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शीतलहर बढ़ी तो भगवान को लगाया जा रहा गाढ़ा दूध-केसर-अदरक का भोग, ऊनी वस्त्र और हीटर की भी व्यवस्था - GOD DRESSED IN SWEATER

बिहार में ठंड का प्रकोप बढ़ गया है. इस बीच भगवान को इससे बचाने के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. पढ़ें

GOD DRESSED IN SWEATER
भगवान को स्वेटर पहनाया गया (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 3 hours ago

गया : ठंड की शीतलहर हाड़ कंपा देने जैसी है. लोग ठंड से बचने के लिए तरह-तरह के गर्म कपड़े व अन्य चीजों का उपयोग कर रहे हैं. इसी बीच बिहार के गया के कई मंदिरों में भगवान को ठंड न लगे, इसके लिए भक्तों ने कई तरह के इंतजाम किए हैं. मंदिरों में अब भगवान उनी वस्त्र पहने नजर आ रहे हैं, तो उनके भोग में भी मौसम के अनुसार बदलाव कर दिया गया है.

गया के इस्कॉन मंदिर में भगवान को पहनाए गए ऊलेन वस्त्र : भगवान को ठंड न लगे, इसके लिए मंदिर में तमाम व्यवस्थाएं की गई है. भगवान की प्रतिमाओं को गर्म वस्त्र पहनाए गए हैं. सिर पर ऊनी टोपी भी है. इस्कॉन मंदिर में जितने भी देवी देवताओं की प्रतिमाएं हैं, सभी को ऊलेन वस्त्र पहनाए गए हैं. वहीं माता तुलसी को भी शॉल पहनाया गया है.

गया से रत्नेश की रिपोर्ट (ETV Bharat)

दिसंबर के महीने में चल रही है शीतलहर : दिसंबर का महीना है और ठंढ चरम पर पहुंचने लगी है. शीतलहरी काफी चल रही है. ऐसे में गया के कई मंदिरों में भगवान के प्रति भक्तों की अटूट आस्था देखने को मिल रही है. भगवान को स्नान गर्म पानी से ही हो रहा है. भगवान को तरह-तरह के ऊलेन कपड़े पहनाए जा रहे हैं. तरह-तरह के आकर्षकों स्वेटर में भगवान का रूप और भी मनमोहक लग रहा है.

God dressed in sweater
ठंड में भगवान को पहनाया गया ऊनी वस्त्र (ETV Bharat)

मौसम के अनुसार भोग में भी बदलाव : वहीं, मौसम के अनुसार भगवान को लगने वाले भोग में ही बदलाव किया गया है. भगवान को गाढ़ा दूध और उसमें केसर, अदरक आदि मिलाकर भोग लगाया जा रहा है. वहीं तिल भी भगवान को भोग में अर्पित किया जा रहा है. अभी ठंड के दिन में भगवान को जितने भी भोग लगा रहे हैं, कोशिश यही हो रही है कि ठंड से बचने वाले पदार्थ का ही भोग भगवान को लगाया जाए.

God dressed in sweater
भगवान जगन्नाथ, बलराम और माता शुभद्रा को पहनाया गया स्वेटर (ETV Bharat)

भक्त बना रहे स्वेटर : वहीं, भक्त भी भगवान को ठंड के दिनों में पहनने के लिए ऊनी वस्त्र बना रहे हैं. उनके ऊलेन वस्त्रों में ऊनी स्वेटर और वॉलभेट के वस्त्र हैं. ऊनी और वॉलभेट वस्त्रों का इस्तेमाल हो रहा है, जो कि ठंड से बचाव में उपयोगी होते हैं.

God dressed in sweater
भगवान को ठंड से बचाने का उपाय. (ETV Bharat)

हीटर का भी प्रबंध : ठंड से बचाव के लिए गया के इस्कॉन मंदिर में हीटर का भी प्रबंध किया गया है. जिस तरह गर्मी में भगवान को गर्मी और लू से बचाव के लिए पंखे और एसी की व्यवस्था की जाती है. उसी प्रकार ठंड के दिनों में उन्हें वस्त्र पहनाए जाने के अलावे हीटर भी लगाए जाते हैं. इस तरह इस्कॉन मंदिर में भक्तों की अनोखी आस्था देखने को मिल रही है.

God dressed in sweater
भगवान के लिए लगाया गया हीटर (ETV Bharat)

'भगवान भी एक व्यक्ति के रूप में' : इस संबंध में इस्कॉन मंदिर गया के अध्यक्ष जगदीश श्याम दास बताते हैं कि भगवान भावग्राही है. भगवान प्रेम के भूखे होते हैं. भगवान जी तो सर्दी-गर्मी के ऊपर हैं, क्योंकि उनका शरीर सच्चिदानंद है.

''भगवान राम, भगवान कृष्ण व्यक्ति के रूप में आए. इस नजरिए से देखें तो भगवान भी एक व्यक्ति हैं. जिस तरह से भगवान भक्तों का ख्याल रखते हैं, तो भक्त भी उनका ख्याल रखते हैं. हमारे मंदिर के मालिक भगवान ही हैं और हम सेवक उनकी सेवा करते हैं.''- जगदीश श्याम दास, अध्यक्ष, इस्कॉन मंदिर, गया

बता दें कि गया का इस्कॉन मंदिर प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. यहां राधे-कृष्ण, भगवान जगन्नाथ, बलराम जी, सुभद्रा माता, चैतन्य महाप्रभु देवी देवताओं की प्रतिमा है. माता तुलसी भी विराजमान हैं.

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गया : ठंड की शीतलहर हाड़ कंपा देने जैसी है. लोग ठंड से बचने के लिए तरह-तरह के गर्म कपड़े व अन्य चीजों का उपयोग कर रहे हैं. इसी बीच बिहार के गया के कई मंदिरों में भगवान को ठंड न लगे, इसके लिए भक्तों ने कई तरह के इंतजाम किए हैं. मंदिरों में अब भगवान उनी वस्त्र पहने नजर आ रहे हैं, तो उनके भोग में भी मौसम के अनुसार बदलाव कर दिया गया है.

गया के इस्कॉन मंदिर में भगवान को पहनाए गए ऊलेन वस्त्र : भगवान को ठंड न लगे, इसके लिए मंदिर में तमाम व्यवस्थाएं की गई है. भगवान की प्रतिमाओं को गर्म वस्त्र पहनाए गए हैं. सिर पर ऊनी टोपी भी है. इस्कॉन मंदिर में जितने भी देवी देवताओं की प्रतिमाएं हैं, सभी को ऊलेन वस्त्र पहनाए गए हैं. वहीं माता तुलसी को भी शॉल पहनाया गया है.

गया से रत्नेश की रिपोर्ट (ETV Bharat)

दिसंबर के महीने में चल रही है शीतलहर : दिसंबर का महीना है और ठंढ चरम पर पहुंचने लगी है. शीतलहरी काफी चल रही है. ऐसे में गया के कई मंदिरों में भगवान के प्रति भक्तों की अटूट आस्था देखने को मिल रही है. भगवान को स्नान गर्म पानी से ही हो रहा है. भगवान को तरह-तरह के ऊलेन कपड़े पहनाए जा रहे हैं. तरह-तरह के आकर्षकों स्वेटर में भगवान का रूप और भी मनमोहक लग रहा है.

God dressed in sweater
ठंड में भगवान को पहनाया गया ऊनी वस्त्र (ETV Bharat)

मौसम के अनुसार भोग में भी बदलाव : वहीं, मौसम के अनुसार भगवान को लगने वाले भोग में ही बदलाव किया गया है. भगवान को गाढ़ा दूध और उसमें केसर, अदरक आदि मिलाकर भोग लगाया जा रहा है. वहीं तिल भी भगवान को भोग में अर्पित किया जा रहा है. अभी ठंड के दिन में भगवान को जितने भी भोग लगा रहे हैं, कोशिश यही हो रही है कि ठंड से बचने वाले पदार्थ का ही भोग भगवान को लगाया जाए.

God dressed in sweater
भगवान जगन्नाथ, बलराम और माता शुभद्रा को पहनाया गया स्वेटर (ETV Bharat)

भक्त बना रहे स्वेटर : वहीं, भक्त भी भगवान को ठंड के दिनों में पहनने के लिए ऊनी वस्त्र बना रहे हैं. उनके ऊलेन वस्त्रों में ऊनी स्वेटर और वॉलभेट के वस्त्र हैं. ऊनी और वॉलभेट वस्त्रों का इस्तेमाल हो रहा है, जो कि ठंड से बचाव में उपयोगी होते हैं.

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भगवान को ठंड से बचाने का उपाय. (ETV Bharat)

हीटर का भी प्रबंध : ठंड से बचाव के लिए गया के इस्कॉन मंदिर में हीटर का भी प्रबंध किया गया है. जिस तरह गर्मी में भगवान को गर्मी और लू से बचाव के लिए पंखे और एसी की व्यवस्था की जाती है. उसी प्रकार ठंड के दिनों में उन्हें वस्त्र पहनाए जाने के अलावे हीटर भी लगाए जाते हैं. इस तरह इस्कॉन मंदिर में भक्तों की अनोखी आस्था देखने को मिल रही है.

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भगवान के लिए लगाया गया हीटर (ETV Bharat)

'भगवान भी एक व्यक्ति के रूप में' : इस संबंध में इस्कॉन मंदिर गया के अध्यक्ष जगदीश श्याम दास बताते हैं कि भगवान भावग्राही है. भगवान प्रेम के भूखे होते हैं. भगवान जी तो सर्दी-गर्मी के ऊपर हैं, क्योंकि उनका शरीर सच्चिदानंद है.

''भगवान राम, भगवान कृष्ण व्यक्ति के रूप में आए. इस नजरिए से देखें तो भगवान भी एक व्यक्ति हैं. जिस तरह से भगवान भक्तों का ख्याल रखते हैं, तो भक्त भी उनका ख्याल रखते हैं. हमारे मंदिर के मालिक भगवान ही हैं और हम सेवक उनकी सेवा करते हैं.''- जगदीश श्याम दास, अध्यक्ष, इस्कॉन मंदिर, गया

बता दें कि गया का इस्कॉन मंदिर प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. यहां राधे-कृष्ण, भगवान जगन्नाथ, बलराम जी, सुभद्रा माता, चैतन्य महाप्रभु देवी देवताओं की प्रतिमा है. माता तुलसी भी विराजमान हैं.

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