गया: गया लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन की ओर से राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत चुनावी मैदान में हैं. वहीं एनडीए की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी मैदान में हैं. मांझी को कुमार सर्वजीत के पिता राजेश कुमार ने 1991 के लोकसभा के चुनावी जंग में पछाड़ा था. कुमार सर्वजीत ने जीतन राम मांझी को पिता समान बताते हुए इस बार के चुनाव को धर्म युद्ध बताया.
"जीतन राम मांझी पिता तुल्य हैं, ऐसे में यह धर्म युद्ध की लड़ाई है. जिसमें बेटे की ही जीत होती है. क्योंकि पिता दयालु होता है. हमें विश्वास है कि धर्म युद्ध में हम ही जीतेंगे."- कुमार सर्वजीत, राजद प्रत्याशी
करवट की तरह बदलने वाले से लड़ाईः कुमार सर्वजीत बताते हैं, कि यह चुनाव लोकतंत्र का महापर्व है. लोकतंत्र की परिभाषा हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई आपस में सब भाई-भाई की है. 30 वर्ष के बाद पहली बार गया संसदीय क्षेत्र में ऐसा उम्मीदवार है, जो जन सेवा के नाम से जाना जाता है. यह नाम कुमार सर्वजीत है. हम गया का इतिहास बनाएंगे, काम करके दिखाएंगे. मुद्दा क्या होगा, इस पर उन्होंने कहा कि अभी मुद्दा है, जनता पर भरोसा नहीं कर करवट की तरह बदलने वाले के साथ लड़ाई का है.
गाली देने वाला अमृत हो गयाः कुमार सर्वजीत इंजीनियर रहे हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इंजीनियर हूं, इसलिए मैं ब्राह्मण के खिलाफ नहीं बोलता या किसी जाति के खिलाफ नहीं बोला. उन्होंने कहा कि जीतन राम मांझी मेरे साथ डिबेट में बैठ जाएं. वे मुख्यमंत्री रहे हैं, जातीय जनगणना सदन के पटल पर रखा जा रहा था तो हंगामा कर दिया. फिर उल्टे कहा कि मुख्यमंत्री ने गाली दी. अब गाली देने वाला अमृत हो गया. इस आचरण को समझिए.
मांझी पर परिवावाद बढ़ाने का आरोपः कुमार सर्वजीत ने जीतन राम मांझी पर परिवारवाद का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि हम परिवार के लिए चुनाव नहीं लड़ते हैं. लेकिन जीतन राम मांंझी अपने बेटे, समधन से लेकर कौन-कौन उनके हैं, इसके लिए चुनाव लड़ते-लड़वाते हैं. समधन को विधायक बनाया. बेटे को विधायक-मंत्री बनाया, तो यह समझा जा सकता है, कि कौन जनता के लिए करता है और कौन परिवार के लिए.
सर्वजीत के पिता ने हराया थाः 33 साल पहले कुमार सर्वजीत के पिता ने जीतन राम मांझी को वर्ष 1991 में लोकसभा चुनाव में हराया था. इस सवाल पर कुमार सर्वजीत बताते हैं, कि फिर इतिहास दोहराएगा. हम दुआ मांगते हैं कि गया जिले की जनता इतिहास दोहराए. 33 साल पहले मेरे पिता ने जीतन मांझी को हराया था. इस बार यह धर्म युद्ध है. पिता तुल्य जीतन राम मांझी चुनाव हारेंगे.
नरेंद्र मोदी को चुनौती नहीं मानतेः गया में 16 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावी सभा होनी है. इसे लेकर कुमार सर्वजीत बताते हैं कि वे नरेंद्र मोदी को चुनौती नहीं मानते हैं. नौकरी की बात करने वाला कोई होता तो चुनौती मानते, पिछड़े दलित की बात करने वाला कोई होता तो उसे चुनौती मानते. धर्म की राजनीति करने वालों को चुनौती नहीं मानते हैं. विकराल रूप दिखाकर कोई जनता को छल नहीं सकता. देश की जनता सब समझ रही है.
माय समीकरण नहीं ए टू जेड हैः कुमार सर्वजीत बताते हैं कि देश के इतिहास में पहली बार 32 साल के लड़के (तेजस्वी यादव) ने नौकरियां दी. लाखों नौकरियां बांटी. हम लोग तमाम जनता को लेकर चलते हैं. वहीं, माई समीकरण की बात हमने कभी नहीं की. शुरू से ए टू जेड का समीकरण रहा है. फिर इसी समीकरण पर हमारी जीत होगी.
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