गरियाबंद: कभी कभी खतरनाक शिकारी भी शिकार के चक्कर में अपनी जान दांव पर लगा देता है. गरियाबंद में कुछ ऐसा ही हुआ, जब बंदर के शिकार के चक्कर में तेंदुआ करंट की चपेट में आ गया. करंट लगते ही तेंदुआ जमीन पर आ गिरा. वन विभाग की टीम को जैसे ही इसकी खबर मिली वो मौके पर पहुंचा. आनन फानन में शिकारी को वन विभाग लाया गया. वन विभाग ने जब देखा कि तेंदुए की सांसें उखड़ रही हैं तो उसे तुरंत ऑक्सीजन सिलेंडर से कृत्रिम सांसें दी गई. दिल की धड़कनें काम करती रहे, इसके लिए सीपीआर दी गई.
तेंदुए को बचाने के लिए लगाया ऑक्सीजन सिलेंडर और दिया सीपीआर: तेंदुए की जान बचाने के लिए नंदनवन से डॉक्टर को भी बुलाया गया. डॉक्टर लगातार घायल तेंदुए को बचाने के लिए काम पर जुटे हैं. वन विभाग की टीम ने बताया कि अगर तेंदुए के दिल की धड़कनें वापस नहीं लौटती हैं तो उसके हाथों में एक इंजेक्शन भी दिया जाएगा. तेंदुए को होश में लाने के लिए उसे ग्लोकोज और स्लाइन वाटर भी चढ़ाया जा रहा है. करीब 40 मिनट की कड़ी जद्दोजहद के बाद आखिरकार तेंदुए की गुम हुई सांसें लौट आई. तेंदुआ अब बिना मदद के सांस ले पा रहा है.
''पेड़ या बिजली के खंभे से गिरने के चलते इसकी हालत गंभीर बनी हुई थी. हम लगातार इसकी सेहत पर नजर बनाए हुए थे. सीपीआर और ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद से इसकी हालत अब ठीक है. उम्मीद करते हैं कि जल्द ही ये ठीक हो जाएगा. कीचड़ और पानी में लगातार पड़े होने के चलते इसके शरीर का तापमान काफी कम हो गया था''. - डॉक्टर राकेश वर्मा, वन्य जीव विशेषज्ञ, नंदनवन
ठीक होने के बाद वापस जंगल नहीं जा सकेगा शिकारी: डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादा उंचाई से गिरने के चलते तेंदुए की हड्डी टूट गई है. भविष्य में जब ये पूरी तरह से ठीक हो जाएगा, उसके बाद भी ये ठीक से चल फिर पाएगा या नहीं यह कहना मुश्किल है. फिलहाल वन विभाग की कड़ी मशक्कत के बाद तेंदुए की जान बच गई है.