बोकारोः जिले के गोमिया विधानसभा क्षेत्र में टिकट को लेकर दावेदारों के बीच अभी से घमासान मच गया है. खासकर जेबीकेएसएस में टिकट को लेकर “एक अनार सौ बीमार” जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. एक तरफ हर कोई टिकट हासिल करने की जोर आजमाइश में जुटा हुआ है, तो दूसरी ओर क्षेत्र में कई लोग यह भई दावा कर रहे हैं कि टिकट उन्हें ही मिलेगा. हालांकि अभी तक जेबीकेएसएस ने टिकट को लेकर कोई भी स्थिति स्पष्ट नहीं की है. इसके बावजूद दावेदार क्षेत्र में भ्रमण कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और पार्टी सुप्रीमो को प्रभावित करने की कोशिश में जुटे हुए हैं.
लोस चुनाव में जेबीकेएसएस को मिली थी बढ़त
बताते चलें कि लोकसभा चुनाव में गोमिया विधानसभा से जेबीकेएसएस को लगभग 70 हजार वोट मिले थे. यह आजसू प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी और झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रत्याशी मथुरा प्रसाद महतो को मिले वोटों से भी अधिक था. जेबीकेएसएस उम्मीदवार जयराम महतो को गोमिया से 70 हजार वोट मिले थे. वोटों के इस समीकरण को देखकर यहां सभी नेताओं के विधानसभा पहुंचने के अरमान जाग गए हैं.
जेबीकेएसएस से टिकट की रेस में ये हैं शामिल
वहीं टिकट की रेस में कई लोगों के नाम की चर्चा जोरों पर है. यहां जेबीकेएसएस के टिकट के मुख्य दावेदारों में पूर्व मंत्री माधवलाल सिंह, गुणानंद महतो, इजराफिल अंसारी उर्फ बबनी, चितरंजन साव, केके पांडेय समेत और कई नाम की चर्चा है. हालांकि पार्टी की ओर से अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
माधवलाल क्यों माने जा रहे हैं मजबूत दावेदार
यह चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान जेबीकेएसएस उम्मीदवार जयराम महतो ने माधवलाल सिंह से मुलाकात कर लोकसभा चुनाव में उनसे समर्थन मांगा था और उस दौरान विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी का उम्मीदवार बनाने की बात भी हुई थी. चर्चा है कि इस कारण माधवलाल ने लोकसभा चुनाव में जयराम महतो को मदद भी की थी और गोमिया विधानसभा क्षेत्र में मिले इस अप्रत्याशित वोट में माधवलाल सिंह का भी महत्वपूर्ण योगदान था. यही कारण है कि उन्हें एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है. लोगों का मानना है कि माधवलाल सिंह का गोमिया में जनाधार है. उनके पास अभी भी लगभग 30 से 40 हजार अपना वोट बैंक है. ऐसे में अगर जेबीकेएसएस उन्हें टिकट देती है तो वह सभी का समीकरण बिगाड़ने में सक्षम साबित हो सकते हैं.
गुणानंद महतो भी टिकट की रेस में
दूसरी ओर गुणानंद महतो भी मैदान में उतर चुके हैं. पूर्व में गुणानंद आजसू में थे. गुणानंद कभी आजसू सुप्रीम सुदेश कुमार महतो के काफी करीबी माने जाते थे, लेकिन 2017 में इन्होंने आजसू पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामा था. चर्चा है कि गुणानंद आजसू छोड़कर भाजपा में इस उम्मीद पर गए थे कि गोमिया विधानसभा से उन्हें भाजपा टिकट देगी, लेकिन दोनों बार 2018 के उपचुनाव और 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला. उन्होंने हाल में ही भाजपा छोड़ कर जेबीकेएएस का दामन थाम लिया है.चर्चा है कि वह गोमिया विधानसभा से जेबीकेएएस के उम्मीदवार हो सकते हैं. हालांकि पार्टी स्तर से अभी तक ऐसा कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है.
चितरंजन और इजराफिल अंसारी के नाम की भी चर्चा
दूसरी और जिला परिषद अध्यक्ष सुनीता देवी के पति सह भाजपा नेता चितरंजन साव भी चुनावी मैदान में उतरने के मूड में दिख रहे हैं. उनको लेकर भी ऐसी चर्चा है कि वह जेबीकेएसएस के उम्मीदवार हो सकते हैं. इसी तरह मुस्लिम वोटों के समीकरण के आधार पर बोकारो के दिवंगत विधायक इसराइल अंसारी के पुत्र इजराफिल अंसारी उर्फ बबनी के चुनाव लड़ने की चर्चा क्षेत्र में जोरों पर है और यह भी चर्चा है कि वह जेबीकेएसएस के उम्मीदवार बन सकते हैं.
अमरेश कुमार महतो भी हैं टिकट के दावेदार
इसके अलावा जेबीकेएसएस के बोकारो जिलाध्यक्ष अमरेश कुमार महतो भी पार्टी के टिकट के दावेदारों में से एक माने जा रहे हैं. इसी तरह कई अन्य लोग भी जेबीकेएसएस के टिकट की आस लगाए बैठे हैं और पार्टी नेतृत्व को प्रभावित करने की जुगत में भिड़े हुए हैं. अनेक दावेदारों के कारण यहां चुनाव को लेकर रोचक स्थिति बनती जा रही है और लोग इस बात को लेकर उत्सुक हो गए हैं कि इन दावेदारों के बीच में आखिर टिकट हथियाने में कौन सफल हो पाता है.
दूसरी ओर आजसू की टिकट पर डॉ लंबोदर महतो और झामुमो से योगेंद्र प्रसाद अथवा उनकी पत्नी बबीता देवी का चुनाव लड़ना भी तय माना जा रहा है. दोनों दिग्गजों के बीच जेबीकेएसएस अपना रास्ता किस प्रकार बना पाएगी, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं.
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