कोटा: महाराष्ट्र की तर्ज पर राजस्थान के कोटा में भी गणेशोत्सव मनाया जाता है. कोटा शहर में हर गली-मोहल्ले और समिति के साथ-साथ कॉलोनी में गणेश प्रतिमा पंडाल सजाने के साथ विराजित की जाती है. पूरे 10 दिनों तक वहां पर धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन किया जाता है. शनिवार को गणेश चतुर्थी के अवसर पर सभी जगह पर पूजा अर्चना कर गणेश प्रतिमा को विराजित किया जा रहा है.
धूमधाम से उन्हें ले जाया जा रहा है. बप्पा के भक्त नाचते, गाते और झूमते हुए गणपति प्रतिमा को ले जा रहे हैं. दूसरी तरफ, घरों में भी गणेश प्रतिमा विराजित की जाती है. इस बार खास बात यह है कि हर घर में लगभग मिट्टी के गणपति विराजित करने का क्रेज बन गया है. कोटा शहर के पर्यावरणविद ने मिट्टी की प्रतिमाओं को प्रोत्साहित किया और प्लास्टिक का पेरिस की प्रतिमाओं का विरोध किया है. इसके चलते ही मिट्टी की प्रतिमाओं के प्रति लोगों का उत्साह बढ़ गया है.
चंबल फाउंडेशन ने बनाई 101 गणेश प्रतिमाएं : चंबल फाउंडेशन के अध्यक्ष बृजेश शर्मा नीटू ने बताया कि महिला विंग की अध्यक्ष ममता त्रिपाठी ने गणेश प्रतिमाएं हाथ से बनाई है और सभी पूरी तरह मिट्टी की हैं, जिनका विसर्जन भी घर पर ही गमले में किया जा सकता है. बाद में उसमें पौधा भी लगाया जा सकता है. बृजेश शर्मा नीटू का कहना है कि पीओपी की प्रतिमा से किशोर सागर तालाब प्रदूषित हो जाता है. कई दिनों तक यह प्रतिमाएं विसर्जित नहीं होती हैं और पानी को ही खराब करती हैं. इसीलिए मिट्टी की प्रतिमाएं वितरित करने का काम हमने शुरू किया है. इस साल 101 प्रतिमाएं वितरित करने का लक्ष्य है. इन प्रतिमाओं को वितरण करने वालों को गमले में ही विसर्जन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
एक महीने पहले शुरू कर देते हैं तैयारी : ममता त्रिपाठी का कहना है कि वह मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने की तैयारी एक महीने पहले शुरू कर देती हैं. यह बारिश का सीजन होता है. इसलिए मिट्टी को 1 महीने पहले ही तैयार किया जाता है. इसमें गोमूत्र और गंगाजल डालकर पवित्र किया जाता है. बीते करीब 5 साल से वह यह प्रतिमा बना रही है. पहले खुद के लिए बनाती थी, लेकिन बाद में आज पड़ोस के लोग भी मांगने लग गए. ऐसे में उनके लिए भी बनाने लग गई. अब पड़ोस की कुछ महिलाओं के साथ मिलकर इस बड़े स्तर पर बना रहे हैं. इसमें सीधे मिट्टी की प्रतिमा बनाकर उस पर ही श्रृंगार किया जाता है. गणपति का श्रृंगार करने के लिए मेरी बेटी भी मदद करती है.
शहर के हर गली मोहल्ले में होती है धूम : शॉपिंग सेंटर में गणेश पंडाल सजाने वाले रामावतार सारड़ा का कहना है कि कोटा में काफी वृद्धि स्तर पर गणेश चतुर्थी मनाने लग गए हैं और गणेश पंडाल सजाने लगे है. सभी लोग बाजे गाजे से भगवान गणपति को ले जाकर विराजित कर रहे हैं. पहले महाराष्ट्र, मुंबई और अन्य जगहों पर जैसा क्रेज होता था. वैसा ही अब कोटा में लगने लगा है. यहां पर भी रामपुरा, स्टेशन, कुन्हाड़ी, नयापुरा, खाईरोड, छावनी, कैथूनीपोल, खेड़लीफाटक, शॉपिंग सेंटर, गुमानपुरा, कोटड़ी सहित कई जगह पर पंडाल लगते है.
अलग-अलग रूप के स्थापित होते हैं गणपति : गणेश पंडाल संचालक विमल मित्तल का कहना है कि हजारों की संख्या में लोग आते हैं. रोज सभी को प्रसादी वितरित की जाती है और सुबह शाम आरती होती है. हर तरफ अलग-अलग गणपति के रूप देखने को मिलते हैं. कैथूनीपोल के राजा का तो रोज ही रूप और स्वरूप बदलता है. इसके अलावा कोई गणपति हवाई जहाज पर सवार होता है तो कोई हाथी पर कोई पुलिस की वेश में निकलता है. यह प्रतिमाएं करीब 12 फीट ऊंची तक होती है. हालांकि, सामान्य तौर पर 6 से 7 फीट की प्रतिमाएं ही कोटा में स्थापित की जाती हैं.