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यहां साल के 355 दिन थाने में रहते हैं गणपति, सिर्फ 10 दिनों के लिए ही बाहर आकर देते हैं दर्शन - Ganesh Puja In Nalanda - GANESH PUJA IN NALANDA

Ganapati Outside Police Station: नालंदा में एक ऐसा थाना है, जहां गणेश चतुर्थी पर एक खास परंपरा चली आ रही है. इस थाने में गणेश उत्सव के मौके पर 10 दिनों के लिए भगवान गणेश को बाहर लाया जाता है. जानें क्या है इसके पीछे की खास वजह?

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 15, 2024, 2:12 PM IST

नालंदा में गणपति दर्शन (ETV Bharat)

नालंदा: महापर्व गणेश चतुर्थी को देशभर में धूमधाम से हर्षोउल्लास के साथ मनाया जा रहा है. वहीं बिहार के नालंदा में इस पर्व का खास महत्व है. इस दौरान सिलाव थाना परिसर में स्थापित बप्पा की प्रतिमा को 10 दिनों के लिए मंदिर से बाहर लाया जाता है. और कैद से आजाद कर 10 दिनों तक श्याम सरोवर स्थित ठाकुरबाड़ी में रखकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है.

Ganapati Kept Outside Police Station
10 दिनों के लिए बाहर देते हैं दर्शन (ETV Bharat)

150 साल पुरानी है प्रतिमा: अब आप सोच रहे होंगे कि इस प्रतिमा में ऐसा क्या है कि इसे निगरानी में रखना पड़ता है. गणेश भगवान की देखरेख करने वाले पुजारी बाल गोविंद राम ने बताया कि यह बेशकीमती पत्थर की तराशी हुई प्रतिमा है, जो 150 साल पुरानी है. बेशकीमती होने के कारण इसपर हमेशा चोरों की नजर रहती है. 15 साल पहले एक बार मूर्ति की चोरी भी कर ली गई थी, लेकिन लोगों की नजर पड़ी और चोरों को पकड़ लिया गया.

Ganapati Kept Outside Police Station
नालंदा का सिलाव थाना (ETV Bharat)

10 दिन के लिए बाहर आते है गणपति: मूर्ति चोरी होने के बाद स्थानीय लोगों ने निर्णय लिया कि थाना परिसर के मंदिर के गणपति को सुरक्षित रखा जाए. गणेश भगवान की प्रतिमा 355 दिन थाना में रहती है और 10 दिनों के लिए पूजा के लिए बाहर लाई जाती है. पूजा समिति के लोग गणेश पूजा के समय मूर्ति को थाना से 10 दिन के लिए बाजार लेकर जाते हैं. वहां पूजा पंडाल में प्रतिमा को स्थापित करते हैं और विधि विधान से पूजा की जाती है.

Ganapati Kept Outside Police Station
355 दिन थाने में रहते हैं गणपति (ETV Bharat)

पूजा की समाप्ति के बाद प्रतिमा को थाना के हवाले कर दिया जाता है. सिलाव थाना परिसर के मंदिर में इस प्रतिमा को रखा जाता है. 150 साल से भगवान गणेश की हर साल पूजा की जा रही है.-बाल गोविंद राम, पुजारी

किया गया मूर्ति को चुराने का प्रयास: पूजा समिति के लोगों की मानें तो भगवान गणेश की बेशकीमती प्रतिमा को पहले पूजा के बाद श्याम सरोवर स्थित ठाकुरबाड़ी में रखा जाता था. हालांकि एक बार इस मूर्ति को चुराने का प्रयास किया गया. स्थानीय लोगों ने अपनी जान पर खेलकर इस मूर्ति को बचाया. बावजूद इसके चोर की नजर इस मूर्ति पर थी, जिसके कारण स्थानीय लोगों ने निर्णय लिया कि इस मूर्ति को सिलाव थाना में रखा जाय और सिर्फ पूजा के दौरान ही इस मूर्ति को बाजार में बैठाया जाय.

"अब तक सिर्फ 10 दिनों के लिए ही थाना से भगवान गणेश की प्रतिमा को बाजार लाई जाती है और धूमधाम से पूजा के बाद फिर थाने के हवाले कर दिया जाता है."-दिलीप कुमार, स्थानीय

Ganapati Kept Outside Police Station
श्याम सरोवर स्थित ठाकुरबाड़ी (ETV Bharat)

कैसे शुरू हुई गणेश चतुर्थी मनाने की परंपरा: जानकार यह भी बताते हैं कि किसी जमाने में इस इलाके में मूर्ति कला की पढ़ाई होती थी. पत्थरों को तराशने का कार्य पढ़ाई करने वाले छात्रों के द्वारा किया जाता था. उस समय माड़वाडी समाज के लोग व्यवसाय के लिए आया करते थे तो ठहरते थे, त्यौहार के समय घर जाने का कोई साधन नहीं रहता था तो जहां रहे वहीं, त्यौहार रहकर मनाने लगे. तभी से यहां गणेश चतुर्थी मनाने की परंपरा शुरू हुई जो आज तक जारी है.

पढ़ें-बिहार के नालंदा में 355 दिन थाना में 'कैद' रहते हैं गणपति, 10 दिनों के लिए देते हैं दर्शन

नालंदा में गणपति दर्शन (ETV Bharat)

नालंदा: महापर्व गणेश चतुर्थी को देशभर में धूमधाम से हर्षोउल्लास के साथ मनाया जा रहा है. वहीं बिहार के नालंदा में इस पर्व का खास महत्व है. इस दौरान सिलाव थाना परिसर में स्थापित बप्पा की प्रतिमा को 10 दिनों के लिए मंदिर से बाहर लाया जाता है. और कैद से आजाद कर 10 दिनों तक श्याम सरोवर स्थित ठाकुरबाड़ी में रखकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है.

Ganapati Kept Outside Police Station
10 दिनों के लिए बाहर देते हैं दर्शन (ETV Bharat)

150 साल पुरानी है प्रतिमा: अब आप सोच रहे होंगे कि इस प्रतिमा में ऐसा क्या है कि इसे निगरानी में रखना पड़ता है. गणेश भगवान की देखरेख करने वाले पुजारी बाल गोविंद राम ने बताया कि यह बेशकीमती पत्थर की तराशी हुई प्रतिमा है, जो 150 साल पुरानी है. बेशकीमती होने के कारण इसपर हमेशा चोरों की नजर रहती है. 15 साल पहले एक बार मूर्ति की चोरी भी कर ली गई थी, लेकिन लोगों की नजर पड़ी और चोरों को पकड़ लिया गया.

Ganapati Kept Outside Police Station
नालंदा का सिलाव थाना (ETV Bharat)

10 दिन के लिए बाहर आते है गणपति: मूर्ति चोरी होने के बाद स्थानीय लोगों ने निर्णय लिया कि थाना परिसर के मंदिर के गणपति को सुरक्षित रखा जाए. गणेश भगवान की प्रतिमा 355 दिन थाना में रहती है और 10 दिनों के लिए पूजा के लिए बाहर लाई जाती है. पूजा समिति के लोग गणेश पूजा के समय मूर्ति को थाना से 10 दिन के लिए बाजार लेकर जाते हैं. वहां पूजा पंडाल में प्रतिमा को स्थापित करते हैं और विधि विधान से पूजा की जाती है.

Ganapati Kept Outside Police Station
355 दिन थाने में रहते हैं गणपति (ETV Bharat)

पूजा की समाप्ति के बाद प्रतिमा को थाना के हवाले कर दिया जाता है. सिलाव थाना परिसर के मंदिर में इस प्रतिमा को रखा जाता है. 150 साल से भगवान गणेश की हर साल पूजा की जा रही है.-बाल गोविंद राम, पुजारी

किया गया मूर्ति को चुराने का प्रयास: पूजा समिति के लोगों की मानें तो भगवान गणेश की बेशकीमती प्रतिमा को पहले पूजा के बाद श्याम सरोवर स्थित ठाकुरबाड़ी में रखा जाता था. हालांकि एक बार इस मूर्ति को चुराने का प्रयास किया गया. स्थानीय लोगों ने अपनी जान पर खेलकर इस मूर्ति को बचाया. बावजूद इसके चोर की नजर इस मूर्ति पर थी, जिसके कारण स्थानीय लोगों ने निर्णय लिया कि इस मूर्ति को सिलाव थाना में रखा जाय और सिर्फ पूजा के दौरान ही इस मूर्ति को बाजार में बैठाया जाय.

"अब तक सिर्फ 10 दिनों के लिए ही थाना से भगवान गणेश की प्रतिमा को बाजार लाई जाती है और धूमधाम से पूजा के बाद फिर थाने के हवाले कर दिया जाता है."-दिलीप कुमार, स्थानीय

Ganapati Kept Outside Police Station
श्याम सरोवर स्थित ठाकुरबाड़ी (ETV Bharat)

कैसे शुरू हुई गणेश चतुर्थी मनाने की परंपरा: जानकार यह भी बताते हैं कि किसी जमाने में इस इलाके में मूर्ति कला की पढ़ाई होती थी. पत्थरों को तराशने का कार्य पढ़ाई करने वाले छात्रों के द्वारा किया जाता था. उस समय माड़वाडी समाज के लोग व्यवसाय के लिए आया करते थे तो ठहरते थे, त्यौहार के समय घर जाने का कोई साधन नहीं रहता था तो जहां रहे वहीं, त्यौहार रहकर मनाने लगे. तभी से यहां गणेश चतुर्थी मनाने की परंपरा शुरू हुई जो आज तक जारी है.

पढ़ें-बिहार के नालंदा में 355 दिन थाना में 'कैद' रहते हैं गणपति, 10 दिनों के लिए देते हैं दर्शन

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