्यावरण सुरक्षित नहीं है पेड़ लगाना ही एकमात्र उपाय है. जब हम पेड़ लगाते हैं तो कुछ लोग मेरे पापा से शिकायत करते हैं लेकिन पापा को समझाने के बाद उन्होंने भी कोई आपत्ति दर्ज नहीं की है और मुझे अच्छा लगता है"-सुफरान अली

पढ़ें-पशु-पक्षी से इतना प्रेम कि बन गए शाकाहारी, पेंशन का आधा हिस्सा करते हैं बेजुबानों पर खर्च - Retired Soldier Hari Singh

गोपालगंज के प्रकृति प्रेमी दिलशाद (ETV Bharat)

गोपालगंज: ग्लोबल वार्मिंग और भीषण गर्मी ने हमें पर्यावरण संरक्षण की अहमियत को एक बार फिर से समझाया है. जिसे देखते हुए बिहार के गोपालगंज जिले के मांझागढ़ प्रखंड के फुलवरिया गांव में एक युवक पिछले 12 सालों से पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए पेड़ लगाने की मुहिम में जुटा हुआ है. इस मुहिम से अब गांव के छोटे-छोटे बच्चे भी जुड़ गए हैं. इनका मकसद सिर्फ पेड़ लगाना नहीं बल्कि पेड़ो की उचित देखभाल करना भी है ताकि हमारा पर्यावरण दूषित होने से बचे.

डिलीवरी बॉय बना पर्यावरण संरक्षक: बता दें कि बीते कुछ सालों से बिहार में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने कई लोगों की जान ली है. वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो पर्यावरण संरक्षण के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं. इन्ही लोगो में से एक नाम गोपालगंज के मांझागढ़ प्रखंड के फुलवरिया गांव निवासी निजामुद्दीन मियां के बेटे दिलशाद का भी है. दिलशाद पेशे से एक डिलीवरी बॉय है और महीने का 25 हजार रुपये कमाते हैं.

Gopalganj Delivery Boy Dilshad
खेतों और सड़कों के किनारे लगाते हैं पेड़ (ETV Bharat)

समाज के लिए बने प्रेरणा का स्रोत: दिलशाद मां-बाप के एकलौता बेटे हैं, जिनकी दो बहने भी हैं. पिता पेशे से किसान हैं, जो घर पर ही रहते है, जबकि दिलशाद परिवार का भरण पोषण करने के लिए डिलीवरी बॉय का काम करते हैं. इसके अलावा वो समाज के प्रति भी अपनी सकारात्मक सोच रखते हुए समाज क्लयाण के लिए पेड़ लगाते है. जिस वजह से वो कई लोगों के बीच एक प्रेरणा का स्रोत बन हुए हैं.

25 हजार की आमदनी से दस हजार पेड़ लगाने मे करते है खर्च: दिलशाद एक ऐसे पर्यावरण प्रेमी हैं जो पिछले छः माह पूर्व उसने फ्लिप कार्ड में डिलिवरी बॉय के तौर पर नौकरी शुरू कर दी। जिससे 25 हजार रुपए मिलते और उसमे से दस हजार रुपए पेड़ लगाने के लिए पेड़ और पेड़ को सुरक्षित रखने के लिए जाल बांस समेत विभिन्न कार्यों के लिए खर्च करते है। ताकि हमारा पर्यावरण सुरक्षित रह सके। आज तक दिलशाद ने करीब पांच सौ पेड़ लगा चुके है। जबकि साढ़े तीन सौ पेड़ सुरक्षित है और डेढ़ सौ पेड़ खराब हो गए.

Gopalganj Delivery Boy Dilshad
मिलकर लगाते हैं कई तरह के पेड़ (ETV Bharat)

स्कूल से मिली थी प्रेरणा: दिलशाद ने बताया कि पेड़ लगाने की प्रेरणा उन्हें स्कूल में पढ़ाई के दौरान शिक्षक से मिली थी. जब वह आठवीं कक्षा में पढ़ते थे तब उन्हे एक शिक्षक ने पर्यावरण के महत्व के बारे में बताया था, साथ ही उन्होंने कहा था कि अगर हर इंसान पेड़ लगाए तो पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है. शिक्षक की बातों को दिलशाद ने अपने मन में बैठा लिया. इसके बाद माता-पिता से जो पैसे मिलते थे, उसे वह अपने गुल्लक में जमा करने लगे ताकि पेड़ खरीद कर घर के पास लगा सके.

"आज अधिक मात्रा में लोग अपने शौक-सुविधाओ के कारण पेड़ काट रहे हैं. वहीं बहुत कम लोग है जो पेड़ लगा रहे हैं. अगर एक पेड़ के बदले दस पेड़ लगाया जाए तभी इसकी पूर्ति हो सकती है. कई लोग मेरे काम की सराहना करते हैं तो कुछ लोग पेड़ को उखाड़ कर फेक देते हैं. जिसके कारण मजबूरन इसकी देखभाल के लिए लड़कों को रखना पड़ता है. कुछ लड़को को रखकर पेड़ों में पानी डालने का काम भी करता हूं. इसके लिए उन्हें पैसे भी देता हूं. कई बच्चे बिना पैसों के भी मदद करते हैं."-दिलशाद, पर्यवारण प्रेमी

पेड़ लगाने के लिए जमा करते थे पैसे: दिलशाद को पेड़ खरीदने के लिए पैसे नहीं मिलते थे. जिसकी वजह से वो एक दिन गुल्लक में जमा पैसे को निकाल कर आम और लीची के दो पेड़ खरीद कर लाए. उन्होंने उसे अपने खेत में लगाया, जो आज भी मौजूद है. इसके बाद वह अपने जमीन पर धीरे-धीरे कई पेड़ लगाने लगे. शुरुआत में परिवार के लोगो ने विरोध किया लेकिन जब उन्हें पेड़ लगाने के महत्व को बताया तो वो भी समर्थन करते हुए तारीफ करने लगें.

Gopalganj Delivery Boy Dilshad
पेड़ों की करते हैं पूरी देखभाल (ETV Bharat)

पॉकेट मनी से लगाते थे पेड़: दिलशाद के पेड़ लगाने की मुहिम आगे बढ़ती रही, इसके लिए इन्होंने किसी की मदद नहीं ली है. निजी पैसों से ही उन्होंने पेड़ लगाने की शुरुआत की थी. पॉकेट मनी के रूप में जो पैसे उन्हें दिए जाते थे, उन्ही पैसों को इकट्ठा कर वो पेड़ लगाते थे. इसके बाद वो दुबई कमाने चले गए और दो साल बाद वापस अपने घर लौट आए. आज एक बार फिर से उनके पेड़ लगाने का अभियान चल पड़ा है.

अब तक लगाए ऐसे पेड़: दिलशाद ने बरगद, पीपल, नीम के अलावा छायादार सैकडों पेड़ अपने गांव के सड़क के किनारे या फिर नहर के किनारे लगाए हैं. इनके द्वारा लगाए गए कई पौधे आज वृक्ष बन गए हैं. पेड़ लगाने से पूर्व दिलशाद जगह का चयन करते हैं. जिसके बाद गड्ढा खोदकर जैविक खाद डालते हैं और उसके बाद पेड़ लगाते हैं. पेड़ लगाने के बाद उसे सुरक्षित रखने के लिए ऊपर से जाल लगा दिया जाता है ताकि जानवर उसको नुकसान न पहुंचाएं.

Gopalganj Delivery Boy Dilshad
फ्री में कर रहे पर्यावरण संरक्षण (ETV Bharat)

पर्यावरण को संतुलित करने का इरादा: दिलशाद बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान उन्हें समझ आ गया था कि पेड़ लगाना कितना आवश्यक है. देश को अधिक पेड़ की आवश्यकता है लेकिन यहां वन की कटाई तेजी से की जा रही है. इस कारण अभी भारी जलवायु परिवर्तन देखा जा रहा है. उनका इरादा है ज्यादा संख्या में पेड़ लगाना, जिससे पर्यावरण संतुलित रख रहे.

20 हजार पेड़ लगाने का है लक्ष्य: पिछले 12 साल में दिलशाद 300 से अधिक पेड़ लगा चुके हैं, जिसमें बरगद, गुलमोहर, नीम, पीपल, सागवान आदि शामिल है. उन्होंने प्रतिज्ञा ली है कि 20 हजार पेड़ वो लगाएंगे. इससे पर्यावरण संरक्षित करने में मदद मिलेगी और अन्य लोग भी प्रेरित होंगे. दिलशाद बताते हैं कि इस काम को करने पर कुछ लोग उनका मजाक भी उड़ाते हैं और कुछ लोग सराहना भी करते हैं.

Gopalganj Delivery Boy Dilshad
मुहिम में कई बच्चे हुए शामिल (ETV Bharat)

नेक काम में बच्चों ने दिया साथ: वहीं दिलशाद ने वन विभाग से भी संपर्क किया लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली है. कुछ लोग कहते है कि ये बेकार काम है. दिलशाद लोगों की बातों की परवाह किए बगैर पेड़ लगाने की मुहिम को आगे बढ़ाते जा रहे हैं. उनको मेहनत करते देख गांव के ही बच्चे जिसमे सुफरान अली, समीर दाऊद, सोनू कुमार शर्मा, नुमान अली, नीतीश कुमार और शमशाद हुसैन द्वारा हाथ बटाने का काम किया जा रहा है.

दिलशाद का साथ देने आए बच्चें: फरवरी महीने से यह बच्चे दिलशाद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पेड़ लगाने का काम कर रहे हैं. इन्हें भी काफी खुशी मिलती है कि पेड़ लगाने में उनके द्वारा सहयोग किया जा रहा है. इस संदर्भ में सुफरान अली ने बताया कि उन्हें अच्छा लगता है कि वो पेड़ लगा रहे हैं. आजकल तापमान काफी बढ़ गया है, जिससे पर्यावरण सुरक्षित नहीं है. ऐसे में पेड़ लगाना ही एकमात्र उपाय है.

Gopalganj Delivery Boy Dilshad
अब तक लगाए 500 पेड़ (ETV Bharat)

"मुझे भी अच्छा लगता है कि मैं पेड़ लगा रहा हूं क्योंकि आज टेंपरेचर काफी बढ़ गया है, हमारा पर्यावरण सुरक्षित नहीं है पेड़ लगाना ही एकमात्र उपाय है. जब हम पेड़ लगाते हैं तो कुछ लोग मेरे पापा से शिकायत करते हैं लेकिन पापा को समझाने के बाद उन्होंने भी कोई आपत्ति दर्ज नहीं की है और मुझे अच्छा लगता है"-सुफरान अली

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