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55 हजार रोडवेज कर्मचारियों की मांगों को लेकर घेरा मुख्यालय, मांगा महंगाई भत्ता, बोले-भेदभाव नहीं करेंगे बर्दाश्त - Demonstration of roadways workers

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 22, 2024, 6:55 PM IST

Updated : Jul 22, 2024, 10:57 PM IST

उत्तर प्रदेश राज सड़क परिवहन निगम के 55000 संविदा कर्मचारियों की 40 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार को सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ ने परिवहन निगम मुख्यालय पर सत्याग्रह किया.

परिवहन निगम मुख्यालय पर सत्याग्रह करते संविदा कर्मचारी.
परिवहन निगम मुख्यालय पर सत्याग्रह करते संविदा कर्मचारी. (Photo Credit; ETV Bharat)
परिवहन निगम मुख्यालय पर सत्याग्रह करते संविदा कर्मचारी. (Video Credit; ETV Bharat)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज सड़क परिवहन निगम के 55000 संविदा कर्मचारियों की 40 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार को सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ ने परिवहन निगम मुख्यालय पर सत्याग्रह किया. संगठन के अध्यक्ष त्रिलोकी व्यास के नेतृत्व में संविदा कर्मचारियों ने समस्याओं का समाधान न होने को लेकर नाराजगी जताई. संगठन के प्रांतीय महामंत्री जसवंत सिंह ने कहा कि आज सत्याग्रह करने के लिए हमारे ही घर में हमें प्रवेश नहीं करने दिया गया. मुख्यालय के अंदर प्रदर्शन करने आए थे लेकिन गेट ही बंद कर लिया गया. बाहर प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ा. कहा कि भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

इस मौके पर प्रांतीय महामंत्री जसवंत सिंह ने कहा कि हमारा 40 सूत्री मांग पत्र है. रूपईडीहा के संविदा चालक परिचालक की गलत संविदा समाप्ति को लेकर हमारा विरोध है और ऐसे ही तमाम संविदा कर्मचारियों को एक झटके में ही नौकरी से निकाल दिए जाने का हम विरोध कर रहे हैं. कहा कि संविदा कर्मचारियों से गलती होने पर उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है, लेकिन आज रोडवेज की ढाई हजार से ज्यादा बसें चालक परिचालकों के अभाव में संचालित नहीं हो पा रही हैं, क्या इसके लिए अधिकारी जिम्मेदार नहीं हैं? उन पर कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. अभी मुख्यमंत्री के निर्देश पर डग्गामार बसों के खिलाफ कार्रवाई हुई है. इससे परिवहन निगम को हर रोज दो करोड़ रुपए का फायदा हो रहा है. क्या यह 2500 बसें जो वर्कशॉप में खड़ी हैं, वह संचालित हो रही होतीं तो हमें और करोड़ों रुपए का फायदा नहीं होता. इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है क्यों ध्यान नहीं दिया जाता है? क्या अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं? 50% की जगह 49% इनकम आने पर संविदा परिचालक के वेतन से ₹2000 काट लेते हैं. उसको रूट ऑफ कर देते हैं. 17000 और 14000 रुपए के वेतन से वंचित कर देते हैं. अगर बसों के संचालन न होने से रोजाना करोड़ों का घाटा होता है तो क्या अधिकारियों पर एक्शन नहीं होना चाहिए. उन्होंने संविदा चालक परिचालकों के आर्बिट्रेशन को लेकर भी सवाल खड़े किए.

कहा कि जो पिछले 22 साल से रोडवेज में चालक परिचालक नौकरी कर रहे हैं, उन्हें 17000 रुपए से लेकर अधिकतम ₹20000 मिलता है, जबकि जो नियमित कर्मचारी हैं, उन्हें इतने ही सेवाकाल के लिए 40 हजार से 45000 रुपए तक वेतन मिलता है. अब जरा सी गलती हो या फिर न हो तब भी रोडवेज की छवि को लेकर संविदा चालक परिचालकों को नौकरी से बाहर कर देते हैं. उनके घर के बारे में भी नहीं सोचते हैं कि कैसे उनका घर चलेगा. उपनगरीय डिपो के एक संविदा चालक प्रदीप पांडेय को बिना किसी वजह के ही निकाल दिया, जबकि उनका ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा है. रोडवेज ने जांच भी कर ली तब भी इस तरह की कार्रवाई कर दी गई.

इस मौके पर संगठन के अध्यक्ष त्रिलोकी व्यास ने कहा कि अगर हमारी समस्याओं का समाधान नहीं होता तो हम आगे बड़ा आंदोलन करेंगे. उत्तर प्रदेश में हमारी दो कार्यशालाएं हैं, जिनमें पहले बसें बनती थीं, अब वही बसें बाहर बन रही हैं. पहले ढाई हजार से लेकर 3000 तक कर्मचारी हुआ करते थे अब उन दोनों कार्यशालाओं में 20 से 25 आदमी ही रह गए हैं. धीरे-धीरे कार्यशालाओं को खत्म कर रहे हैं और बाहर से काम करा रहे हैं. ठेकेदारी प्रथा लागू कर दी गई है. भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है.

ये हैं यूनियन के प्रमुख समस्याएं

: संविदा चालक परिचालकों का शोषण
: मृतक आश्रित और 2001 तक के संविदा कर्मियों की नियमित नियुक्ति
: सातवें वेतनमान का एरियर और बकाए महंगाई भत्ते को दिया जाना
: स्पेयर पार्ट्स और चालक परिचालक की कमी को दूर किया जाए.
: अतिरिक्त कर जिससे परिवहन निगम पर लगभग 300 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ता है को समाप्त किया जाय
: राष्ट्रीय मार्गो का प्रतिशत बढ़ाया जाए
: आर्बिटेशन एक्ट के अनुसार रिटायर्ड जज का पैनल बनाया जाए.

यह भी पढ़ें : रेलकर्मियों ने घेरा डीआरएम दफ्तर, एआईआरएफ महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा बोले- बढ़ाई जाए कर्मचारियों की संख्या, कल्याण निधि में हो इजाफा - demonstration of railway workers

परिवहन निगम मुख्यालय पर सत्याग्रह करते संविदा कर्मचारी. (Video Credit; ETV Bharat)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज सड़क परिवहन निगम के 55000 संविदा कर्मचारियों की 40 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार को सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ ने परिवहन निगम मुख्यालय पर सत्याग्रह किया. संगठन के अध्यक्ष त्रिलोकी व्यास के नेतृत्व में संविदा कर्मचारियों ने समस्याओं का समाधान न होने को लेकर नाराजगी जताई. संगठन के प्रांतीय महामंत्री जसवंत सिंह ने कहा कि आज सत्याग्रह करने के लिए हमारे ही घर में हमें प्रवेश नहीं करने दिया गया. मुख्यालय के अंदर प्रदर्शन करने आए थे लेकिन गेट ही बंद कर लिया गया. बाहर प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ा. कहा कि भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

इस मौके पर प्रांतीय महामंत्री जसवंत सिंह ने कहा कि हमारा 40 सूत्री मांग पत्र है. रूपईडीहा के संविदा चालक परिचालक की गलत संविदा समाप्ति को लेकर हमारा विरोध है और ऐसे ही तमाम संविदा कर्मचारियों को एक झटके में ही नौकरी से निकाल दिए जाने का हम विरोध कर रहे हैं. कहा कि संविदा कर्मचारियों से गलती होने पर उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है, लेकिन आज रोडवेज की ढाई हजार से ज्यादा बसें चालक परिचालकों के अभाव में संचालित नहीं हो पा रही हैं, क्या इसके लिए अधिकारी जिम्मेदार नहीं हैं? उन पर कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. अभी मुख्यमंत्री के निर्देश पर डग्गामार बसों के खिलाफ कार्रवाई हुई है. इससे परिवहन निगम को हर रोज दो करोड़ रुपए का फायदा हो रहा है. क्या यह 2500 बसें जो वर्कशॉप में खड़ी हैं, वह संचालित हो रही होतीं तो हमें और करोड़ों रुपए का फायदा नहीं होता. इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है क्यों ध्यान नहीं दिया जाता है? क्या अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं? 50% की जगह 49% इनकम आने पर संविदा परिचालक के वेतन से ₹2000 काट लेते हैं. उसको रूट ऑफ कर देते हैं. 17000 और 14000 रुपए के वेतन से वंचित कर देते हैं. अगर बसों के संचालन न होने से रोजाना करोड़ों का घाटा होता है तो क्या अधिकारियों पर एक्शन नहीं होना चाहिए. उन्होंने संविदा चालक परिचालकों के आर्बिट्रेशन को लेकर भी सवाल खड़े किए.

कहा कि जो पिछले 22 साल से रोडवेज में चालक परिचालक नौकरी कर रहे हैं, उन्हें 17000 रुपए से लेकर अधिकतम ₹20000 मिलता है, जबकि जो नियमित कर्मचारी हैं, उन्हें इतने ही सेवाकाल के लिए 40 हजार से 45000 रुपए तक वेतन मिलता है. अब जरा सी गलती हो या फिर न हो तब भी रोडवेज की छवि को लेकर संविदा चालक परिचालकों को नौकरी से बाहर कर देते हैं. उनके घर के बारे में भी नहीं सोचते हैं कि कैसे उनका घर चलेगा. उपनगरीय डिपो के एक संविदा चालक प्रदीप पांडेय को बिना किसी वजह के ही निकाल दिया, जबकि उनका ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा है. रोडवेज ने जांच भी कर ली तब भी इस तरह की कार्रवाई कर दी गई.

इस मौके पर संगठन के अध्यक्ष त्रिलोकी व्यास ने कहा कि अगर हमारी समस्याओं का समाधान नहीं होता तो हम आगे बड़ा आंदोलन करेंगे. उत्तर प्रदेश में हमारी दो कार्यशालाएं हैं, जिनमें पहले बसें बनती थीं, अब वही बसें बाहर बन रही हैं. पहले ढाई हजार से लेकर 3000 तक कर्मचारी हुआ करते थे अब उन दोनों कार्यशालाओं में 20 से 25 आदमी ही रह गए हैं. धीरे-धीरे कार्यशालाओं को खत्म कर रहे हैं और बाहर से काम करा रहे हैं. ठेकेदारी प्रथा लागू कर दी गई है. भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है.

ये हैं यूनियन के प्रमुख समस्याएं

: संविदा चालक परिचालकों का शोषण
: मृतक आश्रित और 2001 तक के संविदा कर्मियों की नियमित नियुक्ति
: सातवें वेतनमान का एरियर और बकाए महंगाई भत्ते को दिया जाना
: स्पेयर पार्ट्स और चालक परिचालक की कमी को दूर किया जाए.
: अतिरिक्त कर जिससे परिवहन निगम पर लगभग 300 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ता है को समाप्त किया जाय
: राष्ट्रीय मार्गो का प्रतिशत बढ़ाया जाए
: आर्बिटेशन एक्ट के अनुसार रिटायर्ड जज का पैनल बनाया जाए.

यह भी पढ़ें : रेलकर्मियों ने घेरा डीआरएम दफ्तर, एआईआरएफ महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा बोले- बढ़ाई जाए कर्मचारियों की संख्या, कल्याण निधि में हो इजाफा - demonstration of railway workers

Last Updated : Jul 22, 2024, 10:57 PM IST
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