गया: सब्जियों का स्वाद बढ़ाने वाले धनिये की खेती बिहार के गया जिले में बड़े स्तर पर की जाती है. मानपुर प्रखंड का ननौक गांव यहां साल भर धनिया पत्ती उपजती है. अभी यहां हरे धनिया की हरियाली देखते बन रही है. करीब 100 बीघा में धनिया लगा हुआ है. बड़ी बात गांव की आबादी से लगभग 500 से अधिक लोग किसानी करते हैं और धनवान हो रहे हैं.
गया में धनिया की खेती: ननौक गांव जहां सालों से धनिया की खेती हो रही है इस बार लगभग 100 बीघा में धनिया लगा हुआ है और इसकी खेती से यह गांव करोड़पति बन चुका है. यहां कोई 1 बीघा तो कोई 10 कट्ठा में धनिया उपजाते हैं. यह एक ऐसी फसल है जिसमें किसानों को बेहद कम समय में दोगुना मुनाफा हो जाता है.
40 दिन में धनिया तैयार: यह फसल लगभग 40 दिनों में तैयार हो जाता है और यहां के अधिकांश किसान सुरेंद्र के-3 प्रजाति का धनिया लगाते हैं.एक किसान कम से कम 50 हजार रुपये की आमदानी धनिया की खेती से कर लेते हैं, जबकि कुछ किसान ऐसे भी हैं जिनकी धनिया की खेती से 2 से 5 लाख की आय होती है.
बंगाल में गया की धनिया की धमक: वैसे तो गया की धनिया बिहार के कई जिलों में पहुंचती है. कोलकाता के साथ दूसरे राज्य के मंडियों में भी पहुंचती है. इस बार अभी तक रेट भी ज़्यादा है. ज़िले के बाज़ार में धनिया 150 से 200 रु किलो तक बिक रही है. पिछले वर्ष के कारण इस वर्ष धनिया की खेती बारिश के कारण कुछ कम भी हुई है.
धनिया की खेती से खुशहाल हैं किसान: गांव के किसान खेती को लेकर जागरूक हैं. मंडी भाव से भी सभी अवगत होते हैं. गांव का पूरा रकबा लगभ 1000 बीघा का है. जिसमें 600 बीघा में सालों भर सब्जी की खेती होती है. गांव की आबादी से लगभग 500 से अधिक लोग किसानी करते हैं, सभी मौसम की खेती होती है, खास कर सब्जी की खेती पर ही गांव निर्भर है.
"ननौक गांव धनिया की खेती के लिए पूरे जिले में जाना जाता है. छोटे किसान जिनके पास एक दो बीघा ही खेत है, उनकी भी कम से कम सालाना 5 लाख से अधिक आय हो जाती है. मैं खुद 10 कट्टे जमीन पर धनिया की खेती किया हूं. व्यापारी को 10 कट्ठा की धनिया को 80000 में बचा है. जिससे उनकी 50 हजार से 60 हज़ार तक बचत है."- हरिनंदन प्रसाद, किसान
सितंबर में शुरू होती है धनिया की खेती: सितंबर महीने के शुरू होते ही धनिया उपज शुरू हो जाता है. गीले खेत में कियारी 'लंबी ऊंची गोल पिंड' बनाकर धनिया का बीज डाला जाता है. बीज कई प्रकार के होते हैं. गया में पान पत्ता बीज, सुलेंद्र बीज, हाई ब्रीड बीज की धनिया का उत्पादन अधिक होता है. चालीस दिनों में धनिया की डांटी 7 से 8 इंच लम्बा हो जाती है.
कम समय में ज्यादा मुनाफा: हाई ब्रीड बीज लगभग एक महीने में तैयार हो जाता है, जबकि धनिया का फूल तैयार होने में 3 महीने से अधिक समय लग जाता है. इसलिए किसान धनिया का फूल आने से पहले ही 40 दिनों के अंदर धनिया पत्ती बेच देते हैं.गर्मी में एक कट्ठा में 70 किलो तक जबकि अभी सितंबर-अक्टूबर के महीने में एक कट्ठा में 100 किलो से अधिक उपज होती है.
एक कट्ठा में तीन गुना से ज्यादा मुनाफा: किसान हरिनंदन प्रसाद ने बताया कि गर्मी के मौसम में एक कट्ठा में 2 किलो बीज डालना होता है, क्योंकि गर्मी के कारण बीज को नुकसान भी होता है. गर्मी में एक कट्ठा में लागत लगभग 3000 रुपए की होती है, जबकि एक कट्ठा में 4 हजार से 6 हजार तक राशि प्रति कट्ठा बचत होती है. इसी तरह सितंबर महीने में धनिया की उपज में प्रतिकट्ठा 1 किले बीज डाला जाता है. 40 दिनों के अंदर में इसमें लगभग खर्च 1 हजार से 1200 रु तक है. सितंबर-अक्टूबर महीने में एक कट्ठा में 100 किले से अधिक का उत्पादन होता है.
"अभी रेट मार्केट में अच्छा है. हम लोग खेत से 115 से 125 रु प्रति किलो धनिया खरीदा है. इस तरह अभी किसान को प्रतिकट्ठा 10 हजार से 11 हजार रु की बचत हुई है. अब तक साढ़े तीन लाख रुपए से अधिक की धनिया खरीद चुके हैं और लगभग 10 लाख की खरीदारी करेंगे. अगर यही रेट रहा तो ननौक गांव से लगभग एक 60 से 70 लाख रुपए की धनिया बिकेगी."-गुलाम मुर्तजा, व्यापारी
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