वाराणसीः शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पूर्वांचल का केंद्र बिंदु काशी है. यह सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड के पड़ोसी जिलों को साधता है. ऐसे में काशी न सिर्फ शिक्षा और पर्यटन के लिहाज से काफी अहम मानी जाती है, बल्कि यहां की बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं भी लोगों के लिए काफी सहूलियत भरी होती है. बनारस में स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय यहां का एम्स माना जाता है. मगर इस अस्पताल पर मरीजों का काफी दबाव रहता है. ऐसे में बनारस को एक नए अस्पताल की दरकार थी, जो इस साल के बजट में सरकार ने पूरी कर दी है. जी हां! बनारस में मेडिकल कॉलेज के लिए 400 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है.
बनारस शिक्षा और आध्यात्म का केंद्र तो वर्षों से से रहा ही है मगर यह स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में भी अव्वल है. बनारस में उत्तर प्रदेश की एक बड़ी जनसंख्या अपने इलाज के लिए आती है. इसमें पंडित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल हो या फिर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का सर सुंदरलाल अस्पताल. यहां के सभी बड़े अस्पतालों में बड़ी मात्रा में लोग इलाज कराने के लिए आते हैं. ऐसे में सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बनारस को बड़ा तोहफा दिया है. सरकार ने बजट में मेडिकल कॉलेज के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. इसके लिए मानसिक अस्पताल की जमीन चिन्हित है. यह पंडित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल से संबद्ध रहेगा.
पूर्वांचल का AIIMS कहा जाता है BHU
बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है. ऐसे में यहां पर सुविधाओं का खास खयाल रखा जा रहा है. अभी तक यहां पर कोई राजकीय मेडिकल कॉलेज नहीं था. ऐसे में सबसे अधिक मरीजों का भार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अस्पताल पर जाता है. BHU का अस्पताल पूर्वांचल का AIIMS कहा जाता है. यहां पर सिर्फ उत्तर प्रदेश के आस-पास के जिलों से ही नहीं, बल्कि बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के जिलों से भी लोग दवाओं के लिए आते हैं. ऐसे में इस अस्पताल भी मरीजों का अधिक दबाव रहता है. मरीज काफी भीड़ देखकर वापस भी चले जाते हैं. वहीं दवा के काउंटर पर भी लंबी भीड़ देखने को मिलती है.
होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव
बता दें कि अभी वाराणसी में सिर्फ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में ही एमबीबीएस की 100 सीटें हैं. इसके साथ ही 2021 में तय किए गए होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए भी सरकार ने व्यवस्था की है. उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसायटी (आयुष मिशन) के तहत सरकार ने साल 2021 में इसकी स्वीकृति दी थी. वहीं पिंडरा के रामपुर में 42 करोड़ की लागत से 100 बेड 100 सीट के महाविद्यालय का भी कार्य शुरू हो गया था, लेकिन जमीन मिलने में समस्या आ रही है. ऐसे में पूर्वांचल का केंद्र बनारस जल्द ही स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भी अग्रणी बन जाएगा.
बीएचयू अस्पताल पर रहता है मरीजों का दबाव
बता दें कि सामान्य दिनों में बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में रोज करीब 10 से अधिक मरीज ओपीडी, इमरजेंसी में इलाज के लिए आते हैं. यहां पर रोजाना 100 से 150 सर्जरी होती है. अस्पताल के मुताबिक, बीएचयू अस्पताल में लगभग 2600 बेड हैं. वहीं बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से भी मरीजों की बड़ी संख्या इलाज कराने पहुंचती है. ऐसे में बनारस में मेडिकल कॉलेज के बन जाने से सुर सुंदर लाल अस्पताल का बोझ कम होगा. मेडिकल कॉलेज के लिए जिला प्रशासन ने जमीन को चिह्नित कर लिया है. पंडित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के मानसिक अस्पताल की जमीन पर इसका निर्माण किया जाएगा.
एक नजर
- बीएचयू के अस्पताल में रोजाना आते हैं 10 हजार से अधिक मरीज.
- बीएचयू पूर्वांचल का AIIMS माना जाता है. यहां पर है इलाज की बेहतर सुविधा.
- उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश से आते हैं मरीज.
- सरकार ने 400 करोड़ रुपये मेडकल कॉलेज के लिए बजट प्रस्तावित किया है.
- पंडित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के मानसिक अस्पताल की जमीन पर बनेगा मेडिकल कॉलेज.