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हाड़ौती के किसानों ने बोया 1500 करोड़ से ज्यादा का लहसुन, ऊंचे दाम रही वजह

ऊंचे दामों को देखते हुए किसानों ने इस बार लहसुन की बंपर बुवाई की है. करीब 1 लाख हेक्टेयर में लहसुन बोया गया है.

GARLIC SOWING IN KOTA
किसानों ने बोया 1500 करोड़ से ज्यादा का लहसुन (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

कोटा : हाड़ौती के किसानों को पिछले दो सालों से लहसुन के अच्छे दाम मिल रहे हैं, जिसका सीधा असर इस बार लहसुन की बुवाई पर देखने को मिल रहा है. हाड़ौती के लहसुन उत्पादक किसानों ने अपने रकबे को बढ़ा दिया है. वहीं, ऊंचे दामों को देखते हुए नए किसान भी लहसुन की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. इस बार लहसुन के दाम अधिक होने से बीज की कीमत भी बढ़ गई है, जो करीब 20-25 हजार रुपए प्रति क्विंटल के आसपास है. इसके बावजूद हाड़ौती के चारों जिलों में अब तक 93,900 हेक्टेयर में लहसुन की बुवाई हो चुकी है. किसानों ने अब तक 1500 करोड़ रुपए से अधिक का लहसुन हाड़ौती में बो दिया है.

बुवाई का आंकड़ा 1 लाख हेक्टेयर पार करेगा : हॉर्टिकल्चर विभाग के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि इस बार हाड़ौती में लहसुन की बुवाई का आंकड़ा 1 लाख हेक्टेयर को पार कर सकता है. क्षेत्र में अब तक जितनी बुवाई हुई है, उसमें 10 से 15 हजार हेक्टेयर की और बढ़ोतरी की संभावना है. पिछले साल के 89,000 हेक्टेयर की तुलना में यह आंकड़ा काफी बढ़ा है. वहीं, 2022 के 51,448 हेक्टेयर के मुकाबले यह दोगुना हो जाएगा.

हाड़ौती में लहसुन की बंपर बुवाई (ETV Bharat Kota)

इसे भी पढ़ें- Rajasthan: हाड़ौती में लहसुन किसानों की दिवाली रोशन, इस सीजन में अब तक बिक चुका है 5 हजार करोड़ का माल

अच्छी बारिश और ऊंचे दाम ने बढ़ाया उत्साह : हॉर्टिकल्चर विभाग के कोटा डिप्टी डायरेक्टर नंद बिहारी मालव ने बताया कि पिछले दो साल से लहसुन के अच्छे दाम मिलने और इस साल पर्याप्त बारिश होने से लहसुन की बुवाई करने वाले किसानों का उत्साह बढ़ा है. हाड़ौती में बारिश के चलते जलस्तर भी बेहतर हुआ है और नहरों से भी पर्याप्त पानी मिलने की उम्मीद है. इस कारण लहसुन की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, लहसुन का रकबा बढ़ने से सरसों का रकबा थोड़ा घटा है.

ऊटी का महंगा लहसुन भी बना पसंद : नंद बिहारी मालव का कहना है कि प्रति हेक्टेयर में बुवाई के लिए करीब 6 से 8 क्विंटल लहसुन के बीज की जरूरत होती है. इसके अनुसार हाड़ौती में करीब 7 लाख क्विंटल लहसुन का बीज बुवाई के लिए उपयोग में लिया गया है. इसके अनुसार अब तक करोड़ों रुपए का लहसुन किसान बो चुके हैं. नंद बिहारी मालव ने बताया कि किसानों ने बुवाई के लिए ऊटी से लाया हुआ महंगा लहसुन भी इस्तेमाल किया है. यह लहसुन 45,000 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है. बारां जिले के छबड़ा, छीपाबड़ौद और अटरू क्षेत्रों के किसान इसे ज्यादा खरीद रहे हैं, क्योंकि उनके खेत की उत्पादकता पहले से कम हो गई है. यह महंगा और उच्च क्वालिटी का बीज होने से किसानों को उम्मीद है कि उन्हें इस बीज से बेहतर उत्पादन मिलेगा.

GARLIC SOWING IN KOTA
किसानों ने बोया 1500 करोड़ से ज्यादा का लहसुन (ETV Bharat GFX)

महंगा बीज, पर फसल के दाम अनिश्चित : भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री रूपनारायण यादव का कहना है कि महंगे बीज के बावजूद लहसुन के दाम अगले साल भी ऊंचे रहेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है. बुवाई में किसानों का खर्चा भी बढ़ गया है, जहां पहले प्रति बीघा 20-35 हजार रुपए का खर्च आता था, इस साल यह 45-50 हजार रुपए प्रति बीघी तक पहुंच सकता है. इसके अलावा अच्छी पैदावार के लिए पेस्टिसाइड और फर्टिलाइजर का उपयोग भी सही समय पर करना होगा, जिससे बुवाई की लागत बढ़ेगी.

इसे भी पढ़ें- Special : किसानों के वारे न्यारे कर रहा लहसुन, प्रति बीघा एक लाख तक का मुनाफा - Huge Profit By selling Garlic

प्रति बीघा 30,000 रुपए का बीज खर्च : खेड़ा रसूलपुर के किसान हितेश मालव ने बताया कि अच्छे दामों के चलते पूरे गांव में इश बार लहसुन की खेती के में रुचि दिखाई है. उनके परिवार ने ही करीब 25 बीघा में लहसुन की बुवाई की है. प्रति बीघा बुवाई के लिए 1.3 क्विंटल लहसुन बीज के रूप में इस्तेमाल किया. ऐसे में बीज पर ही प्रति बीघा करीब 30,000 रुपए का खर्च आया है. आने वाले चार महीनों में निराई-गुड़ाई, पेस्टिसाइड और फर्टिलाइजर के खर्च को जोड़कर यह लागत और बढ़ेगी.

लहसुन बुवाई का आंकड़ा
लहसुन बुवाई का आंकड़ा (ETV Bharat GFX)

अच्छे दाम की उम्मीद में बढ़ाया रकबा : खेड़ा रसूलपुर के ही मोहनलाल सैनी ने इस बार 5 बीघा में लहसुन बोया है. पिछले साल उन्होंने केवल 2 बीघा में बुवाई की थी. उन्होंने अपने पिछली पैदावार से बीज के लिए कुछ लहसुन बचाकर रखा था, जबकि बाकी बीज 22,000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा. उनका कहना है कि इस बार फसल महंगी है, इसलिए ध्यान भी ज्यादा देना पड़ेगा, लेकिन बेहतर उत्पादन की उम्मीद है. किसानों का कहना है कि फसल की पैदावार मौसम और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा, मेहनत और निवेश के साथ, वे अच्छे दाम की उम्मीद लगाए हुए हैं.

कोटा : हाड़ौती के किसानों को पिछले दो सालों से लहसुन के अच्छे दाम मिल रहे हैं, जिसका सीधा असर इस बार लहसुन की बुवाई पर देखने को मिल रहा है. हाड़ौती के लहसुन उत्पादक किसानों ने अपने रकबे को बढ़ा दिया है. वहीं, ऊंचे दामों को देखते हुए नए किसान भी लहसुन की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. इस बार लहसुन के दाम अधिक होने से बीज की कीमत भी बढ़ गई है, जो करीब 20-25 हजार रुपए प्रति क्विंटल के आसपास है. इसके बावजूद हाड़ौती के चारों जिलों में अब तक 93,900 हेक्टेयर में लहसुन की बुवाई हो चुकी है. किसानों ने अब तक 1500 करोड़ रुपए से अधिक का लहसुन हाड़ौती में बो दिया है.

बुवाई का आंकड़ा 1 लाख हेक्टेयर पार करेगा : हॉर्टिकल्चर विभाग के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि इस बार हाड़ौती में लहसुन की बुवाई का आंकड़ा 1 लाख हेक्टेयर को पार कर सकता है. क्षेत्र में अब तक जितनी बुवाई हुई है, उसमें 10 से 15 हजार हेक्टेयर की और बढ़ोतरी की संभावना है. पिछले साल के 89,000 हेक्टेयर की तुलना में यह आंकड़ा काफी बढ़ा है. वहीं, 2022 के 51,448 हेक्टेयर के मुकाबले यह दोगुना हो जाएगा.

हाड़ौती में लहसुन की बंपर बुवाई (ETV Bharat Kota)

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अच्छी बारिश और ऊंचे दाम ने बढ़ाया उत्साह : हॉर्टिकल्चर विभाग के कोटा डिप्टी डायरेक्टर नंद बिहारी मालव ने बताया कि पिछले दो साल से लहसुन के अच्छे दाम मिलने और इस साल पर्याप्त बारिश होने से लहसुन की बुवाई करने वाले किसानों का उत्साह बढ़ा है. हाड़ौती में बारिश के चलते जलस्तर भी बेहतर हुआ है और नहरों से भी पर्याप्त पानी मिलने की उम्मीद है. इस कारण लहसुन की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, लहसुन का रकबा बढ़ने से सरसों का रकबा थोड़ा घटा है.

ऊटी का महंगा लहसुन भी बना पसंद : नंद बिहारी मालव का कहना है कि प्रति हेक्टेयर में बुवाई के लिए करीब 6 से 8 क्विंटल लहसुन के बीज की जरूरत होती है. इसके अनुसार हाड़ौती में करीब 7 लाख क्विंटल लहसुन का बीज बुवाई के लिए उपयोग में लिया गया है. इसके अनुसार अब तक करोड़ों रुपए का लहसुन किसान बो चुके हैं. नंद बिहारी मालव ने बताया कि किसानों ने बुवाई के लिए ऊटी से लाया हुआ महंगा लहसुन भी इस्तेमाल किया है. यह लहसुन 45,000 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है. बारां जिले के छबड़ा, छीपाबड़ौद और अटरू क्षेत्रों के किसान इसे ज्यादा खरीद रहे हैं, क्योंकि उनके खेत की उत्पादकता पहले से कम हो गई है. यह महंगा और उच्च क्वालिटी का बीज होने से किसानों को उम्मीद है कि उन्हें इस बीज से बेहतर उत्पादन मिलेगा.

GARLIC SOWING IN KOTA
किसानों ने बोया 1500 करोड़ से ज्यादा का लहसुन (ETV Bharat GFX)

महंगा बीज, पर फसल के दाम अनिश्चित : भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री रूपनारायण यादव का कहना है कि महंगे बीज के बावजूद लहसुन के दाम अगले साल भी ऊंचे रहेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है. बुवाई में किसानों का खर्चा भी बढ़ गया है, जहां पहले प्रति बीघा 20-35 हजार रुपए का खर्च आता था, इस साल यह 45-50 हजार रुपए प्रति बीघी तक पहुंच सकता है. इसके अलावा अच्छी पैदावार के लिए पेस्टिसाइड और फर्टिलाइजर का उपयोग भी सही समय पर करना होगा, जिससे बुवाई की लागत बढ़ेगी.

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प्रति बीघा 30,000 रुपए का बीज खर्च : खेड़ा रसूलपुर के किसान हितेश मालव ने बताया कि अच्छे दामों के चलते पूरे गांव में इश बार लहसुन की खेती के में रुचि दिखाई है. उनके परिवार ने ही करीब 25 बीघा में लहसुन की बुवाई की है. प्रति बीघा बुवाई के लिए 1.3 क्विंटल लहसुन बीज के रूप में इस्तेमाल किया. ऐसे में बीज पर ही प्रति बीघा करीब 30,000 रुपए का खर्च आया है. आने वाले चार महीनों में निराई-गुड़ाई, पेस्टिसाइड और फर्टिलाइजर के खर्च को जोड़कर यह लागत और बढ़ेगी.

लहसुन बुवाई का आंकड़ा
लहसुन बुवाई का आंकड़ा (ETV Bharat GFX)

अच्छे दाम की उम्मीद में बढ़ाया रकबा : खेड़ा रसूलपुर के ही मोहनलाल सैनी ने इस बार 5 बीघा में लहसुन बोया है. पिछले साल उन्होंने केवल 2 बीघा में बुवाई की थी. उन्होंने अपने पिछली पैदावार से बीज के लिए कुछ लहसुन बचाकर रखा था, जबकि बाकी बीज 22,000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा. उनका कहना है कि इस बार फसल महंगी है, इसलिए ध्यान भी ज्यादा देना पड़ेगा, लेकिन बेहतर उत्पादन की उम्मीद है. किसानों का कहना है कि फसल की पैदावार मौसम और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा, मेहनत और निवेश के साथ, वे अच्छे दाम की उम्मीद लगाए हुए हैं.

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