रायपुर: संकष्टी चतुर्थी व्रत 29 जनवरी सोमवार के दिन पड़ रहा है. संकष्टी चौथ के पर्व पर महिलाएं अपने परिवार की सुख और समृद्धि के लिए निर्जल व्रत रखती हैं. गणेशजी की पूजा करती हैं, ताकि उनके परिवार पर कभी भी किसी तरह की कोई परेशानी ना आए. माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. कई लोग इसे तिलकुट चतुर्थी या फिर संकट चौथ के नाम से जानते हैं. संकट चौथ के इस व्रत को करने से घर में होने वाली कई तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है.
जानिए शुभ मुहूर्त: संकष्टी चतुर्थी इस बार 29 जनवरी को सुबह 6:10 से शुरू होकर 30 जनवरी को 8:54 तक रहेगा.चौथ चंद्र उदय का समय रात्रि 8:41 तक होगा. इस चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. संकट चौथ का व्रत सभी महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और उनकी सफलता के लिए हर साल रखती हैं. चंद्र उदय के समय व्रती महिलाओं को तिल गुड़ आदि का अर्घ्य चंद्रमा गणेश जी को अवश्य देना चाहिए. अर्घ्य देकर ही सभी महिलाएं व्रत का पारण करती हैं.
संतान के लिए व्रत रखती हैं महिलाएं: महिलाएं इस व्रत को संतान की सफलता के लिए करती है. इस दिन व्रती निर्जल रहती हैं. व्रती महिलाएं शाम को गणेश जी की पूजा के बाद चंद्रमा को अर्ध्य देती हैं. इसके बाद वो प्रसाद ग्रहण कर भोजन करती है. शास्त्रों के मुताबिक महाभारत काल में श्री कृष्ण की सलाह पर पांडु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने सबसे पहले इस व्रत को रखा था. तब से लेकर अब तक महिलाएं अपने पुत्र की सुख-शांति और कुशलता के लिए इस व्रत को करती आ रही है.
ऐसे करें गणपति की पूजा: संकट चौथ का व्रत शुरू करने से पहले सुबह उठकर स्नान ध्यान से निवृत होकर भगवान गणेश को स्थापित करें. भगवान गणेश के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें. फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा, लड्डू, पान, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें. अक्षत और फूल लेकर भगवान गणेश को अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करें. गणेश पूजन के बाद चंद्रमा को शहद चंदन रोली मिश्रित दूध से अर्ध्य देकर पूजन के बाद लड्डू को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. आखिरी में भगवान गणेश के मंत्र ओम गन गणपतए नमः मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें.