श्रीनगर: उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार कमलेश्वर महादेव मंदिर में आगामी 15 फरवरी को घृत अनुष्ठान किया जाएगा. जिसके तहत भगवान शिव को 52 प्रकार के भोग लगाए जाएंगे. इसके अलावा शिवलिंग को 51 किलो घी का लेप लगाया जाएगा. कमलेश्वर मंदिर के महंत दिगम्बर अवस्था में भगवान शिव के मंदिर की लौट परिक्रमा करेंगे.
आगामी 15 फरवरी को देर शाम शुरू होने वाला यह अनुष्ठान देर रात तक चलेगा. अनुष्ठान के बाद प्रसाद के रूप में शिव लिंग पर चढ़े घी को श्रद्धालुओं को दिया जाएगा. प्राचीन काल से अनुष्ठान की यह प्रथा चली आ रही है. जिसे आज भी किया जाता है. कहा जाता है कि इससे पहले देवता भगवान शिव की लौट परिक्रमा किया करते थे. जिसे अब मंदिर के महंत निर्वहन कर रहे हैं. इस अनुष्ठान को देखने के लिए दूर दराज से लोग पहुंचते हैं और भगवान शिव के दर पर माथा टेकते हैं.
भगवान को मनाने के लिए होती है पूजा: पुराणों के अनुसार, मां उमा के सती होने से क्षुब्ध होकर भगवान शिव ने वैराग्य धारण कर लिया था. जिसके बाद भगवान शिव तपस्या में लीन हो गए. जिस पर तारकासुर नाम के राक्षस का आतंक बढ़ने लगा. तारकासुर को वरदान था कि वो भगवान शिव के पुत्र के हाथ मारा जाएगा, लेकिन मां उमा के सती होने के बाद उस राक्षस का आतंक बढ़ने लगा. फिर मां सती, गौरा के रूप में हिमालय पुत्री के रूप में जन्मी, लेकिन शिव का वैराग्य खत्म नहीं हुआ.
जिस पर कामदेव ने शिव की तपस्या भंग करनी चाही, लेकिन शिव के क्रोध ने कामदेव को भस्म कर दिया. तब सारे देवताओं ने भगवान शिव की आराधना शुरू की. आराधना से भगवान शिव का क्रोध शांत हुआ. जिसके बाद में भोलेनाथ कमलेश्वर मंदिर के लिंग में प्रतिष्ठित हो गए. तब से इस मंदिर में भगवान को मनाने के लिए पूजा की जाती है. जो प्राचीन काल से अभी तक चली आ रही है.
कमलेश्वर महादेव मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने बताया कि इस साल ये पूजा 15 फरवरी को आयोजित की जाएगी. जिसकी तैयारियां की जा रही हैं. श्रद्धालुओं के रुकने की व्यवस्था मंदिर प्रशासन कर रहा है. प्रशासन को भी आयोजन की जानकारी दी जा चुकी है. अनुष्ठान को लेकर मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पूजा देर शाम शुरू होगी और देर रात तक चलेगी.
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