गया: बिहार के गया जिले में एक ऐसा गांव है, जहां किसान फूलगोभी की खेती करते हैं. फूलगोभी की खेती से यहां के किसान महीने का 3 करोड़ और सालाना 36 करोड़ तक का कारोबार कर रहे हैं. यहीं वजह है कि गया जिले के कुजापी गांव के किसान काफी खुशहाल हैं.
फूलगोभी की खेती करता है पूरा गांव : गया का कुजापी गांव फूलगोभी की खेती के लिए मशहूर है. यहां सैकड़ो एकड़ में फूलगोभी की खेती होती है. 500 से अधिक किसान फूलगोभी की खेती करते हैं. यूं कहे तो पूरा गांव ही फूलगोभी की खेती करता है. इस गांव की पहचान फूलगोभी की खेती करने वाले गांव के रूप में बन गई है.
रोजाना 4 से 5 ट्रक फूलगोभी की बिक्री : कुजापी गांव में सैकड़ो एकड़ में फूलगोभी की खेती होती है. प्रतिदिन चार से पांच ट्रक फूलगोभी बाजार में बिकते है. ग्रामीणों के अनुसार तकरीबन 10 लाख से भी अधिक की फूलगोभी प्रतिदिन इस गांव से बेची जाती है. तीन से चार ट्रक यहां से रोज दूसरी मंडियों को भेजे जाते हैं. इससे यहां के किसान महीने का 3 करोड़ और सालाना 36 करोड़ का कारोबार कर रहे है. यहां के किसानों को अमीर बनाने के पीछे फूलगोभी की खेती ही है.
झारखंड, बंगाल तक फूलगोभी की सप्लाई : पिछले दो-तीन दशकों से फूलगोभी की खेती इस गांव में हो रही है. यहां की फूलगोभी बिहार के कई जिलों के अलावे झारखंड और बंगाल तक सप्लाई होती है. बंगाल के किसान वाहन लेकर सुबह-सुबह गांव में पहुंचते हैं और फूलगोभी लोड कर यहां से ले जाते हैं. यहां की फूलगोभी काफी सस्ती भी होती है. मार्केट में 40 रुपए में बिकने वाली फूलगोभी इस गांव में औसतन 15 रूपए में मिल जाती है.
साल में तीन से चार बार उपजती है फूलगोभी : यहां के किसान बुलू यादव बताते हैं, कि ''साल में तकरीबन तीन से चार बार यहां के किसान फूलगोभी उपजा लेते हैं. इस गांव में हजारों की सघन आबादी है. 500 किसान फूलगोभी की खेती करते हैं. एक बीघा फूल गोभी की खेती करने पर आराम से 3 महीने में एक लाख के आसपास बच जाते हैं. इस तरह सालाना तीन से चार लाख रुपए की कमाई हो जाती है.''
यहां हर किसान लखपति, फूलगोभी ने बदली तकदीर : यहां किसान खुद भी खेती करते हैं. वही जिन किसानों के पास जमीन ज्यादा नहीं हो पाती है, वह पट्टा पर लेकर खेती करते हैं. पट्टा पर खेती करने के बावजूद भी उन्हें अच्छी कमाई हो जाती है. सारे खर्चे काट कर सालाना लाखों बच जाते हैं. इस तरह गया के कुजापी गांव के किसानों ने फूलगोभी की खेती कर अपना भविष्य संवार रहे है.
1000 लोगों को रोजगार : वही, फूलगोभी की खेती ने स्थानीय तौर पर रोजगार के लिए अवसर भी उत्पन्न किए. फूलगोभी की खेती की जुताई कोड़ाई करने के लिए किसानों को मजदूर की जरूरत पड़ती है. ऐसे में मजदूरों को भी इस गांव में आराम से काम मिल जाता है. ऐसे में कुजापी गांव के किसान हो या मजदूर यहां हर कोई खुशहाल है. तकीब एक हजार से ज्यादा लोगों को गांव में ही इसकी खेती से रोजगार भी मिला है.
'पारंपरिक खेती छोड़ी तब अमीर बने' : गांव के किसान प्रदीप प्रसाद बताते हैं, कि पहले गांव के लोग चावल, गेहूं, आलू की खेती करते थे. यह पारंपरिक खेती में शामिल थी, लेकिन दो-तीन दशक पहले से यहां के किसानों ने फूलगोभी की खेती करनी शुरू कर दी. फूलगोभी की खेती मुनाफे वाली साबित हुई, तो एक के बाद एक कर फूलगोभी की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ती चली गई और आज पूरा गांव फूलगोभी की खेती कर रहा है.
''फूलगोभी की खेती करने में ज्यादा मेहनत भी नहीं होती है. थोड़ी सी देखभाल और 8 दिन पर पानी देने से ही फूलगोभी की खेती की फसल तैयार हो जाती है. इसमें घाटे का सौदा होने के चांस नहीं के बराबर रहता है, जबकि चावल, गेहूं या आलू की खेती करने में घाटा भी हो जाता है. ऐसे में हम लोगों ने पारंपरिक खेती छोड़कर फूलगोभी की खेती करनी शुरू की है.'' - प्रदीप प्रसाद, किसान
कम लागत ज्यादा मुनाफा : वहीं महिला किसान हेमंती देवी बताती हैं कि ''पूरा गांव फूलगोभी की खेती करता है. यहां 500 से ज्यादा किसान इसकी खेती कर रहे हैं. इसमें लागत कम आती है और अच्छा मुनाफा है. इसीलिए हम लोग इसकी खेती करते हैं. पहले हम लोग चावल, गेहूं की खेती करते थे, लेकिन अब सिर्फ फूलगोभी की खेती हो रही है.''
फूलगोभी की कैसे करें खेती : वहीं कृषि वैज्ञानिक डॉ राम प्रवेश बताते हैं कि, फूलगोभी की खेती के लिए आपके खेत की मिट्टी बलुई दोमट या दोमट हो. खेत में पानी नहीं रुकना चाहिए. अच्छी फसल हो इसके लिए पहले अच्छे से खेत की जुताई और फिर रोपाई करें. रोपाई के लिए अगस्त से सितंबर और अक्टूबर से शुरुआती नवंबर अच्छा समय है.
''फूलगोभी की खेती में गोबर का खाद जरूर डालें. कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव जरूर करें. रोपाई के 21 दिन बाद प्रति एकड़ के हिसाब से करीब 30 किलो यूरिया डालें. ऐसा करने से फसल खराब नहीं होगी.'' - डॉ राम प्रवेश, कृषि वैज्ञानिक
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