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चंबल नदी के घाटों पर घड़ियाल और मगरमच्छ समेत जलीय जीवों की बढ़ी हलचल, सफारी शुरू नहीं होने से पर्यटक निराश - CHAMBAL RIVER SAFARI

धौलपुर से गुजर रही चंबल नदी के घाटों पर सर्दी के बढ़ते ही धूप सेंकने के लिए सैकड़ों घड़ियाल और मगरमच्छ निकल रहे हैं.

Chambal river safari
चंबल नदी के घाटों पर घड़ियाल और मगरमच्छ (ETV Bharat Kota)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 21, 2024, 4:18 PM IST

धौलपुर : सर्दी शुरू होने से जिले से गुजर रही चंबल नदी के घाटों पर घड़ियाल और मगरमच्छों के झुंड दिखाई दे रहे हैं. अधिकांश घाटों पर धूप निकलने के साथ ही ये जलीय जीव धूप का आनंद लेने बाहर आ रहे हैं. स्थानीय पर्यटक इन जीवों की अद्भुत गतिविधियों का आनंद लेने पहुंच रहे हैं. हालांकि, नगर परिषद की लापरवाही के कारण इस बार चंबल सफारी शुरू नहीं हो पाई है.

चंबल नदी वर्तमान समय में जलीय जीवों से गुलजार है. अधिक सर्दी पड़ने के कारण मगरमच्छ, घड़ियाल, डॉल्फिन और कछुओं के झुंड धूप निकलने पर घाटों पर आ जाते हैं. सुबह 11 बजे के बाद जैसे ही धूप निकलती है, घाटों पर सैकड़ों जलीय जीव बाहर आकर बालू पर खेलते दिखाई देते हैं.

धूप सेंकने के लिए निकले जलीय जीव (ETV Bharat Kota)

इसे भी पढे़ं- नेस्टिंग टाइम पूरा होने पर अंडों से निकल रहे घड़ियाल के शावक, घड़ियाल शावकों से गुलजार हो रही चंबल - Crocodile breeding in Chambal river

जलीय जीव विशेषज्ञ और फोटोग्राफर मुन्ना लाल निषाद ने बताया कि सर्दी के मौसम में चंबल नदी में जलीय जीवों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं. घड़ियाल और मगरमच्छ के समूह धूप सेंकने के लिए घाटों पर आते हैं. ये जीव सुबह से शाम 5 बजे तक बालू पर रहते हैं. चंबल नदी में लगभग 2,500 से अधिक घड़ियाल, 1,000 से अधिक मगरमच्छ, कई कछुए और आधा दर्जन डॉल्फिन हैं. इन जीवों की गतिविधियां पर्यटकों और जलीय जीव प्रेमियों को आकर्षित कर रही हैं.

विदेशी पक्षी मेहमानों का आगमन : चंबल नदी पर यूरोप, मंगोलिया और लद्दाख से विदेशी पक्षी भी आने शुरू हो गए हैं. पक्षी विशेषज्ञ मुन्ना लाल निषाद ने बताया कि मंगोलिया और लद्दाख में बर्फबारी के कारण ग्रेलैग कलहंस नाम का पक्षी चंबल पहुंच रहा है. इसका निचला हिस्सा पीला और पंख काले रंग के होते हैं. यह पक्षी मछलियों का शिकार करने में माहिर है. इसके अलावा यूरोप और अन्य देशों से भी कई विशेष पक्षी चंबल नदी पर आ रहे हैं.

चंबल सफारी का संचालन ठप : इस बार चंबल सफारी शुरू नहीं हो पाई है. सफारी शुरू नहीं होने के कारण पर्यटकों की संख्या में कमी आ रही है. इससे न केवल पर्यटकों को निराशा हो रही है, बल्कि सरकार के राजस्व को भी नुकसान हो रहा है. पहले 15 अक्टूबर से चंबल सफारी शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है.

धौलपुर : सर्दी शुरू होने से जिले से गुजर रही चंबल नदी के घाटों पर घड़ियाल और मगरमच्छों के झुंड दिखाई दे रहे हैं. अधिकांश घाटों पर धूप निकलने के साथ ही ये जलीय जीव धूप का आनंद लेने बाहर आ रहे हैं. स्थानीय पर्यटक इन जीवों की अद्भुत गतिविधियों का आनंद लेने पहुंच रहे हैं. हालांकि, नगर परिषद की लापरवाही के कारण इस बार चंबल सफारी शुरू नहीं हो पाई है.

चंबल नदी वर्तमान समय में जलीय जीवों से गुलजार है. अधिक सर्दी पड़ने के कारण मगरमच्छ, घड़ियाल, डॉल्फिन और कछुओं के झुंड धूप निकलने पर घाटों पर आ जाते हैं. सुबह 11 बजे के बाद जैसे ही धूप निकलती है, घाटों पर सैकड़ों जलीय जीव बाहर आकर बालू पर खेलते दिखाई देते हैं.

धूप सेंकने के लिए निकले जलीय जीव (ETV Bharat Kota)

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जलीय जीव विशेषज्ञ और फोटोग्राफर मुन्ना लाल निषाद ने बताया कि सर्दी के मौसम में चंबल नदी में जलीय जीवों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं. घड़ियाल और मगरमच्छ के समूह धूप सेंकने के लिए घाटों पर आते हैं. ये जीव सुबह से शाम 5 बजे तक बालू पर रहते हैं. चंबल नदी में लगभग 2,500 से अधिक घड़ियाल, 1,000 से अधिक मगरमच्छ, कई कछुए और आधा दर्जन डॉल्फिन हैं. इन जीवों की गतिविधियां पर्यटकों और जलीय जीव प्रेमियों को आकर्षित कर रही हैं.

विदेशी पक्षी मेहमानों का आगमन : चंबल नदी पर यूरोप, मंगोलिया और लद्दाख से विदेशी पक्षी भी आने शुरू हो गए हैं. पक्षी विशेषज्ञ मुन्ना लाल निषाद ने बताया कि मंगोलिया और लद्दाख में बर्फबारी के कारण ग्रेलैग कलहंस नाम का पक्षी चंबल पहुंच रहा है. इसका निचला हिस्सा पीला और पंख काले रंग के होते हैं. यह पक्षी मछलियों का शिकार करने में माहिर है. इसके अलावा यूरोप और अन्य देशों से भी कई विशेष पक्षी चंबल नदी पर आ रहे हैं.

चंबल सफारी का संचालन ठप : इस बार चंबल सफारी शुरू नहीं हो पाई है. सफारी शुरू नहीं होने के कारण पर्यटकों की संख्या में कमी आ रही है. इससे न केवल पर्यटकों को निराशा हो रही है, बल्कि सरकार के राजस्व को भी नुकसान हो रहा है. पहले 15 अक्टूबर से चंबल सफारी शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है.

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