गैरसैंण: उत्तराखंड की धरा वीरों के बलिदान से भरी हुई है. जिन्होंने अपने सर्वोच्च बलिदान से मां भारती का सीना चौड़ा किया है. जिनकी गाथाएं आज भी उत्तराखंड की वादियों में गूंजती हैं. वहीं भारतीय सेना के मेजर जनरल दिनेश बिष्ट ने दूसरी बार विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजा गया. उनके जज्बे, उनके हौसले, उनकी सेवाओं ने उन्हें दूसरी बार इस मेडल से नवाजा है. इससे पहले साल 2011 में उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था. उनकी इस उपलब्धि से क्षेत्र में उत्साह का माहौल है.आइये जानते हैं कौन हैं मेजर जनरल दिनेश सिंह बिष्ट.
मेजर जनरल दिनेश सिंह बिष्ट: मैखौली गांव के रहने वाले मेजर जनरल दिनेश सिंह बिष्ट की इस उपलब्धि पर इलाके के लोगों ने इसे क्षेत्र का मान बढ़ाने वाला पल बताया है. बता दें कि इससे पहले भी मेजर जनरल दिनेश बिष्ट को विशिष्ट सेवा मेडल व सेना मेडल से सम्मानित किया जा चुका है. उनकी इस उपलब्धि पर विधायक कर्णप्रयाग अनिल नौटियाल समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने उन्हें बधाई दी. मेजर जनरल दिनेश सिंह बिष्ट को भारतीय सेना के सेंट्रल कमांड लखनऊ में आयोजित एक सैन्य कार्यक्रम में विशिष्ट सेवा मेडल अलंकरण से सम्मानित किया गया.
2011 में भी विशिष्ट सेवा मेडल से हुए सम्मानित: भारतीय सेना में एक कड़क और ईमानदार छवि के अधिकारी के रूप में पहचान रखने वाले मेजर जनरल दिनेश सिंह बिष्ट को इससे पूर्व 2011 में भी सेना में समर्पण भाव से अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है. दूसरी बार विशिष्ट सेवा मेडल से अलंकृत किया जाना, उनके अभूतपूर्व योगदान का एक अनूठा उदाहरण है.
कांगो गणराज्य में कमांडर के रूप में दी सेवाएं: मेजर जनरल बिष्ट इससे पूर्व गृहयुद्ध की मार झेलने वाले कांगो गणराज्य में पहले स्टाफ ऑफिसर और बाद में कमांडर के रूप में यूएन मिशन में भारतीय सैन्य अधिकारी के रूप में अपना सफल नेतृत्व दे चुके हैं.
2011 में गैलेंट्री अवॉर्ड से सम्मानित: जबकि जम्मू-कश्मीर में सफल ऑपरेशन के लिए 2001 में गैलेंट्री अवार्ड से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है. सेना में बेहतरीन सेवाओं के लिए उन्हें आर्मी व आर्मी स्टाफ कमांडेशन कार्ड का सम्मान भी प्राप्त हो चुका है.
सैन्य परिवार से आते हैं मेजर दिनेश सिंह बिष्ट: सैन्य पारिवारिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले दिनेश सिंह बिष्ट की प्राथमिक शिक्षा उनके पैतृक गांव मैखोली के प्राथमिक विद्यालय से हुई है. सैन्य माहौल में जन्मे दिनेश सिंह बिष्ट का बचपन से ही भारतीय सेना का हिस्सा बनने की ललक रही थी, अपने इसी जज्बे के चलते साल 1990 में आईएमए देहरादून से पास आउट होने के बाद लेफ्टिनेंट के रूप में भारतीय सेना का हिस्सा बने. पिता स्व.अवतार सिंह बिष्ट भारतीय सेना में जेसीओ रैंक के सूबेदार पद से सेवानिवृत हुए थे, वहीं उनके ताऊजी स्व.राजेंद्र सिंह बिष्ट कर्नल के पद से रिटायर हुए थे. उनके दादा स्व.सूबेदार जय सिंह बिष्ट चर्चित पेशावर कांड के सेनानी रहे थे.
सेना में सेवाएं दे रहा परिवार: चाचा स्व.आनंद सिंह बिष्ट ने 1971 में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए शहादत देकर क्षेत्र का नाम इतिहास के पन्नों पर अमर कर दिया था. दिनेश सिंह बिष्ट के बड़े भाई जसवंत सिंह बिष्ट सेना से कर्नल पद से और चचेरे बड़े भाई सुदर्शन सिंह बिष्ट ब्रिगेडियर रैंक तक पहुंचने वाले अधिकारी रहे हैं.उनके परिवार में नई पीढ़ी के कई युवा भी सेना में सेवाएं दे रहे हैं.
मेजर जनरल दिनेश बिष्ट की इस उपलब्धि पर उनके छोटे भाई सुरेश कुमार बिष्ट, वीरेंद्र बिष्ट विधायक कर्णप्रयाग अनिल नौटियाल समेत पूरे क्षेत्र व मैखोली ग्राम वासियों ने खुशी का इजहार करते हुए उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दी.
अपनी जन्मभूमि से गहरा लगाव होने के चलते मेजर जनरल दिनेश सिंह बिष्ट हर साल छुट्टियां बिताने परिवार के साथ घर जरूर आते हैं. घर पर उनके छोटे भाई सुरेश कुमार बिष्ट और वीरेंद्र बिष्ट अपने परिवार के साथ रहते हैं. जन्मभूमि के प्रति सम्मान और लगाव के चलते वे सेवानिवृत्ति के बाद पैतृक गांव में रहने की योजना बना रहे हैं.
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