बलरामपुर: रामानुजगंज में गणेश चतुर्थी से पहले बंगाली मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं. पिछले कई दशकों से यहां आसपास के गांव में रहने वाले बंगाली समुदाय के लोग परंपरागत रूप से मूर्तियां बनाकर बेचने का काम कर रहे हैं. इससे जो आमदनी होती है, उससे अपने परिवार का वो भरण-पोषण करते हैं.
मूर्तियों को दिया जा रहा अंतिम रूप: गणेश चतुर्थी पर्व इस साल सात सितंबर को पड़ रहा है. रामानुजगंज क्षेत्र में रहने वाले बंगाली समुदाय के पारंपरिक मूर्तिकार भगवान गणेश की प्रतिमाओं को अंतिम स्वरूप देने में जुटे हुए हैं. रामानुजगंज के आसपास गांव में रहने वाले बंगाली मूर्तिकारों का पूरा परिवार मूर्तियां बनाने के काम में जुटा हुआ है. इन मूर्तियों को अब अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है.
अधिकतर मूर्तियों की हो चुकी है बुकिंग: रामानुजगंज के पास कंचननगर गांव के रहने वाले मूर्तिकार रंजीत मंडल ने कहा कि, " हम पिछले 20 साल से मूर्तियां बना रहे हैं. अभी गणेश पूजा के लिए गणपति भगवान की मूर्तियां तैयार कर रहे हैं. मूर्तियों की कीमत एक हजार रुपए से लेकर 13 हजार रुपए तक रखी गई है. इस बार टोटल 30 मूर्तियां बनाई गई हैं. ज्यादातर बुकिंग हो चुकी है. हर साल नए डिजाइन की आकर्षक मूर्तियां बनाते हैं ताकि ग्राहक संतुष्ट हों."
"हमारा पूरा परिवार मिलकर पिछले डेढ़ महीने से गणपति की मूर्तियां बनाने में जुटा हुआ है. मेरे पूर्वज भी यही काम करते थे. मैं भी अब यही काम कर रहा हूं. मूर्तियों को बनाने के लिए मिट्टी, पुआल, सुतली, कांटी लगता है. कोलकाता से गंगा मिट्टी मंगाना पड़ता है, जो काफी महंगा पड़ता है. इस बार बड़े मूर्तियों की डिमांड है. फोटो देखकर भी मूर्तियां बना रहे हैं. हम 20 हजार रुपए तक की मूर्तियां बना रहे हैं.": दीपांकर, मूर्तिकार
मूर्तिकारों को अच्छी कमाई की उम्मीद: रामानुजगंज के मूर्तिकार छोटी-बड़ी सभी तरह की मूर्तियां बना रहे हैं. ऑर्डर मिलने पर डिमांड के अनुसार बड़ी मूर्तियां भी तैयार की जा रही है. बड़ी मूर्तियों को बनाने में लागत और मेहनत दोनों अधिक लगती है, इसलिए इनके दाम भी ज्यादा है. मूर्तिकारों को इस बार अच्छी कमाई की उम्मीद है. फिलहाल सभी मूर्तिकार गणपति की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं.