गया : बिहार के गया में लेमनग्रास की खेती करने वाली पहली महिला किसान मंजू देवी हैं. सरकार जब लेमनग्रास की खेती करने की पहल कर रही थी, तो इसकी खेती और पैदावार का जोखिम लेने को किसान तैयार नहीं थे. किंतु गया के अंजनिया टांड की महिला किसान मंजू देवी ने जब सरकार की योजना के बारे में पूरी तरह से जाना, तो उसने हौसला और विश्वास दिखाया. एक साथ इसके द्वारा कटठे में नहीं, बल्कि एकड़ में और वह भी 15 एकड़ में खेती शुरू की गई. लेमनग्रास की खेती मंजू देवी के खेतों में आज भी लहलहा रही है.
पति को सरकारी नौकरी नहीं आती थी रास : मंजू देवी के पति गोविंद प्रसाद को सरकारी नौकरी रास नहीं आती थी. वह नौकरी नहीं करना चाहते थे. ऐसे में काफी मुश्किलें थीं. पति गोविंद प्रसाद कृषि विभाग से संपर्क में रहते थे. इसके बीच सरकार की जब लेमनग्रास की खेती करने की योजना आई, तो अपने पति की मदद से उसने लेमनग्रास की खेती के बारे में पूरी तरह जाना. जानकारियां हासिल की और फिर घर की चौखट से एक कदम आगे बढ़कर हौसला दिखाते हुए लेमनग्रास की खेती कई एकड़ में एक साथ शुरू कर दी.
'लोगों ने पागल तक कहा' : लेमनग्रास की खेती जब मंजू देवी ने शुरू की, तो कई चुनौतियां लेबर को लेकर आती थी. लेमनग्रास की खेती लगाती थी, तो लोग कहते थे, घास लग रही है. पागल हो गई है. किंतु जब एक बार लेमनग्रास की खेती इसके खेतों में लग गई, तो वही लोग आश्चर्यचकित रह गए. क्योंकि लेमनग्रास की खेती सोना उगल रही थी. अब वही लोग मंजू देवी को कहते हैं, लेमनग्रास की खेती मैंने क्यों नहीं की.
महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनी : महिला किसान मंजू देवी कृषि के क्षेत्र में आज काफी आगे बढ़ चुकी है. वह शुरुआती चुनौतियों से जूझते हुए पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो गई है. साथ ही हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन गई है. इतना ही नहीं आज वह कई महिलाओं को लेमनग्रास की खेती से जोड़कर रोजगार भी दे रही है. मंजू देवी से महिलाएं काफी प्रभावित है और खेती के गुण सीखने इसके पास आती हैं. मंजू देवी उन्नत किसान की श्रेणी में शामिल हो गई है.
सीएम नीतीश भी जानते हैं नाम : आज इस महिला किसान ने अपने बूते बड़ा सम्मान और मुकाम हासिल किया है. मंजू देवी का नाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी जानते हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री के महत्वाकांक्षी लेमनग्रास की खेती की योजना मे मंजू देवी ने न सिर्फ अपना बल्कि सरकार की योजना को भी जमीन पर दिखाया. इसकी लेमनग्रास की खेती के उदाहरण अफसर और संबंधित कृषि विभाग के ओहदे के अधिकारी सीएम से जरूर चर्चा करते हैं. मंजू देवी को लेमनग्रास की खेती को लेकर कई पुरस्कार मिल चुके हैं. इसके पास मेडल की झड़ियां हैं, तो सर्टिफिकेट की कमी नहीं है.
10 लाख सालाना कमा रही : मंजू देवी बताती हैं कि सबसे पहले खेत की जुताई करते हैं और ढाई इंच गडढ़ा कर दो बाई दो फीट की दूरी पर लेमनग्रास के बीज लगते हैं. लेमनग्रास की 5 महीने में पहली कटाई होती है. इसके बाद हर तीन-तीन महीने के अंतराल पर इसकी हार्वेस्टिंग कर तेल निकालते हैं. लेमनग्रास को लेमनग्रास प्रोसेसिंग यूनिट में डालते हैं और नीचे से आंच लगाते हैं. इसके बाद हार्वेस्टिंग कर तेल निकाला जाता है. मशीन में घास और पानी डाल दिया जाता है. वह खौलता है तो लेमनग्रास प्रोसेसिंग यूनिट के कंडेनसर में जाता है. इसके बाद यह रिसीवर में जाता है. रिसीवर में तेल और पानी दोनों होता है, लेकिन इसमें जो तेल होता है, वह ऊपर आ जाता है और फिर छिद्र से उसे बर्तन या डिब्बे में रख लेते हैं.
सेहत के लिए फायदे मंद : लेमनग्रास से तेल निकलता है. तेल से विभिन्न आइटम बनते हैं. बताती है कि विटामिन ए की दवा भी इससे बनती है. वहीं इसके अलावा सैनिटाइजर, कॉस्मेटिक आइटम, फिनाइल, साबुन आदि भी बनते हैं. लेमनग्रास से औषधीय आईटम भी बनते हैं. लेमनग्रास का चाय पीने से कई तरह की बीमारियां भी दूर हो जाती है. यही वजह है कि लेमनग्रास की पत्तियां डालकर लोग चाय पीते हैं और सेहतमंद रहने की कोशिश करते हैं. सेहत के लिए यह बेहद ही फायदेमंद साबित होता है.
सालाना 10 लाख तक की कमाई : इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी डिमांड है. फिलहाल कई मार्केट से लेमनग्रास के तेल के आर्डर मिलते हैं. व्यापारी खुद आकर ले जाते हैं. अभी वह यूपी, बेंगलुरु, झारखंड में अपना लेमनग्रास का तेल बिक्री कर रही है. कई और अन्य राज्यों से आर्डर आ रहे हैं, लेकिन जितना अभी लेमनग्रास का तेल बना रहा है, वह ऑर्डर के मुताबिक कम पड़ जाता है. ऐसे में अभी यूपी, बेंगलुरु और रांची में ही सप्लाई दे रही है. मंजू देवी बताती है, कि 3 महीने में जब लेमनग्रास की हार्वेस्टिंग कर तेल बनाते हैं, तो कम से कम ढाई लाख रुपए की आमदनी हो जाती है. खर्च खेत लगाने के बाद ही होता है, उसके बाद 5 साल तक यह आमदनी ही आमदनी देता है. वह सालाना 10 लाख तक कमा लेती हैं.
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